धार~तपोभूमि नित्यानंद आश्रम में समाधि महोत्सव पर हुआ रूद्राभिषेक, निकली पालकी यात्रा ~~

गुरुभक्तों ने समाधि पर वस्त्र, फल, फूल, सुगंध किए अर्पित, यज्ञ की हुई पूर्णाहुति ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )

समय सुबह चार बजे...ब्रह्म मुहूर्त...समाधि मंदिर के गर्भ गृह में बैठे ब्राह्मण.... मंत्रोच्चार की तेज ध्वनियां.....गर्भ गृह के बाहर शांत बैठे दूर दूर से आए गुरु भक्त...पूर्णत: आध्यात्मिक माहौल। ये दृश्य था दशहरे पर नित्यानंद आश्रम में आयोजित समाधि महोत्सव के आरंभ का। दशहरा भारत वर्ष का एक प्रमुख पर्व है। धार शहरवासियों के लिए यह पर्व महापर्व है। दशहरे के दिन ही नित्यानंद आश्रम के अवधूत नित्यानंद बापजी ने अपना शरीर त्याग समाधि ली थी। यही एक कारण है कि गुरु भक्तों और स्थानीय निवासियों के लिए यह आस्था और गुरु भक्ति का महापर्व हो जाता है। 
अवधूत की है तपो भूमि 
इंदौर अहमदाबाद मार्ग पर स्थित नित्यानंद आश्रम समर्थ अवधूत नित्यानंद बापजी की तपोभूमि है।  बाप जी ने यहां पर वर्षों रहकर तप, साधना की और इस भूमि को तपोभूमि बना दिया।  नित्यानंद बापजी एक उच्च कोटि के अवधूत संत हुए है। अपने जीवनकाल में उन्होंने  आने वाले हर आगंतुक के कष्टों को दूर किया व उनका कल्याण किया। बापजी के किए तप का  प्रभाव यह है कि आज भी यह भूमि आने वाले हर आगंतुक की हर मनोकामना पूरी करती है। नित्यानंद  बापजी को समाधि लिए 74 वर्ष हो चुके हैं लेकिन आज भी उनकी जीवंत अनुभूति यहां आने वालों को होती है। 
ब्रह्म मुहूर्त में हुआ महारुद्राभिषेक
समाधि महोत्सव की शुरुआत सुबह 4 बजे नित्यानंद बापजी के महारुद्राभिषेक से की गई। समाधि मंदिर के गर्भ गृह में पंडितों द्वारा मंत्रोच्चार कर बापजी का अभिषेक किया गया। अभिषेक के बाद उपस्थित गुरु भक्तों ने समाधि पर वस्त्र, फल, फूल, सुगंध अर्पित किए। तत्पश्चात महाआरती कर प्रसाद वितरण किया गया। सुबह 9 बजे नियमित होने वाली आरती की गई। पश्चात पिछले 9 दिनों से आश्रम में चल रहे हैं यज्ञ की पूर्णाहुति की गई।  शाम को चार बजे बापजी की पालकी यात्रा निकाली गई जो की समाधि मंदिर से शुरू होकर आश्रम परिसर में घूमकर पुन: समाधि मंदिर पर आकर समाप्त हुई। पालकी यात्रा में बड़ी संख्या में गुरु भक्तों ने भाग लिया। 
दूर दूर से आए गुरु भक्त 
दशहरा पर्व आश्रम का वर्ष का सबसे बड़ा व महत्वपूर्ण पर्व होता है। यही कारण है कि इस दिन यहां स्थानीय के अलावा अन्य शहरों, अन्य प्रदेशों से भी गुरु भक्त दर्शन पूजन के लिए आते है। बाहर से आने वाले भक्तों में गुजरात, राजस्थान महाराष्टÑ से आने वाले भक्तों की काफी बड़ी संख्या थी। 
अलौकिक आनंद की होती है अनुभूति 
नित्यानंद आश्रम गढ़ कालिका माता के देवी सागर तालाब के किनारे स्थित है। देवी सागर तालाब का किनारा, आश्रम में लगे सुंदर पेड़ पौधे आश्रम के अध्यात्मिक माहौल को और अधिक बढ़ा देते है। यही कारण है कि यहां आने वाले हर व्यक्ति को यहां पर आत्मिक सुकून का अनुभव होता है।  अवधूत नित्यानंद बापजी की ये तपोभूमि आज भी यहां आने वाले कई दर्शनार्थियों, भक्तों का कल्याण कर रही है। आश्रम की एक विशेषता और है यहां पर कई तरह के पशु पक्षी वन की तरह एक साथ विचरण करते हैं। 

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