झाबुआ~जिला प्रशासन दिखावे की नयी परिपाटी की ओर तो नही हो रहा अग्रसर~~
क्या प्रशासन ने झाबुआ जिले की मीडिया को भी भोले-भाले ग्रामीण समझ लिया है ~~
प्रशासन वातानुकूल कक्ष में मस्त और ग्रामीण कड़ी तपती धूप में पस्त~~
झाबुआ। संजय जैन-ब्यूरो चीफ~~
आधार कार्ड अपडेट हेतु ग्रामीणजन विगत कई दिनों से तपती कड़ी धूप में परेशान और प्रताड़ित हो रहे है। ग्रामीणों की इस समस्या को अधिकतर समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित कर प्रशासन की इस अव्यवस्था पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। गौरतलब है की ग्रामीण रात भर लाइन में लग रहे है। साथ ही दिन में भी कई घंटों तक भूखे प्यासे रहकर तपती कड़ी धूप में खड़े रह रहे। इनका जब नम्बर नहीं आता है तो वे अगले दिन फिर लाइन में लग जाते है।इसके बाद भी 4-5 दिन में भी इनके आधार कार्ड नहीं बन रहे है।
प्रशासन ने झाबुआ जिले की मीडिया को भी भोले-भाले ग्रामीण समझ लिया है क्या...?
कई समाचार पत्रों व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा इस ग्रामीणों की इस दयनीय समस्या से प्रशासन को अवगत कराने के बाद भी लगता है प्रशासन को खबरों से कोई फर्क नहीं पड़ा है। शायद उन्हें अपनी ग़लतियाँ छुपाने से ही मतलब है। क्या उन्होंने वातानुकूल कक्ष में बैठे-बैठे यह मान लिया है कि जन जाति समाज के ग्रामीणों को तो इंतज़ार करने और ठोकर खाने की आदत है...? मेरे पत्रकारिता के जीवन मे मैंने पहली बार देखा है कि इतने समाचार पत्रों में एक ही दिन और वो भी एक ही समस्या के समाचार एक साथ प्रकाशित हुए। लेकिन प्रशासन ने इस समस्या को जड़ से खत्म करने पर गभीरता से चिंतन करने के बजाय आनन फानन में एसडीएम सुनील झा को आधार कार्ड सेंटर पर कुछ समय के लिए भेज दिया। पहली बार जिले में इतने समाचार पत्रों की खबर को गलत साबित करने हेतु प्रशासन ने पीआरओ के माध्यम से शायद अपने मतलब हेतु शनिवार को ख़बर का हवाला देते हुए प्रेस नोट भी जारी कर दिया। मजेदार और हास्यास्पद बात तो यह है कि प्रशासन ने झाबुआ जिले की मीडिया को भी भोले-भाले ग्रामीण समझ लिया है क्या...? की वे ऐसे प्रेस नोट को अपने समाचार पत्र में स्थान दे देते। वही रविवार और सोमवार के सारे अखबारो में उस ख़बर को प्रशासन ढूंढता रह गया।किसी अनियमितता या भृष्टाचार को कोई पत्रकार अपने अखबार के माध्यम से उजागर करता है, तो वे लिखित में आवेदन देने हेतु पत्रकारों को कहती है।जबकि ख़बर अपने आप मे लिखित में ही होती है।अब इनके रहते पत्रकारों को अब शायद शिकायतकर्ता बनना पड़ सकता है। इस बात की चर्चा पत्रकार जगत में जोर शोर से चल रही है।
नगर में बना चुका है चर्चा का विषय...जिला प्रशासन दिखावे की नयी परिपाटी की ओर तो नही हो रहा अग्रसर...
जब हमारी टीम ने प्रकाशित समाचारों पर नगर के लोगो की प्रतिक्रिया जानने हेतु लोगो से चर्चा कि तो अधिकतर लोगों ने रोष पूर्वक कहा इतने समाचारों के बाद प्रशासन ने सिर्फ ओपचारिकता वाली कार्रवाई दिखावे हेतु कर दी है। कुछ लोगो ने व्यंग कसते हुए कहा कि वातानुकूल कक्ष से बाहर निकलकर मात्र कुछ समय आधार केंद्र पर खड़े भर रहने और देखने से कोई जाँच नहीं होती है जनाब। झाबुआ एसडीएम आधार केंद्र पोस्ट ऑफिस गये और कुछ समय वहाँ खड़े रहने के बाद उन्हें आधार केंद्र पर सब कुछ सही नज़र भी आ गया। लेकिन जो ग्रामीण घंटों तपती कड़ी धूप में खड़े रह कर आधार अपडेट करवाने आ रहे है उनका क्या.. ? वे जन जातीय आदिवासी ग्रामीण है ,तो उनकी तकलीफ कहा से नजर आयेगी। प्रशासन को शायद इनकी परेशानी से कोई मतलब नहीं है।
मैडम बात ही नही सुनती है....
प्राप्त सूत्रो नुसार ग्रामीणों ने एकजुट होकर कलेक्टर की शिकायत मुख्यमंत्री के दौरे के समय की थी। साथ ही सूत्र यह भी बताते है की खुले रूप से किसी कार्यकर्ता ने भी शिकायत की थी कि मैडम कोई बात ही नहीं सुनती और कोई काम ही नही करती है,तब उस समय कलेक्टर वहाँ उपस्थित भी थी। शिकायत ये भी हुई की मेडम सिर्फ मनमानी करती है वे बस अपना आदेश थोप देती है।यह हम नहीं कह रहे है, यह नगर की जनता और भाजपा कार्यकर्ता की आम जनचर्चा नगर में चल रही है।
गौरतलब है कि जिस तरह से जनसंपर्क विभाग से एसडीएम सुनील झा के निरीक्षण का प्रेस नोट जारी कर दिया,इससे साफ़ पता चलता है की प्रशासन अपनी गलती को ढकने या छुपाने के लिए क्या क्या कर सकता है.. ? जयस संगठन, आम आदमी पार्टी और भाजपा कार्यकर्ता द्वारा इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। वही कुछ मिनटों में एसडीएम जॉच कर चल दिए जिसका मतलब साफ़ है कलेक्टर का आदेश सिर्फ ओपचारिक ही था, उन्हें ग्रामीणों की परेशानी से शायद क्या मतलब होगा...?
नाम ना छापने की शर्त पर अधिकारियों ने हमे बताया कि वे मेडम से बेहद परेशान है। मेडम घंटों-घंटों तक बैठक ले लेती है। ऐसी आये दिन बैठके तो आज तक शायद किसी भी जिला मुखिया द्वारा नही ली गयी है। हमे समझ भी नही आ रहा है कि हम बैठक में बैठे या हमारा कार्य करे। हमारा घर परिवार है,उनके प्रति भी हमारा कुछ दायित्व है,उन्हें हम कैसे तकलीफ दे सकते है।
Post A Comment: