झाबुआ~पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा की गंभीरता से लगभग 80 करोड़ से अधिक की बेशकीमती सरकारी जमीन भू-माफिया से हुई मुक्त-जिले के सबसे बड़े भू-माफिया पर गिरी गाज~~
गरीब की जोरू,सबकी भाभी........इसी तर्ज पर प्रभावी लोग कर रहे हैं अपने नाम सरकारी जमीनो को~~
कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर करोड़ों की सरकारी जमीन भंडारी परिवार ने करवा ली थी अपने नाम-नामांतरण खारिज~~
अब देखना यह है कि मामाजी का बुल डोजर कब चलेगा भू-माफिया पर???......आमजन~~
पीडब्ल्यूडी-लोक निर्माण विभाग के मुख्य कार्यालय लगभग 80 करोड़ से अधिक की बेशकीमती जमीन का विवाद अब लगभग सुलझ गया है। गरीब की जोरू....सबकी भाभी,इसी तर्ज पर सरकारी जमीनो को प्रभावी लोग अपने नाम कर रहे हैं। प्रशासन की उदासीनता के चलते प्रशासनिक अमला ही मुख्य भूमिका निभाता है। बिना गिरदावर या पटवारी के खाता खसरा में नाम दर्ज कैसे हो जाता है ...? यह साधारण व्यक्ति तो कर ही नहीं सकता।
मुक्त हुई बेशकीमती सरकारी जमीन भू-माफिया से ...........
केसरीमल चुन्नीलाल जो पूरी जमीन के मालिक थे,वे शांतिलाल भंडारी के रिश्तेदार थे। वर्ष 1960 में उन्होंने एक वसीयत नामा तैयार किया था , जिसमें अपना वारिश शांतिलाल भंडारी को बनाया था। इसके आधार पर वर्ष 2012 में शांतिलाल के बेटे मनोहर भंडारी,राजेंद्र,प्रदीप और पत्नी लीला भंडारी ने लोक निर्माण विभाग को दी गई जमीन कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर राजस्व रिकार्ड में अपने नाम दर्ज करवा ली और इसकी भनक किसी को भी नहीं लगने दी। पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने तत्परता दिखाते हुए इस मामले में जांच के आदेश देकर अहम रोल अदा किया था जिसके परिणाम स्वरूप बहुत ही बेशकीमती सरकारी जमीन भू-माफिया से मुक्त हुई।
केसरीमल चुन्नीलाल जो पूरी जमीन के मालिक थे,वे शांतिलाल भंडारी के रिश्तेदार थे। वर्ष 1960 में उन्होंने एक वसीयत नामा तैयार किया था , जिसमें अपना वारिश शांतिलाल भंडारी को बनाया था। इसके आधार पर वर्ष 2012 में शांतिलाल के बेटे मनोहर भंडारी,राजेंद्र,प्रदीप और पत्नी लीला भंडारी ने लोक निर्माण विभाग को दी गई जमीन कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत कर राजस्व रिकार्ड में अपने नाम दर्ज करवा ली और इसकी भनक किसी को भी नहीं लगने दी। पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने तत्परता दिखाते हुए इस मामले में जांच के आदेश देकर अहम रोल अदा किया था जिसके परिणाम स्वरूप बहुत ही बेशकीमती सरकारी जमीन भू-माफिया से मुक्त हुई।
भू-माफिया को भारी पड़ गयी सीना-जोरी.....................
वर्ष 2020 में जब भंडारी परिवार ने जमीन पर बाउंड्री वॉल का निर्माण शुरू किया तो मामले का खुलासा हुआ। जब यह मामला तुड़ पकड़ने लगा तो भू-माफिया लगभग 2 वर्ष तक शांत रहा। इसके बाद हाल में अवकाश के दिन रविवार 24 जुलाई 2022 को कार्यालय की सीमा में बिना इजाजत जमीन की नपती हेतु राजेंद्र शांतिलाल भंडारी 5 से 6 लोगो के साथ नपती के उपकरण लेकर दाखिल हुआ। इसकी सुचना जैसे ही पीडब्ल्यूडी कर्मचारी डामोर को मिली,वे कार्यालय पहुँच कर भू-माफिया से नपती के आदेश की कॉपी मांगी। इस पर उसे डराया-धमकाया गया ,उन्होंने तुरंत सुचना अपने अधीनस्थ अधिकारी लोक निर्माण विभाग के एसडीओ डीके शुक्ला को सूचित किया। अंतत: भू माफिया को उल्टे पैर लौटना पड़ा। उक्त मामला जैसे ही पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा के संज्ञान में आया उन्होंने लोक निर्माण विभाग को एफआयआर दर्ज करने हेतु निर्देशित किया,जिसके बाद उसी दिन लोक निर्माण विभाग के एसडीओ डीके शुक्ला ने भू-माफिया राजेंद्र शांतिलाल भंडारी निवासी झाबुआ के खिलाफ धारा 353 गैर जमानती-शासकीय कार्य में बाधा के तहत प्रकरण दर्ज करवाया। उपरोक्त सीना-जोरी ही भू-माफिया को भारी पड़ गयी,जिसके परिणामस्वरूप उसे इस बेशकीमती सरकारी जमीन से हाथ धोना पड़ गया।
यह किया था भू-माफिया ने दावा ........
