झाबुआ~अफसरों की उदासीनता-गणवेश नहीं तो छात्रों में समानता गायब,रंग-बिरंगे पुराने कपड़ों में आ रहे स्कूल~~
जिले के 1 लाख 75 हजार 575 विद्यार्थियों के खाते में आएगी राशि-दो साल से नहीं मिली गणवेश, फटे-पुराने कपड़े पहनकर स्कूल आ रहे नौनिहाल~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ.-संजय जैन~~
लंबे इंतजार के बाद जिले के सरकारी प्राथमिक व माध्यमिक शालाओं के 1 लाख 75 हजार 575 छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में 600 रुपए की राशि गणवेश खरीदी के लिए डाली जाएगी। विद्यार्थियों को यह राशि शिक्षण सत्र 2023-24 की भुगतान की जा रही है। जबकि 2024-25 की राशि का भुगतान करने के अब तक जिला शिक्षा केन्द्र को कोई निर्देश नहीं मिले हैं। अहम बात ये है कि 600 रुपए में प्रत्येक छात्र-छात्रा को दो जोड़ी गणवेश खरीदना है,जबकि इतनी कम राशि में अच्छी क्वालिटी की एक जोड़ी गणवेश भी खरीद पाना मुश्किल है।
व्यवस्था पर सवाल उठने लगे.....
शासन ने भले ही विद्यार्थियों में समानता लाने निशुल्क गणवेश वितरण व्यवस्था शुरू की हो,लेकिन हकीकत में दो साल से न तो गणवेश मिली और न गणवेश के लिए राशि। नतीजतन कोई फटे हुए कपड़े पहनकर स्कूल जाने मजबूर है तो कोई फटे हुए कपड़ों को मोटे धागे से सिलकर स्कूल जा रहा है। बता दें कि वर्तमान में जिले के अधिकांश सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चे घर के रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल आ रहे हैं,क्योंकि उनको गणवेश नहीं मिली है।
इससे व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
ज्यादातर छात्र बिना गणवेश के .......................
जिले के स्कूलो में गणवेश की स्थिति जानी तो प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालय में ज्यादातर विद्यार्थी बिना गणवेश के मिले। स्थिति यह थी की किसी का पेंट घुटनों पर फटा हुआ था जिसमें बड़े हिस्से में छेद था तो कोई फटी हुई शर्ट पहने था। वहीं कई बच्चों की टी-शर्ट फटी मिली, जिन्हें मोटे धागे से सिलकर छिपाने का प्रयास किया गया, लेकिन टी-शर्ट की उम्र हो जाने से धागा भी बाहर निकल आया और छेद हो गए। यह सिर्फ एक स्कूल की बात नहीं,बल्कि ज्यादातर स्कूलों में इसी तरह कई छात्र फटे हुए कपड़े पहनकर स्कूल जाते नजर आए।
1 लाख 75 हजार 575 छात्रों को इंतजार.................
जिले के शासकीय प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले 1 लाख 75 हजार 575 छात्र-छात्राएं दो साल से गणवेश का इंतजार कर रहे हैं,लेकिन गणवेश न मिलने से फटे हुए कपड़े पहनने के लिए मजबूर हैं। छात्रों ने बताया कि फटे कपड़े स्कूल में पहनकर आने में शर्म लगती है,यानी सरकारी स्कूलों में गणवेश न मिलने से एकरूपता गायब हो गई और इससे अब गरीब परिवारों के बच्चों में हीन भावना पैदा होती नजर आ रही है।
कम है राशि,नहीं आ पाएगी गणवेश...................
विद्यार्थियों के बैंक खाते में आने वाले 600 रुपए में पालकों को दो जोड़ी गणवेश लेना है। जिसमें छात्रों के लिए नेवी ब्लू पेंट और आसमानी रंग की शर्ट होगी। छात्राओं के लिए ट्यूनिक के साथ ही निर्धारित रंग की गणवेश लेनी होगी। अधिकारियों से ही जब पूछा गया कि क्या 600 रुपए में दो जोड़ी गणवेश मिल जाएगी...? तब अधिकारी ही खुद कह रहे हैंए कि यह राशि कम है,लेकिन शासन के निर्देश ही ऐसे हैं। इधर पालकों का कहना है कि इतनी कम राशि में बाजार से गणवेश नहीं मिल पाएगी। शासन-प्रशासन ही स्कूलों में इतनी राशि में दो जोड़ी अच्छी गणवेश दिलाने की व्यवस्था बनाकर दिखाए तो मानें।
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गणवेश घोटाले के कारण समूहों का काम बंद, दे रहे रुपए..........
सरकारी प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों के बच्चों को गणवेश उपलब्ध कराने के लिए बीते साल तक जिले में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से गणवेश सिलाई कराने की व्यवस्था थी। ताकि 100 से ज्यादा समूह की महिला सदस्यों को रोजगार मिल सके और बच्चों के लिए गुणवत्ता युक्त गणवेश समय पर उपलब्ध हो जाए। लेकिन अफसरों ने इसमें ही घोटाला कर डाला। पूरे मध्यप्रदेश में छाया हुआ सिवनी गणवेश घोटाला सामने आने से हड़कप मच गया था। हजारों की संया में बंडल में बंद फैक्ट्रियों से आई सिली हुई गणवेश स्व-सहायता समूहों के ठिकानों से जब्त की गई थी। इस घोटाले में जिला पंचायत के ग्रामीण आजीविका मिशन की प्रबंधक की भूमिका भी पाई गई थी, तब उनको यहां से हटा दिया गया था। उस मामले की जांच जिला पंचायत में अब तक चल रही है। इस घोटाले के बाद राज्य शासन ने स्व-सहायता समूहों को गणवेश सिलाई का काम नहीं दिया,बल्कि विद्यार्थियों के बैंक खाते में नकद राशि का भुगतान किए जाने के निर्देश दे दिए हैं।
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सत्यापन अंतिम चरण में है....................
विभाग के निर्देश पर अब जिले के पात्र विद्यार्थियों के बैंक खाते में गणवेश खरीदने के लिए 600 रुपए का भुगतान किए जाने की तैयारी है। राज्य शिक्षा केन्द्र के निर्देश पर छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में गणवेश की राशि 600 रुपए का भुगतान करने के लिए बैंक खातों का सत्यापन अंतिम चरण में है। अभिभावक स्वयं ही इस राशि में दो जोड़ी गणवेश खरीद सकेंगे। राशि का निर्धारण शासन स्तर से हुआ है,इसमें जिला स्तर से कुछ नहीं किया जा सकता।
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