झाबुआ~पिछले वर्ष 1जुलाई से पॉलीथिन प्रतिबंधित कर दी गई थी,लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए है-प्रतिबंधित वस्तुओ का धड़ल्ले से हो रहा उपयोग और विक्रय~~

क्या नियम आते ही है तोड़ने के लिए- प्रशासन की सुस्ती कब उड़ेगी~~

झाबुआ। संजय जैन-ब्यूरो चीफ~~




पिछले साल 1 जुलाई से देशभर में सिंगल यूज पॉलीथिन प्रतिबंधित कर दी गयी थी। जिसके तहत 100 माइक्रोन से कम वाली प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।साथ ही थर्माकोल और प्लास्टिक से बनी ऐसी वस्तुएं जिन्हें एक बार इस्तेमाल के बाद फेंकना होता है,इसका निर्माण,आयात, भंडारण, वितरण,विक्रय और उपयोग पर भी पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई थी। लेकिन 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए है। एक बार उपयोग के बाद फेंकी जाने वाली वस्तुओ का धड़ल्ले से बेख़ौफ उपयोग और विक्रय किया जा रहा है।अधिकतर विक्रेताओं ने बताया की हमने तो वार्षिक बंदी तय कर रखी है तभी तो हमे किसी से भय भी नही लगता है।

आज तक नगर पालिका ने भी इसकी रोकथाम के लिये कोई खास रणनीति तैयारी नहीं की................

1 जुलाई से सिंगल यूज प्लास्टिक पर एक बार फिर प्रतिबंध लगाया गया था। लेकिन पहले की तरह ही इसे पूरी तरह लागू कर पाना मुश्किल रहा क्योंकि नगर पालिका के पास प्लास्टिक निपटान की कोई व्यवस्था नहीं थी। गौरतलब है कि इसको लेकर नगर पालिका ने आज तक कोई खास तैयारी भी नहीं की है। शहर में लोग सिंगल यूज पॉलीथिन का उपयोग करते नजर आ रहे है। शहर से रोजाना 20 टन से अधिक कचरा निकल रहा है। इसमें क्विंटलों से सिंगल यूज प्लास्टिक भी आ रहा है लेकिन नियमित तरीके से इसकी छंटनी नहीं हो रही है। पिछले वर्ष सिर्फ दिखावे के लिए डेयरी सहित अन्य दुकानों से प्लास्टिक जब्त किया था। जबकि सिंगल यूज प्लास्टिक विक्रेता और निर्माताओं पर कोई सख्ती ही नहीं बरती गयी थी। यही कारण है कि वे अब भी प्लास्टिक का उपयोग बेख़ौफ कर रहे है। सबसे पहले तो इन पर नकेल कसनी होगी,जिससे यह प्रतिबंध स्वतः ही लागू हो जाएगा।

यह कहना है व्यापारियों का......
करेंगे गाइडलाइन का पालन.......

स्टेशनरी व्यवसायी मनीष गांधी ने बताया कि पहले हम सिंगल यूज पॉलीथिन का प्रयोग कर रहे थे।अब सरकार की गाइडलाइन का ही पालन कर रहे है।

कपड़े की थैली ही सस्ती रहेगी.....

कपड़ा व्यवसायी उत्तम वस्त्रालय के नम्र शाह ने बताया कि प्लास्टिक की सबसे छोटी थैली का पैकेट 150 रुपए में आ रहा है। इससे तो कपड़े की थैली शायद सस्ती रहेगी।

नगर पालिका करे जागरूक लोगो को घर से थैली लाने के लिए.........

सब्जी विक्रेता दीपक माली ने कहा कि लोगों को थैली नहीं दतें थे,तो वे सब्जी नहीं लेते थे। सब्जी वापस छोड़कर चले जाते थे, जिससे हमारा नुकसान होता है। हम ग्राहकों को कपड़े की थैली देंगे तो क्या कमाएंगे और क्या खाएंगे....? सबसे पहले आम लोगों को नगर पालिका द्वारा जागरूक करना चाहिए। जिससे लोग घर से थैली लाने लग जायेंगे।

सामान के लिए महंगी थैली देने पर नहीं मिलेगी कीमत.......

किराना व्यवसायी राजू मेहता ने कहा कि ग्राहक घर से थैली लाना पसंद नहीं करते हैं। पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी सिर्फ बातें करता है लेकिन साथ में थैली नहीं लाते हैं। मंहगी पॉलीथिन या कपड़े की थैली देने पर हमें उसकी कीमत नहीं मिल पाएगी।

सिंगल यूज प्लास्टिक के ये आयटम हुए थे प्रतिबंधित...................

-प्लास्टिक स्टिक सहित ईयरबड
-बैलून में उपयोग होने वाली प्लास्टिक स्टिक
-प्लास्टिक झंडे
-कैंडी स्टिक
-आइसक्रीम स्टिक
-सजावट में उपयोग होने वाला थर्माकोल
-प्लास्टिक स्टीकर्स
-प्लास्टिक,थर्माकोल प्लेट्स,कप,गिलास,फोर्क,चम्मच,चाकू,स्ट्रा,ट्रे
-स्वीट बॉक्स,निमंत्रण पत्र,सिगरेट पैकिट को कवर करने वाली पैकिंग फिल्म
-100 माइक्रो से कम मोटाई वाले प्लास्टिक और पीवीसी के बैनर

सख्ती से पालन करवाएंगे...........................

निर्देशों का सख्ती से पालन करवाएंगे। कार्रवाई के साथ भारी जुर्माना भी वसूला जाएगा। सभी थोक विक्रेता को इस प्रतिबंध का पालन करना चाहिए अन्यथा इसके लिए शीघ्र ही सतत मुहिम हमारे द्वारा चलाई जाएँगी।
....................जाबिर खान-मुख्य नगरपालिका अधिकारी-झाबुआ
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