धार~भरण-पोषण दिलाने का आवेदन लेकर पहुंची महिला से बोले कलेक्टर ‘अरे तुम्हें तो लाड़ली बहना योजना में होना चाहिए’~~

पति ने भरण-पोषण नहीं दिया तो रेडक्रॉस से दिलवाई 13 हजार की आर्थिक सहायता~~

जनसुनवाई में महिलाआें का दिन रहा, 100 करीब महिलाएं पहुंची, 150 के लगभग आवेदन आए~~

धार~( डॉ. अशोक शास्त्री )




धार। छोटी-बड़ी शिकायतों में सुनवाई को लेकर जिला मुख्यालय पर कलेक्टर की जनसुनवाई में लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है। यही कारण है कि लगातार आवेदनों की संख्या भी बढ़ रही है। इनमें कई शिकायती आवेदन ऐसे है जिन्हें सीधे विभाग में ना देकर कलेक्टर को ही दिया जा रहा है। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे भी आवेदन है जिनकी सुनवाई संबंधित विभाग में ना होने पर मुख्यालय पर की जा रही है। सुनवाई आवेदनों को संवेदनशीलता के साथ सुना जा रहा है। जिला कलेक्टर से लेकर जिपं सीईओ शृंगार श्रीवास्तव व अन्य अधिकारी आवेदकों की समस्याओं को मौके पर ही निपटान की रूचि ले रहे है। इस तरह की कार्यशैली ने मंगलवार को तीन महिला आवेदकों को त्वरित राहत पहुंचाई। दरअसल मनावर तहसील के ग्राम देवरा से प्रेमाबाई नाम की महिला अपने तीन छोटे बच्चों के साथ पति की शिकायत लेकर पहुंची थी। पति ने छोड़ दिया था और महिला को कोर्ट के आदेश के बावजूद भरण-पोषण नहीं दे रहा था। आवेदिका को पुलिस के पास जाने के लिए समझाईश दी गई। वहीं छोटे बच्चे एवं महिला की स्थिति देखते हुए उसे रेडक्रॉस के माध्यम से 13 हजार रुपए की सहायता दी गई। दरअसल कोर्ट ने करीब 6200 रुपए प्रतिमाह देने के लिए आदेशित किया था।
अरे तुम्हें तो लाड़ली बहना में होना चाहिए
महिला प्रेमा बाई को ना सिर्फ आर्थिक सहायता मिली बल्कि कलेक्टर ने महिला की आर्थिक स्थिति को समझते हुए कहा कि अरे तुम्हें तो लाड़ली बहना योजना में लाभ मिलना चाहिए था। महिला ने बताया कि कूपन और दस्तावेज पति ने रख लिए। आधार कार्ड भी नहीं है। कलेक्टर ने महिला एवं बाल कल्याण विभाग अधिकारी सुभाष जैन को महिला का पंजीयन लाड़ली बहना योजना में करवाने के लिए निर्देशित किया। वहीं आंगनवाड़ी केन्द्र में जगह रिक्त होने पर महिला को बच्चों के पालन-पोषण के लिए काम के अवसर देखने के भी निर्देश दिए। दरअसल इस तरह की संवेदनशीलता के पीछे महिला की पीड़ा भी सामने आई है। कोर्ट ने आदेश किए है पति भरण-पोषण नहीं देता है। शिकायत की तो उसे पकड़ा गया और जेल भी भेजा गया। 1 महीने जेल में रहने के बाद पति बाहर और भरण-पोषण देना बंद कर दिया। ऐसे में भटकती महिला को अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से जोड़ने के लिए कलेक्टर ने कहा है।
समस्या समझी तो चेक दिए
मुख्यालय के नालछा दरवाजा क्षेत्र से दंपत्ति अपनी बेटी की बीमारी में इलाज-सहायता के लिए आवेदन देने पहुंचे थे। पिछली दो जनसुनवाई से यह लोग पहुंच रहे है। बेटी को लाईलाज दुर्लभ बीमारी है। जिसमें सिर्फ दवाइयां ही दी जा सकती है। जिला अस्पताल में बच्ची को लगने वाली दवाइयां नहीं है। परिवार आर्थिक रूप से कमजोर भी है। विधायक से मुलाकात की तो उन्होंने आर्थिक सहायता देने हेतु आवेदन लिया है। इधर लगातार जनसुनवाई में आता देखकर मंगलवार को आवेदक अभय गोयल को 10 हजार रुपए का चेक भी रेडक्रॉस के माध्यम सेदिया गया। दिव्यांगों को श्रवण यंत्र एवं शौचालय हेतु आर्थिक सहायता भी मुहैया कराई गई।
ब्याजखोर कर्मी की शिकायत
आवेदनों में अधिकांश आवेदन बटांकन, सीमांकन, अवैध कब्जे, रास्ता दिलवाने जैसी आम ग्रामीण समस्याओं से जुड़े हुए थे। कुछ आवेदन कुटीर और आवास योजना की मांग को लेकर भी आए थे। इधर धार शहर से दो महिलाओं ने आदिम जाति कल्याण विभाग में कार्यरत कर्मी के पुत्र द्वारा 10 प्रतिशत पर ब्याजखोरी करने और राशि से चोगुनी राशि वसूलने की शिकायत की। इस आवेदन की जांच डिप्टी कलेक्टर को सौंपी गई है। वहीं विभागीय अधिकारी शुक्ला को भी कर्मी की जानकारी और मामले को समझने के लिए कहा है।
प्रायवेट पर कब्जे में कुछ नहीं कर पाऊंगा
जिला मुख्यालय से कुछ लोगों ने दादागिरी के बल पर मकान तोड़ने की धमकी को लेकर शिकायती आवेदन दिए है। मामला कलेक्टर के संज्ञान में था। उन्होंने आवेदकों से कहा जमीन सरकारी है या प्रायवेट। यदि सरकारी भूमि है और आप लंबे समय से काबिज है तो पट्टे दिलाने के प्रयास रहेंगे। निजी भूमि पर यदि कब्जा किया है तो सही नहीं है। उन्होंने एसडीएम वीरेन्द्र कटारे को निर्देशित किया कि वस्तुस्थिति को समझे और योग्य निराकरण करें।
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