धार~ऐसा दृश्य अच्छा नहीं- नन्हें बच्चे को प्लास्टर चढ़ा दिया, काटने के समय काटी कन्नी~~

रोता रहा बच्चा, मां पानी डाल-डालकर प्लास्टर निकालती रही, यह लापरवाही मेहनतकश स्वास्थ्यकर्मियों की छवि खराब करती है~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )। 

बेहतरीन आॅपरेशनों को अंजाम देकर सुर्खियों में रहने वाला जिला अस्पताल मंगलवार को कुछ कर्मियों की लापरवाही के चलते जहां एक मां के लिए परेशानी का सबब बना। वहीं एक नन्हें बच्चे के लिए भी यातना से कम नहीं रहा। दरअसल समय अवधि पूरी होने पर धामनोद निवासी आदिवासी महिला रंजना वास्केल को अपने नन्हें बच्चे को लेकर कमर से नीचे दोनों पैरों पर चढ़ाए गए प्लास्टर को कटवाने के लिए घंटों परेशान होना पड़ा। हालात यह रहे कि महिला को अपने बच्चे को पट्टा हाथ से ही उतारना पड़ा। इस दौरान बच्चा रोता रहा। अस्पताल में मौजूद दूसरी महिलाओं ने जब अकेली महिला को पट्टा काटने में जुझते देखा तो ब्लैड लेकर वह भी पट्टा काटने लगी। आधे घंटे की मशक्कत के बाद भी आधा पट्टा ही कट पाया। इस घटना को देखकर राहुल पटेल निवासी खरमपुर ने मामला आरएमओ डॉक्टर संजय जोशी तक पहुंचाया। उसके बाद उन्होंने कर्मी भेजकर बच्चे का शेष पट्टा कटवाया।
दोपहर से शाम तक बैठाया
महिला रंजना वास्केल ने बताया कि करीब सवा महीने पहले बाईक से परिवार सहित जा रहे थे। उस दौरान दुर्घटना हो गई थी। जिसमें आगे बैठा बच्चा चोटिल हो गया था। जिसे अस्पताल में पट्टा चढ़ाया गया था। आज मंगलवार को बाईक से पट्टा कटवाने के लिए बच्चे को लेकर पहुंचे थे। हमें कर्मियों ने बताया कि डॉक्टर साहब आपरेशन में है, 5 बजे बाद मिलेंगे। इसके बाद हमें सुझाव दिया गया कि तब तक आप पट्टे को गीला करते रहे। इसके बाद कई मर्तबा सूखा होने का हवाला देकर पट्टा गीला करवाया गया। अंत में हमसे कहा गया कि आप स्वयं ही पट्टा उतार लो। हमारी बाईक में लाईट भी नहीं है। हमें धामनोद भी लौटना था। फिर दुर्घटना ना हो इसलिए मजबूरी में पट्टा उतारने की कोशिश कर रहे थे। लोगों ने मदद की, लेकिन दो-तीन परत के बाद पट्टा ब्लैड से भी नहीं कटा। ओपीडी में डॉक्टर मोहन जमरा की मंगलवार ड्यूटी थी।
इनका कहना है
महिला अपने बच्चे का प्लास्टर कटवाने के लिए ओपीडी में नहीं आई। मुझे शाम को सूचना मिली कि इस तरह की स्थिति उत्पन्न हुई है। मैं तुरंत मौके पर पहुंचा। वहां पर स्टॉफ ने पट्टा ने शेष पट्टा काट दिया था। बच्चे का एक्स-रे करवाया है। उसकी हड्डियां पूर्णत: जुड़ गई है। दवाई दे दी गई है। वह स्वस्थ्य है और घर लौट गए है।
डॉ मोहन जमरा, हड्डी रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल धार
चित्र है 4धार13-
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तत्काल आदेश की रफ्तार धीमी, डॉक्टर नहीं हुए रिलीव
जिला अस्पताल में तत्काल आदेश की रफ्तार धीमी है। 14 मार्च को जारी तत्काल प्रभावशील आदेश का पालन 21 दिन बाद भी नहीं हो पाया है। मामला स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नीरज बागड़े को एक जांच के चलते कार्य व्यवस्था की दृष्टि से पीथमपुर में भेजे जाने का है। सबसे मुख्य बात यह है कि भाजपा जिलाध्यक्ष राजीव यादव को कार्य प्रणाली संबंधी कई शिकायतें मिली थी। जिसमें एक शिकायत के बाद उन्होंने मामला सीएमएचओ को बताया था। उस शिकायत की जांच प्रचलन में होने के चलते डॉ बागड़े को दूसरे स्थान पर भेजा जा रहा था। यह भी नहीं हो पाया है।
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