झाबुआ~शहर में दूध डेयरी नाम से प्रभावी कर रहे बेखौफ व्यापार-मिर्च,बेसन,हल्दी के नमूने से आगे नहीं बढ़ता जिम्मेदार विभाग,दूध बेचने वालो को किसका डर होगा ~~
प्रभावी डेयरी संचालको का मकड़जाल-दूध में यूरिया की मिलावट-जांच करने वाली फूड सेफ्टी ऑन वील्स नहीं,महीने में तीन दिन के लिए आता है जांच वाला वाहन~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~
शहर में दूध डेयरी नाम से प्रभावी डेयरी संचालक बेखौफ व्यापार कर रहे,तो रोज सुबह सायकल से दूध बेचने वालो को किसका डर होगा...? वैसे भी कहावत है क्लास में अनुशासन रखवाना हो तो,शैतान बच्चे को मॉनिटर बना देना चाहिए लेकिन शहर में शैतान बच्चे को खुला छोड़ दिया गया हैं। जबकि रोज 15 से 20 लीटर दूध बेचने वालो पर विभाग की पैनी नजर है....... यह तो खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की कार्यशैली पर एक प्रश्न तो है ...?
नहीं है मिलावट रोकने के लिए कोई ठोस प्लानिंग....................
मिलावटखोरी रोकने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग शहर और अंचलों पर संचालित दुकानों पर नमूने लेने की कार्रवाई तो करता है,लेकिन इसकी मशीन पूरा सही परिणाम नहीं दे रही है। विभाग की रुचि शुद्ध दूध आमजन को मिले इससे अधिक बेसन,हल्दी,मिर्च के नमूने लेने में अधिक है। दूध के नमूने डेरी से तो लिए जाते है,लेकिन शहर में बाइक पर दूध बेचने वाले लोग हैं,वह इस कार्रवाई के दायरे में आने के बाद भी छूट रहे हैं। इनके पास उपलब्ध दूध की जांच नहीं हो रही है। सूत्रों की मानें तो मिलावटी दूध में जमकर पानी ,यूरिया का उपयोग किया जा रहा है। जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए बेहद नुकसानदायक है। हैरानी की बात यह है कि विभाग के पास दूध में मिलावट रोकने के लिए कोई ठोस प्लानिंग नहीं है।
क्या अधिकारी प्रभावी डेयरी संचालको के खौफ से दबे हुए है .......
हफ्ते में कम से कम 2 बार शहर के इन प्रभावी डेरी संचालको द्वारा बेचे जा रहे दूध और दूध से निर्मित अन्य उत्पादों का औचक निरिक्षण होना चाहिए,वह भी बिना सुचना के.................जिले में सरकारी साँची दूध के सेल का आंकड़ा इनके सामने कुछ भी नहीं है ,लेकिन ऐसा क्यो.........? हम बात करे तो शहर की तो करीब 100 से अधिक छोटे दूध विक्रेता निकटवर्ती ग्राम रम्भापुर से घरो में छूटकर दूध सुबह सुबह कई वर्षो से सप्लाई करते आ रहे है। फिर इन प्रभावी डेयरी संचालको के पास इतनी अधिक मात्रा में दूध कहा से आ रहा है और बिक भी रहा है...? जो की नितांत जांच का विषय तो है। प्राप्तजानकारी नुसार जिले में पहले सिर्फ साँची और अमूल दूध ही बिकता चला आ रहा था,फिर इतने कुकरमुत्तों की तरह प्रभावी डेरी संचालको का मकड़जाल कैसे फ़ैल चूका है ....? जो जाँच का विषय तो है। क्या विभाग द्वारा प्रभावी डेयरी संचालको को खुली छूट दे गयी है या अधिकारी इनके खौफ से दबे हुए है .......? यह तो वे ही जाने ......................
गिनती के दूध वालों ने कराए पंजीयन.......................
शहर से लेकर अंचल में प्रतिदिन लाखों लीटर दूध की खपत होती है। इनमें काफी मात्रा में मिलावटी दूध लोगों के घरों तक पहुंच रहा है। हैरानी की बात यह है कि खाद्य एवं औषधी प्रशासन विभाग ऐसे फुटकर दूध विक्रेताओं के पंजीयन नहीं करा पा रहा है। इस वजह से यह आंकड़ा सामने नहीं आ पा रहा कि शहर में दूध बेचने वालों की संख्या कितनी है। इतना ही नहीं,गाय,भैंस के दूध में फेट की मात्रा के अलग-अलग नियम है,इस अनुसार दूध भी जिले में उपभोक्ताओं को नहीं मिल पा रहा है। जानकारी के अनुसार कभी कभार ऐसे दूध वालों को पकड़ा गया है व उनके पंजीयन कराए गए हैं। इनकी संख्या में 10 से कम है। जबकि शहर में 100 से ज्यादा लोग ऐसे हैं,जो गांव से दूध लेकर आते हैं और गली-मोहल्लों में दूध बेच रहे हैं।
व्यापारियों की मर्जी से तय होता है भाव और क्वालिटी............
