धार~जागी उम्मीदें- 5 करोड़ की राशि से कॉलोनी के अधूरे विकास कार्य होंगे पूर्ण, पैसे के लिए लिखा पत्र ~~

22 साल से 300 से अधिक कर्मचारियों को ‘भूखंड हक’ का है इंतजार~~

मामला जेतपुरा में राज्य कर्मचारी आवास निगम की 488 भूखंड की कॉलोनी का ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )। 

जिले के 300 से अधिक सरकारी कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है। पिछले 22 सालों से भूखंड के हक का इंतजार कर रहे कर्मचारियों की कॉलोनी में अधूरे विकास कार्य को गति मिलने की उम्मीदें बंध गई है।   करीब दो दशक बाद कर्मचारी हित से जुड़े मुद्दे पर धार कलेक्टर डॉ पंकज जैन की सक्रियता से गंभीरता  के साथ प्रयास शुरु हो गए है। टीएल में कलेक्टर द्वारा कर्मचारी आवास कॉलोनी का मामला लेने के बाद अब हाऊसिंग बोर्ड ने कॉलोनी के प्रथम चरण के अधूरे विकास कार्य एवं द्वितीय चरण में सीसी रोड सहित अन्य कायो्रं को पूर्ण कराने के लिए निगम से करीब 5 करोड़ की राशि के लिए पत्राचार किया है। इस मामले में भोपाल स्तर पर भी जल्द राशि जारी करवाने के लिए चर्चा की जा रही है। राशि आवंटन पर कॉलोनी में विकास कार्य पूर्ण होते ही जमीन का हक मिल जाएगा। उल्लेखनीय है कि करीब 326 राज्य सरकार के कर्मचारियों को भूखंड दिए गए थे। कई कर्मचारी प्लाट का सपना लेकर रिटायर्ड भी हो गए है। 
10 करोड़ की जमीन नहीं बिकी 
राज्य कर्मचारी आवास निगम के माध्यम से ग्राम जेतपुरा में करीब 12 हैक्टेयर भूमि पर कर्मचारी आवास कॉलोनी विकसित की जा रही थी। इसमें 326 कर्मचारियों ने भूखंड के लिए पैसे जमा कराना शुरु किया था। 488 भूखंड पूरी कॉलोनी में थे। अभी भी करीब 162 भूखंड विक्रय नहीं हुए है। वर्तमान में इनकी कीमत करीब 10 करोड़ से अधिक आंकी जा रही है। अधूरे विकास कार्य को पूर्ण कराने के बाद जहां 326 कर्मचारियों को 20-25 साल इंतजार के बाद हक मिलेगा। वहीं विक्रय ना किए गए भूखंड को विक्रय करने से विकास कार्यों के लिए लगाई गई राशि के अतिरिक्त करोड़ों की राशि प्राप्त हो सकेगी। 
यह है मामला 
ग्राम जेतपुरा में सन् 2000 में खसरा क्रमांक 47, 48, 50 पैकी एवं 60 पैकी की 12   हैक्टेयर शासकीय भूमि तत्कालीन कलेक्टर द्वारा राज्य कर्मचारी आवास योजना के लिए आवंटित की थी। इस कॉलोनी में विकास कार्य के लिए मप्र गृहनिर्माण मंडल धार को नियुक्त किया गया था। उस दौरान  डेÑनेज, टंकी, विद्युत पोल सहित कई काम करवाए गए थे। इसके पश्चात पेयजल आपूर्ति को लेकर निकाय को राशि जारी की गई थी। तमाम कवायद के बाद कर्मचारियों को भूखंड आवंटित नहीं किए गए। इस दौरान दशकों तक कर्मचारी भूखंड के शुल्क के रूप में अपने परिश्रम की कमाई जमा कराते रहे है, लेकिन उन्हें आज तक रजिस्ट्री का हक नहीं मिल पाया है। तत्कालीन कलेक्टर जयश्री कियावत के हस्तक्षेप से कलेक्टर कार्यालय के जमादार अमरसिंह राठौर की रजिस्ट्री हो गई थी। कॉलोनी में एक मात्र मकान श्री राठौर का बना है। वहीं 2-3 और मकान अधूरे बने पड़े है। दो दशक में पूर्व में कराए गए विकास कार्य भी जीर्णशीर्ण स्थिति में हो गए है। कॉलोनी लावारिस की स्थिति में हो गई है। अब एक बार फिर समयलंबित पत्रों की समीक्षा में कॉलोनी का मुद्दा धार कलेक्टर द्वारा शामिल करने के बाद अब कुछ ‘अच्छा’ होने की उम्मीदें बंधी है। 
चित्र है 31धार5- 
बॉक्स-1 
4 साल में 40 प्रतिशत बढ़ गई निर्माण लागत 
धार। जिले के प्रशासनिक संकुल के कार्य ने भी एक बार फिर गति पकड़ ली है। कलेक्टर के निर्देश पर पीआईयू नवीन प्रशासनिक संकुल भवन के निर्माण् को लेकर खर्च का खांका तैयार कर चुका है। करीब 35 करोड़ रुपए नए प्रशासनिक संकुल भवन निर्माण में खर्च होंगे। इसमें  करीब 13 हजार स्क्वेयर मीटर का निर्माण किया जाएगा। वर्ष 2018 में इसको लेकर प्लानिंग की गई थी। उस दौरान करीब 25 करोड़ रूपए खर्च का आंकलन किया गया था। कोरोना संक्रमण काल में प्रोजेक्ट लेट होने के बाद लागत बढ़ गई है। वहीं बिल्डिंग डिजाईन में भी फेरबदल किया जा रहा है। धार-रतलाम मार्ग पर उद्यानिकी विभाग की भूमि के आसपास इसका निर्माण किया जाएगा। फिलहाल सब कुछ दस्तावेजों में चल रहा है, लेकिन गति के साथ।
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