झाबुआ~चाचा नहीं बन सके थे सीजेआई ,भतीजे जस्टिस खन्ना बनेंगे~~
इन मामलों के विशेषज्ञ- संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ और आपराधिक कानून~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~
देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर जस्टिस संजीव खन्ना का नाम अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामित किया है। जस्टिस खन्ना 10 नवंबर को भारत के 51 वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभालेंगे। जस्टिस खन्ना करीब छह माह यानी 13 मई 2025 तक न्यायपालिका के मुखिया रहेंगे।
जानते हैं उनके बारे में-चाचा को इंदिरा ने नहीं बनाया था सीजेआई...............
दिल्ली में पले बढ़े जस्टिस खन्ना जजों के परिवार से आते हैं। 14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस खन्ना के पिता देवराज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट जज के पद से 1985 में सेवानिवृत्त हुए जबकि उनके चाचा हंसराज खन्ना देश के चर्चित सुप्रीम कोर्ट जज रहे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनकी वरिष्ठता लांघ कर जस्टिस एमएच बेग को देश का सीजेआइ बनाया था। वरिष्ठता के उल्लंघन के विरोध में जस्टिस खन्ना ने इस्तीफा दे दिया था। जस्टिस संजीव की मां सरोज खन्ना दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज में हिंदी की व्याख्याता थीं। दिल्ली के मॉडर्न स्कूल, सेंट स्टीफन कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून के छात्र रहे जस्टिस खन्ना ने 1983 में वकालत शुरू की। तीस हजारी कोर्ट से लेकर दिल्ली हाईकोर्ट और विभिन्न न्यायाधिकरणों में उन्होंने वकालत की। वे आयकर विभाग और दिल्ली सरकार के भी वकील रह चुके हैं।
2005 में बने जज.............
जस्टिस खन्ना जून 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में बेंच का हिस्सा बने। जनवरी 2019 में सीजेआई रंजन गोगोई के नेतृत्व वाले कॉलेजियम की सिफारिश पर जस्टिस खन्ना को सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया। वे राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष और राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी, भोपाल के गवर्निंग काउंसिल के सदस्य हैं। संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, कमर्शियल लॉ, कंपनी लॉ और आपराधिक कानून इन मामलों के विशेषज्ञ हैं।
कई महत्वपूर्ण फैसलों में रहे शामिल.............
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* जस्टिस खन्ना की बेंच ने ईवीएम पर 100 प्रतिशत वीवीपैट सत्यापन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।
* चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित करने वाली संविधान बेंच में शामिल।
* जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जे संबंधित अनुच्छेद 370 के खात्मे को उचित ठहराने वाली संविधान बेंच में शामिल।
* शिल्पा शैलेश मामले-2023 में उन्होंने अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को सीधे तलाक देने का अधिकार माना।
* आईटीआई संबंधी 2019 के आदेश में जस्टिस खन्ना ने तय किया कि न्यायिक स्वतंत्रता अनिवार्य रूप से सूचना के अधिकार का विरोध नहीं करती है।
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