शहर में दूध के भाव और क्वालिटी व्यापारियों की मर्जी से तय होती है। इस पर खाद्य एवं औषधि विभाग का नियंत्रण नहीं है। कभी भी किसी भी दूध विक्रेता के यहां क्वालिटी की जांच नहीं की गई। इसी कारण दूध विक्रेता दूध में मर्जी से पानी मिलाकर बेचते है। वहीं जिले के बड़े अफसर सब कुछ जानते हुए भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
पंजीयन नहीं हो रहा...............
शहर से लेकर अंचल तक चाय-नाश्ते की सैकड़ों दुकानें चल हैं। नई-नई दुकानें खुलती जा रही हैं। काफी संख्या में ऐसी दुकानें है,जिनके पास फूड लाइसेंस नहीं है और बगैर उसके खाद्य सामग्रियों का विक्रय कर रहे हैं। इन छोटी दुकानों पर टीम जांच करने के लिए नहीं पहुंच रही है। शहर से लेकर अंचल तक में इस प्रकार की दुकानें व ठेले चल रहे है।
तीन दिन मिलती है फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स..................
मिलावट खोरी पर नकेल कसने के लिए मौके पर जांच करने के लिए जिले में एक भी फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स वाहन नहीं है। वाहन तीन दिन के लिए झाबुआ आता है। इससे शहर व अंचलों में संचालित दुकानों पर खाने की वस्तुओं की जांच की जाती है। विभाग का दावा है कि यह महीने में तीन दिन आती है, लेकिन असल में लोगों की मानें तो इस तरह की जांच करने वाला वाहन काफी कम ही देखने को मिलता है।
फैक्ट फाइल..................
-प्रभावी डेरी संचालको का मकड़जाल े फ़ैल चूका है ।
-पैसेंजर ट्रेन व बसों से आ रहा गावों से दूध।
-दिन भर दूध बेचने के बाद वापस लौट जाते हैं दूध वाले।
-मिठाई की दुकान, घरों और होटलों में खपता है दूध।
यह होना जरूरी................
प्रभावी डेयरी संचालको पर हफ्ते में कम से कम 2 बार औचक निरीक्षण होना चाहिए।
-चलाया जाए जांच अभियान।
-सभी दूध वालों के कराए जाएं पंजीयन।
-मौके पर फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स के जरिए हो जांच।
-बच्चों को देता नुकसान
-जुर्माने की कार्रवाई हो प्रस्तावित।
*** खबर का असर ***
137 कि.ग्रा खाद्य सामग्री जब्त...
गौरतलब है कि इसी अखबार ने 12 अक्टूबर शनिवार को * शहर के मुख्यतःप्रभावी दुकानदार बच कैसे जाते है मुहिम से...? * नामक शीर्षक से खबर को प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान इस ओर आकर्षित किया था। जिस पर कलेक्टर नेहा मीना ने त्वरित जांच दल के गठन के निर्देश खाद्य सुरक्षा अधिकारी राहुल सिंह अलावा को दिए। उन्होंने जांच दल गठित कर संयुक्त टीम के साथ गुरुवार को जिले के ग्राम काकनवानी में होटलों एवं किराना दुकानों के औचक निरीक्षण कर कार्यवाही की। जिसमे बड़ी मात्रा में विक्रय के लिए खुला सोयाबीन तेल जब्त किया। जिसकी मात्रा 111 किलोग्राम तथा अनुमानित बाजार मूल्य 14500/- थी। इसके साथ ही मिलावटी घी होने की शंका के आधार पर कुल 26 किलोग्राम खुला घी (अनुमानित मूल्य- 15600/-) भी जब्त किया।
*** खबर का असर ***
मिलावटी दूध के नुकसान...............
मिलावट वाला दूध स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। ऐसे दूध में यूरिया की मिलावट ज्यादा होती है। इस तरह के मिलावटी दूध के लगातार सेवन से किडनी फेल होने का खतरा है। वहीं फॉर्मेलिन, बोरिक एसिड, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, बेंजोइक एसिड से आंतों में सूजन आ सकती है। वहीं, दूध में कैल्शियम न होने से हड्डियां भी कमजोर होंगी। बच्चों को भी नुसानदायक है।
.........डॉ.एम् किराड़-जिला अस्पताल, झाबुआ।
इनका कहना...................
खाने-पीने की वस्तुओं की जांच समय-समय पर की जा रही है। फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स वाहन हमारे पास नहीं है ,यह वाहन जांच के लिए मंगाया जाता है। शहर के डेयरी संचालको द्वारा बेचे जा रहे दूध और दूध से निर्मित अन्य उत्पादों का पक्का तुरंत औचक निरीक्षण होगा,जहां तक गली-मोहल्लों में दूध बेचने वालों की बात है तो उनके दूध की जांच के लिए कार्य योजना बनाई जा रही है।
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