झाबुआ~निजी स्कूलों को सुचना पटल पर चस्पा करना होती है,5 पुस्तक विक्रेताओं की सूची-हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जिम्मेदारों ने आदेश को ताक में रखा-साठगांठ के चलते हर बार की तरह ओपचारिकता बन कर रह गया आदेश ..........
एनसीईआरटी की 260 रुपए की पुस्तकों को निजी प्रकाशक से छपवाकर 2 से 4 हजार में बेच रहे निजी स्कूल,किताबें और ड्रेस सिर्फ कुछ चुनिंदा दुकानों पर-ठगे जा रहे अभिभावक

झाबुआ। संजय जैन~~




जिले भर में नया शिक्षा सत्र 4 अप्रैल से शुरू हो गया है। इसके साथ ही सीबीएसई वाले प्राइवेट स्कूल संचालकों ने किताबों के कमीशन का खेल भी शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों ने अप्रैल से ही नया सत्र शुरू करते हुए किताबें व यूनिफार्म बेचने का बड़ा कारोबार शुरू कर दिया। खासकर सीबीएसई मान्यता वाले स्कूल संचालकों ने तो किताबों के नाम पर तय सिलेबस की कीमत से 20 गुना ज्यादा तक वसूलना शुरू कर दिया। कक्षा 1 की जो किताबें 260 में सहज उपलब्ध हो रही है। उसी सिलेबस को निजी प्रकाशक से छपवाकर स्कूल संचालक 2 से 4 हजार रुपए में चुनिंदा दुकानों के माध्यम से बिकवाने में लगे है। निजी स्कूल विद्यार्थियों को एनसीईआरटी की किताबों की जगह दिल्ली के प्रकाशकों की किताबें खरीदने को कहा जाता है । इस तरह प्रकाशक,निजी स्कूल और दुकानदार की सांठगांठ से हर साल हजारों अभिभावक ठगी का शिकार हो रहे हैं। स्कूलों ने 15 दिन पहले ही सिलेबस की सूची जारी की है। अब स्थानीय दुकानदार उस सिलेबस के हिसाब से किताबों की व्यवस्था कर रहे हैं। शासन के निर्देशों के बावजूद भी निजी स्कूलों की किताबें केवल निश्चित दुकानों पर ही उपलब्ध हैं। जबकि केंद्रीय विद्यालय के विद्यार्थियों को शहर की किसी भी स्टेशनरी पर किताबें मिल जाती है।

निजी स्कूलों को सुचना पटल पर चस्पा करना करना होती है-5 पुस्तक विक्रेताओं की सूची..........................
निजी स्कूल संचालकों और पुस्तक विक्रेताओं के गठजोड़ को खत्म करने के लिए तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने गत वर्ष 5 अप्रैल 22 को आदेश जारी किया था कि सभी निजी स्कूल पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सुचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करे। बावजूद इसके हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी जिम्मेदारों ने इस आदेश को ताक में रखते हुए,किसी भी स्कूल का निरिक्षण तक नहीं किया है। भ्रष्ट तंत्र को पालकों से हो रही लूट खसोट से कोई सरोकार नहीं है। न तो किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इस तरफ ध्यान दिया और न ही शिक्षा अधिकारियों ने। हर बार की तरह किसी भी निजी स्कूल ने इस आदेश का पालन इस वर्ष भी नहीं किया है।

ठगे जा रहे अभिभावक......
नवीन शिक्षण सत्र में निजी स्कूल संचालक अभिभावकों से नई कक्षा की किताबें मंगवाने लगे हैं। निजी स्कूलों की किताबें किसी एक विशेष दुकान पर मिलने की वजह से अभिभावक मोलभाव नहीं कर पाते हैं बल्कि उन्हें मुंह मांगे दाम चुकाने को मजबूर होना पड़ रहा है। अभिभावक ठगे जा रहे हैं। 5 अप्रैल 22 को तत्कालीन कलेक्टर ने आदेश जारी किया था सभी निजी स्कूल अपने यहां संचालित होने वाले पाठ्यक्रम और वे किन पांच दुकानों पर उपलब्ध है,इसकी सूची विद्यालय के सूचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा किये जाय। लेकिन इस आदेश का पालन अब तक किसी भी निजी स्कूल ने नहीं किया है। निजी सीबीएसई स्कूल संचालकों को तो अधिकारियों का डर ही नहीं है। वे सीधे केंद्र की मान्यता का हवाला देकर यहां के अधिकारियों को चलता कर देते है।

आने लगा पालकों को किताबें खरीदने में पसीना .........
एनसीईआरटी की किताबें तो सस्ती है, परंतु निजी प्रकाशकों की किताबों की कीमत इतनी ज्यादा है कि पालकों को उन्हें खरीदने में ही पसीना आने लगा है। कोर्स और यूनिफॉर्म स्कूल संचालकों ने अपनी सुविधा के अनुसार बुक स्टॉल पर सेट करके रखे हैं, उन्हीं की दुकानों पर उनके स्कूलों का कोर्स उपलब्ध है।एक बच्चे का कोर्स 2400 से 3200 रुपए में चुनिंदा दुकानों के माध्यम से बेची जा रही है,जबकि केंद्रीय विद्यालय का कोर्स 500 से 800 रुपए के बीच मिल रहा है। इतना ही नहीं,प्राइवेट स्कूलों में री-एडमिशन के नाम पर भी फीस की वसूली की जा रही है। इसका पालकों द्वारा विरोध भी किया जा रहा है,लेकिन स्कूल संचालक कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति में पालकों को 7 हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक की राशि री-एडमिशन के नाम पर स्कूलों में जमा करवाना पड़ रही है,जबकि नए प्रवेश की राशि तो 15 से 20 हजार रुपए तक ली जा रही है।

