दसई~~कैसे होगा देश के प्रधानमंत्री का सपना सहकार विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़ा गांव होने के बाद भी आज तक दसई बस स्टैंड पर नहीं है महिला शौचालय की व्यवस्था~~

क्या कारण है कि दोनों ही दलों के सरपंच पूर्व से रहे लेकिन सुलभ शोचालय नही बनवा पाये~~

जगदीश चौधरी खिलेडी6261395702


देश को प्रधानमंत्री का सपना स्वच्छ भारत मिशन को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन को लेकर प्रदेश सरकार व जिला अधिकारियों व जनता से लगातार अपील की जा रही है की अपने घर अपने गांव व जिला व अपने प्रदेश को स्वच्छ बनाए रखें लेकिन सरदारपुर विधानसभा की ग्राम पंचायत दसई में बस स्टैंड पर आज तक महिला शौचालय नही बनी है प्रधानमंत्री  के द्वारा महिलाओं की सुविधाओं को लेकर कई योजनाए लागू  की जा रही हैं जैसे उज्ज्वला गैस योजना व प्रधानमंत्री आवास योजना इस प्रकार महिलाओं के लिए कई प्रकार की योजना मोदी सरकार के द्वारा लागू की गई वहीं मध्य प्रदेश में बेठी शिवराज सरकार के द्वारा भी महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई बार बड़े-बड़े बयान सामने आ रहे हैं और महिलाओं को प्रदेश सरकार के द्वारा तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही है ऐसे में धार जिले की सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र का सबसे बड़े गांव दसई मैं बस स्टैंड पर आई सुलभ शोचालय ही निर्धारित स्थान से गायब कर दी है। पंचायत क्षेत्र के अंदर नया बाजार , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंदर में बने सार्वजनिक  शौचालय की हालत इतनी खराब है की वहां जाना तो दूर उसके पास से गुजरना भी कोई पसंद नहीं करता है इस अवस्था में पड़े रहे सार्वजनिक शौचालय तो खंडहर में तब्दील हो सकते हैं आखिरकार सरकार के पैसे का क्यों किया जा रहा है दुरुपयोग। सरकार जनता तमाम सुविधा देने के लिए तैयार है लेकिन निचले स्तर पर बैठे कर्मचारियों की लापरवाही व भ्रष्टाचार की वजह से आम जनता की नजर में सरकार की छवि खराब की जा रही है। 
रोजगार सहायक का कारनामा उच्च अधिकारियों पर पड़ सकता है भारी तत्कालीन रोजगार सहायक के द्वारा बस स्टेंड पर आई हुई सुलभ शोचालय को डायवर्ट कर अस्पताल में बना दिया गया जो कि खुद शासकीय कर्मचारी के द्वारा नियमो का खिलवाड़ करने जैसा है वही जब पूर्व में इस कृत्य को लेकर स्थानीय प्रतिनिधि ने रोजगार सहायक से उक्त सुलभ शोचालय के स्थान परिवर्तन को लेकर सवाल जवाब किये थे तो गोलमाल जवाब दिया गया था और कहा गया था कि बस स्टेंड के शोचालय का संधारण कर दिया जाएगा पर दो वर्ष बीतने के बाद भी रोजगार सहायक ने कुछ सुधार नही किया। सूत्रों की माने तो उक्त रोजगार सहायक पिछले 5 वर्षों से कुंडली मार कर बेठे है और हर शासकीय काम मे ऐसे ही अपने मन माफिक फेरबदल करते आये है वही कुछ सूत्र ये भी बताते है की तीन तीन लाख की लागत से बने ये सुलभ शौचालय वस्तुस्थिति में 1 लाख रुपये से भी कम लागत में बने है जो जल्द ही अपनी गुणवत्ता को स्वतः ही दर्शा देंगे।
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