झाबुआ~कुपोषण से कैसे जीतेंगे जंग.....? जिले में 1 हजार 385 अति कुपोषित बच्चे दर्ज,50 प्रतिशत से अधिक आंगनबाड़ियों पर वजन मशीनें तक नहीं ~~


अफसरों,गेल,समाजसेवियों व कुछ जनप्रतिनिधियों को गोद द़ीे आंगनबाड़ी .......तब भी हालात बदतर~~

झाबुआसंजय जैन~~

जिले में कुल 1902 आंगनबाड़ी केंद्र व 804 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र यानी कुल 2706 आंगनवाड़ी केंद्र हैं। जिलेभर की 2 हजार 706  आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 हजार 385 बच्चे ऐसे दर्ज हैं जो अति-कुपोषित हैं। केंद्र व राज्य सरकार से हर साल करोड़ों का बजट मिलने के बाद भी आंगनबाड़ी केंद्रों की हालत बदतर है। गंभीर बात यह है कि जिलेभर की 50 प्रतिशत से अधिक आंगनबाडिय़ों में वजन मशीन ही नहीं हैं। जहां मिली थी,वह खराब हो गईं। यही नहीं अधिकतर आंगनवाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित है,जिसमें न तो नल कनेक्शन हैं ना ही बिजली का कनेक्शन। यह जिम्मेदारी इन अफसर व कर्मचारियों के लिए चुनौती बन गई है। जांच केवल खानापूर्ति तक सिमट कर रह गई है।



 
10 साल पहले बांटी मशीनें खराब,तराजू में तौले जा रहे बच्चे......
जिलेभर के आंगनबाड़ी केंद्रों पर 5 साल तक के बच्चों का वजन तौलने के लिए सोल्डर मशीन व उससे अधिक उम्र के बच्चों का वजन तौलने के लिए मैनुअल मशीनें 10 साल पहले उपलब्ध कराई गई थीं। अधिकांश केंद्रों पर यह मशीनें खराब हो चुकी हैं। 50 प्रतिशत से अधिक आंगनबाड़ी केंद्रों पर तो मशीनें है ही नहीं। इसकी वजह से गे इन केंद्रों पर दर्ज बच्चों का हर महीने वजन नहीं हो पा रहा है। कहीं बच्चों को तराजू में रखकर तौला जा रहा है, कहीं कार्यकर्ताओं एक-दूसरे से मांग कर काम चला रही हैं। जिले को कुपोषण मुक्त करने के लिए प्रदेश सरकार कितने भी दावे करे लेकिन हकीकत यह है कि ग्राउंड पर मॉनिटरिंग के लिए महकमे में परियोजना अधिकारी व सुपरवाइजर ही नहीं हैं। जिले की 6 परियोजना में सिर्फ  4 अधिकारी हैं। वहीं 75 पदों के विपरीत जिलेभर में सिर्फ  63 सुपरवाइजर ही काम कर रही हैं।


गोद दे रहे आंगनबाड़ी केंद्र,तब भी हालात बदतर.....
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र की आंगनबाड़ी केंद्रों को अडॉप्ट करने की स्कीम निकाली है लेकिन 100 दिन में 2 हजार 706 आंगनबाड़ी केंद्रों में से 2 हजार 81 आंगनबाड़ी अफसरों, गेल, समाजसेवियों व कुछ जनप्रतिनिधियों ने गोद ली हैं। हास्यास्पद बात यह है कि जिन केंद्रों को गोद लिया गया है,उन्हें संवारने के लिए अभी तक सिर्फ  23 पंखे,10 फर्श,140 से 150 बर्तन अफसर व जनप्रतिनिधियों ने दान में दिए हैं। इससे आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति में सुधार दूर की कौड़ी नजर आ रही है। इन दिनों कमिश्नर आशीष सक्सेना का फोकस आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद देने पर है। हर बैठक में वह विभागीय अफसरों से कह रहे हैं कि आंगनबाड़ियों को एडॉप्ट करें। आला अफसरों के आदेश पर जिलेभर में 300 से अधिक अधिकारियों ने आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद तो ले लिया,लेकिन उन्होंने इन केंद्रों पर उपहार में सिर्फ  खेल-खिलौने ही दिए। जबकि आंगनबाड़ी केंद्रों पर सबसे अधिक जरूरत वजन मशीन,बिछाने के लिए फर्श,गर्मी से बचाव के लिए पंखों की है। लेकिन एडॉप्ट आंगनबाड़ी केंद्रों को भी यह सुविधा नहीं मिल पा रही है।

 
गोद देने के लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं..........
आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद देने के प्रयास कर रहे जिलेभर में आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद देने के लिए हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं। 300 से अधिक केंद्रों को अफसर गोद ले चुके हैं। कुछ जगहों पर मशीनें खराब होने की शिकायतें मिल रही है जिनके सुधार की डिमांड भोपाल भेजी है,भोपाल संचालनालय से राशि आने पर इन इन्हें दुरुस्त करवाएंगे। अभी विभाग के पास फंड नहीं है,जिससे इनमें सुधार करवा सकें। इसीलिए इन्हें गोद देकर कमियां पूरी कर रहे हैं।
..................आर.एस. बघेल,जिला कार्यक्रम अधिकारी-महिला एवं बाल विकास विभाग-झाबुआ


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