किताबों के साथ स्कूल ड्रेस का भी यही हाल........
निजी स्कूलों में चलने वाली किताबों के साथ उनकी ड्रेस भी बाजार में चुनिंदा दुकानों पर ही उपलब्ध है। परिणामस्वरूप किताबों की भांति अभिभावकों को स्कूल ड्रेस के लिए भी मुंह मांगे पैसे चुकाने होते हैं। खास बात तो यह है कि शहर में स्टेशनरी की करीब आधा सैकड़ा से अधिक दुकानें हैं। वहीं रेडीमेड गारमेंट्स की संख्या इनसे दोगुनी है। लेकिन शहर में 90 फीसदी स्कूल 2 से 4 स्टेशनरी और रेडीमेड दुकानों पर सेट हैं।

***पड़ताल-1****
एलकेजी के पर्चे में 16 कॉपी-किताबें, बिल भी कच्चा थमाया............
स्टेशनरी की दुकान से मिले एक पर्चे में एलकेजी के विद्यार्थी के लिए 16 कॉपी-किताबें दी गईं। नाम न छापने की शर्त पर अभिभावक ने बताया कि सात किताबें और 9 प्रकार की कॉपियां शामिल थी,16 किताबों की कीमत 2810 रुपए लगाई गई। इसके अलावा कलर,कवर आदि थमाकर कुल 3369 रुपए देने को कहा। इतना ही नहीं जब दुकानदार से पक्का बिल मांगा तो दुकानदार बोला किताबों में पहले से टैक्स कटा है और मैंने किताबों की लिस्ट बनाकर दी है। इसका पक्का बिल नहीं दिया जाता।


****पड़ताल-2****
एक किताब मांगी,तो बोले पूरा सेट ही लेना पड़ेगा.....
झाबुआ मुख्य बाजार स्थित स्टेशनरी की दुकान पर जब एक अभिभावक ने पहली कक्षा की ईवीएस विषय की एक किताब मांगी तो दुकानदार ने एक किताब देने से मना कर दिया। बोला आपको पूरा सेट ही लेना पड़ेगा। इतना ही नहीं किताबों के साथ कॉपी,रोल,स्केल,पेन-पैंसिल और स्टेशनरी की अन्य सामग्री का पूरा सेट बनाकर दिया जा रहा है।

करना यह था,लुटेरों पर अंकुश लग जाता,प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत.......
आदेश में सूचना पटल के साथ -साथ पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम की सूची की एक प्रतिलिपि भी स्कूलों के लिए जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर अनिवार्य रूप से तय सीमा के भीतर पहुंचाने का आदेश जारी करना था। जिससे बड़ी आसानी से प्रभावी लुटेरों दुकानदारों पर अंकुश लग जाता,ऐसा हमारा मानना है।

प्रशासन सख्त हो तो ही खत्म हो सकेगी निजी स्कूलों की मनमानी.........
यह समस्या हर साल की है। नवीन शिक्षण सत्र प्रारंभ होते ही निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को विशेष दुकान से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे अभिभावक मोलभाव नहीं कर पाता है। अच्छा कमीशन पाने के लिए निजी स्कूल निजी प्रकाशकों के महंगे पाठ्यक्रम अभिभावकों से खरीदवाते हैं। प्रशासन को चाहिए कि इस मोनोपोली को खत्म करने के लिए सख्ती से कदम उठाए जाएं। यदि 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सूचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करने का आदेश है तो इसका सख्ती से पालन कराना भी जिला शिक्षा अधिकारी की जिम्मेदारी है।
..........जितेंद्र सिंह राठौर- रहवासी- झाबुआ

स्कूल मनमानी कर रहे हैं तो कार्रवाई की जाएगी......
इस संबंध में तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने गत वर्ष 5 अप्रैल 22 को आदेश जारी किया था कि सभी निजी स्कूल पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सुचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा करे। कोई भी स्कूल निरिक्षण के दौरान इस आदेश का उल्लंघन करते पाया गया तो कलेक्टर साहब से मार्गदर्शन लेकर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
.............ओपी बनडे-जिला शिक्षा अधिकारी-झाबुआ

कार्रवाई करेंगे............................
निजी स्कूलों को स्कूल पुस्तक और शाला गणवेश उपलब्ध कराने वाली कम से कम 5-5 दुकानों के नाम विद्यालय के सूचना पटल पर स्वच्छ एवं स्पष्ट रूप से चस्पा के लिए शासन के स्पष्ट निर्देश है। किसी भी स्कूल द्वारा अभिभावकों को एक निश्चित दुकान पर नहीं भेजा जा सकता है। यदि उनके द्वारा सूची चस्पा नहीं की गई है ,तो निजी स्कूलों द्वारा चलाए जा रहे सिलेबस और बेची जा रही किताबों की जानकारी लेंगे। इस संबंध में डीईओ से चर्चा कर, हुआ तो मान्यता रद्द करने की कार्रवाई भी की जाएगी।
...........तन्वी हुड्डा-कलेक्टर-झाबुआ


 




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