शारदीय नवरात्रि में इंद्र - शिववास योग बन रहा दुर्लभ संयोग, माँ का आगमन डोली ( पालकी ) पर , प्रस्थान अश्व वाहन, अप्राकृतिक घटना की आशंका ( डॉ. अशोक शास्त्री )
धार , शारदीय नवरात्रि मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है । आश्विन मास में शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है और पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति जगदम्बा का पूजन किया जाता है । इस संदर्भ में मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिष गुरु डॉ. अशोक शास्त्री ने विस्तार से बताया की शारदीय नवरात्रि गुरुवार 3 अक्टूबर से आरंभ होंगी और इस पर्व का समापन शनिवार 12 अक्टूबर को होगा । देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं, जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं । शारदीय नवरात्रि काफी धूमधाम से मनाई जाती है । इसमें मां दुर्गा की प्रतिमाएं विराजित की जाती है, साथ ही कई स्थानों पर गरबा और रामलीलाओं का आयोजन किया जाता है । इस 9 दिन के महापर्व के पहले दिन घटस्थापना की जाती है और मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा भी की जाती है ।नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत भी रखा जाता है ।पूरे नियमों के साथ मां दुर्गा की आराधना की जाती है ।
डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया की हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है । मां दुर्गा की उपासना का पर्व साल में चार बार आता है । जिसमें दो गुप्त नवरात्रि और दो चैत्र व शारदीय नवरात्रि होती है ।
डॉ. शास्त्री के अनुसार मां दुर्गा का वाहन सिंह को माना जाता है लेकिन हर साल नवरात्रि के समय तिथि के अनुसार माता अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती हैं यानी माता सिंह की बजाय दूसरी सवारी पर सवार होकर भी पृथ्वी पर आती हैं । माता दुर्गा आती भी वाहन से हैं और जाती भी वाहन से हैं ।देवीभाग्वत पुराण के अनुसार
शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे। गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता॥ इस श्लोक में सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है । नवरात्रि का विशेष नक्षत्रों और योगों के साथ आना मनुष्य जीवन पर खास प्रभाव डालता है ।ठीक इसी प्रकार कलश स्थापन के दिन देवी किस वाहन पर विराजित होकर पृथ्वी लोक की तरफ आ रही हैं इसका भी मानव जीवन पर विशेष असर होता है ।
डोली या पालकी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
नवरात्रि के पहले दिन के आधार पर मां दुर्गा की सवारी के बारे में पता चलता है । नवरात्रि में माता की सवारी का विशेष महत्व होता है ।
*माता का वाहन दे रहा डराने वाले संकेत*
डॉ. शास्त्री के मुताबिक मां दुर्गा की सवारी जब डोली या पालकी पर आती है तो यह अच्छा संकेत नहीं है । मां दुर्गा का पालकी पर आना सभी के लिए चिंता बढ़ाने वाला माना जा रहा है । वहीं उनकी वापसी शनिवार को है , मतलब उनके प्रस्थान की सवारी अश्व हैं । और अश्व भी गति को प्रभावित करता हैं । इसलिए लोग थोड़े आशंकित भी हैं । उन्हें यह भूलना नहीं चाहिए की माँ दुर्गा तो हर परेशानी का समाधान करती हैं और वो हमेशा भक्तों की रक्षा करने के लिए तैयार रहती हैं ।
अर्थ व्यवस्था गिरने से लोगों का काम धंधा मंदा पड़ने की आशंका है ।
देश-दुनिया में महामारी फैलने का डर है ।
लोगों को कोई बड़ी अप्राकृति घटना का सामना करना पड़ सकती है ।
सेहत में भारी गिरावट आ सकती है । दूसरे देशों से हिंसी की खबरें आ सकती हैं ।
शारदीय नवरात्रि कलश स्थापना मुहूर्त - 3 अक्टूबर प्रातःकाल 6:22 से 7:26 बजे तक । अभिजीत मुहूर्त प्रातः 11:55 से 12:42 बजे तक श्रेष्ठ रहेगा ।
तिथियाँ
नवरात्रि का पहला दिन- मां शैलपुत्री – 3 अक्तूबर
नवरात्रि का दूसरा दिन- मां ब्रह्मचारिणी की पूजा – 4 अक्तूबर
नवरात्रि का तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा की पूजा – 5 अक्तूबर
नवरात्रि का चौथा दिन- मां कूष्मांडा की पूजा – 6 अक्तूबर
नवरात्रि का पांचवां दिन- मां स्कंदमाता की पूजा – 7 अक्तूबर
नवरात्रि का छठा दिन- मां कात्यायनी की पूजा – 8 अक्तूबर
नवरात्रि का सातवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा – 9 अक्तूबर
नवरात्रि का आठवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा – 10 अक्तूबर
नवरात्रि का नौवां दिन- मां महागौरी की पूजा – 11 अक्तूबर
विजयदशमी – 12 अक्टूबर , दुर्गा विसर्जन।
डॉ. शास्त्री के अनुसार मां दुर्गा की पूजा सच्चे मन से करें, दूर होगा कष्ट उनके रहते किसी को भी भयभीत नहीं होना चाहिए, उनके आगे तो देवता भी सिर झुकाते हैं। इसलिए शुभ-अशुभ के चक्कर में ना पड़कर मां दुर्गा की पूजा सच्चे मन से करें, यकीन मानिए मां आपको हर तरह का सुख प्रदान करेंगी।
शारदीय नवरात्रि का महत्व्
डॉ. शास्त्री के मुताबिक नवरात्रि मां भगवती दुर्गा की आराधना करने का श्रेष्ठ समय होता है । इन नौ दिनों के दौरान मां के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है ।नवरात्रि का हर दिन मां के विशिष्ट स्वरूप को समर्पित होता है, और हर स्वरूप की अलग महिमा होती है ।आदिशक्ति जगदम्बा के हर स्वरूप से अलग-अलग मनोरथ पूर्ण होते हैं । यह पर्व नारी शक्ति की आराधना का पर्व है ।
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