बड़वानी~तिलक जी और आजाद जी की जयंती
वतन को कंगूरे नहीं नींव के पत्थर बनाया करते हैं~~



बड़वानी /जिनकी मृत देह फिरंगियों को थरथराने को काफी थी, जिनकी हस्ती ब्रिटिष साम्राज्य को डराने को काफी थी, उस आजाद के स्मरण मात्र से हम हिम्मती हो जाते हैं, उनका नाम आते ही इतिहास के पन्ने कीमती हो जाते हैं। वतन को आजाद जैसे योद्धा अक्सर बनाया करते हैं, वतन को कंगूरे नहीं नींव के पत्थर बनाया करते हैं। ये स्वरचित कविताएं डाॅ. मधुसूदन चैबे ने महान स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य गंगाधर तिलक और महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद के योगदान को याद करते हुए युवाओं को सुनाईं। अवसर था शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ द्वारा इन दोनों महापुरुषों की जयंती पर किये गये आयोजन का। कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया ने बताया कि आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की 163 वीं जयंती और चन्द्रषेखर आजाद की 113 वीं जयंती है। यह आयोजन प्राचार्य डाॅ. आर. एन. शुक्ल के मार्गदर्शन में किया गया।
सर्वप्रथम रवीना मालवीया और रवि नायक ने दोनों वीर सपूतों की तस्वीरों का पूजन अर्चन किया तथा आरती उतारी। उपस्थितजन ने उनके महान योगदान को स्मरण करते हुए हाथ जोड़कर और सेल्यूट करके उनके प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा ज्ञापित की। इसके उपरांत सभी विद्यार्थियों के सम्वेत स्वर में  मैं आजाद हूं और आजाद ही रहूंगा, स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा, भारत माता की जय और वन्दे मातरम् के उद्घोष से काॅलेज परिसर गुंज उठा।

रवि केवट, प्रीति गुलवानिया तथा डाॅ. मधुसूदन चैबे ने दोनों के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर प्रकाष डालते हुए तिलकजी के 23 जुलाई, 1856 से 1 अगस्त, 1920 तक के तथा आजाद जी के 23 जुलाई 1906 से 27 फरवरी 1931 तक के जीवन और उपलब्धियों का इतिहास बताया। दोनों के जीवन से संबंधित अद्वितीय घटनाओं की जानकारी दी। साथ ही यह भी बताया कि चन्द्रषेखर तिवारी किस तरह चन्द्रषेखर आजाद बने।
संचालन प्रीति गुलवानिया ने किया। आभार दीपिका धनगर ने व्यक्त किया। सहयोग आवेश खान, भूमिका शर्मा ने दिया।


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