भू-माफिया ने पिछले साल लोक निर्माण विभाग के मुख्य कार्यालय के पीछे वाली जमीन पर बाउंड्री वाल बना दी थी। भू-माफिया ने दावा ये किया था की जमीन उसकी है,जमीन पर सरकारी दफ्तर और कलेक्टर निवास भी उसका है। जमीन केसरीमल चुन्नीलाल भंडारी के नाम दर्ज थी,उन्होंने ये जमीन वर्ष 1961-62 में शासन को हस्तारित कर दी थी, इसके लिए उन्हें मुआवजा भी प्रदान कर दिया गया था। लोक निर्माण विभाग का दफ्तर 50 से 60 साल पुराना है।
भू-माफिया के एफआयआर के बाद भी हौसले थे बुलंद.....
एफआयआर के बाद भू-माफिया राजेंद्र भंडारी लगभग 15 से 20 दिन झाबुआ से गायब हो गया था। जमानत के आदेश मिलने के बाद ही झाबुआ पंहुचा और नगर में खुले आम घूमता नजर आया। वह नगर में यह कहता हुआ नजर आया की जमीन पर सरकारी दफ्तर और कलेक्टर निवास हमारा है ,हमारे नाम से सभी दस्तावेज भी है और हम इसे लेकर ही रहेंगे।
ऐसे चला आगे मामला...........
एफआयआर के बाद दिनांक 7 अगस्त 2022 को लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री मुकरामसिंग रावत द्वारा एसडीएम झाबुआ को धारा 5 अवधि विधान के अधिनियम के अंतर्गत शपथ पत्र के साथ अधीनस्थ तहसीलदार झाबुआ के न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 46/अ/6/2012-13 में पारित आदेश दिनांक 20 दिसम्बर 2013 में लोक निर्माण विभाग को संयोजित किये बिना व पक्ष श्रवण किये बिना एक पक्षीय लोक व्यवस्था के विरुद्ध पारित उक्त आदेश होने से निरस्त किया जाकर ग्राम माधोपुरा स्थित जिसका पुराना सर्वे नंबर 31/1/1 रकबा 0.291 हेक्टेयर वर्तमान सर्वे नंबर 66 पर दर्ज नामों को विलोपित कर मप्र लोक निर्माण विभाग दर्ज किया जाए,ऐसा आवेदन प्रस्तुत किया था।
सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं .........
प्रकरण एसडीएम न्यायालय में चल रहा था,अंतत: सत्य की जीत हुई। केसरीमल चुन्नीलाल का वारिस नामा 1960 का है और जमीन का मुआवजा जीवित अवस्था में ही उनके द्वारा वर्ष 1961-62 में प्राप्त कर लिया गया था। झाबुआ न्यायालय एसडीएम सुनील कुमार झा ने इस मामले का बेहद गंभीरता से अवलोकन किया और विवेचना के आधार पर प्रकरण क्रमांक 0034/अपील/2022-23 के तहत न्यायालय तहसीलदार,तहसील झाबुआ के न्यायालयीन प्रकरण क्रमांक 46/अ/6/2012-13 में पारित आदेश 20 दिसम्बर 2013 पूर्णत: विधिक एवं प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों के विपरीत होकर त्रुटिपूर्ण होने से निरस्त कर दिया और उक्त भूमि पर से भंडारी परिवार का नाम विलोपित कर मप्र लोक निर्माण विभाग का नाम दर्ज करने हेतु दिनांक 4 नवंबर 2022 को आदेश पारित किया।
०००००००० बॉक्स खबर ००००००
नगर में चल पड़ा चर्चाओं का दौर ...........मामाजी का बुल डोजर अब भू-माफिया पर कब चलेगा....?
जब इस मामले को लेकर हमारी टीम ने नगर का भृमण किया तो अधिकतर लोगो का कहना था,प्रशासन ने सही रणनीति और सजगता दिखाकर शैतान बच्चे को मॉनिटर बना दिया। जिससे अब सब छोटे-मोटे भू-माफियो में हड़कंप मच जायेगा। प्रशासन चाहे तो कोई भी किसी की भी 1 इंच भी जमीन नहीं हथिया सकता है। कुछ लोग व्यंग्य करते हुए कह रहे थे कि हम जैसे समझदार लोग इतने वर्षो से वही के वही है और ऐसे भू-माफिया हेराफेरी कर आज नगर शेठ बने बैठे है । हमें आज पता चला वे ऐसे हेरा फेरी करके नगर शेठ बने है। कुछ लोग चटकारे लेते हुए कह रहे थे कि अब तक का जिले का सबसे बड़े भू-माफिया उजागर हुआ है,तो अब देखना है कि मामाजी का बुल डोजर भू-माफिया पर कब चलेगा....? और उसके प्रशासनिक सहयोगियों को तुरंत प्रभाव से निलंबन कब किया जायेगा.....? हमारा तो मानना है कि अब सब पर बारी-बारी से प्रकरण भी दर्ज होना चाहिए।
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