बड़वानी~जीना है तो पापा शराब नहीं पीना विषय पर विशेष बच्चों ने दी भावुक प्रस्तुति~~

गांधी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मघ निषेध सप्ताह की शुरुआत की~~


बड़वानी /किसी भी प्रकार के व्यसन का सबसे बड़ा कारण संगति, सुलभता और शौक होता है। अर्थात संगति मतलब बुरी लोगों के साथ में रहना और उनके मनुहार पर नशा प्रारंभ करना दूसरा सुलभता नशे की शैक्षणिक संस्थान के आसपास एवं सघन चौराहा इत्यादि स्थानों पर मिलने वाली नशे की वस्तुएं अथवा अवैध रूप से विक्रय किए जाने वाले मादक पदार्थ की सुलभता से नई पीढ़ी में व्यसन बढ़ रहा है। तीसरा नशे के चपेट में आने का कारण व्यक्ति का शौक भी है जो एक दूसरे को नशा करता हुआ देखने पर व्यक्ति उस और आकर्षित होता है।इन तीन कारणों में से किसी एक के संपर्क में आने पर अच्छा भला व्यक्ति भी अपने मार्ग से विचलित होकर किसी न किसी प्रकार के नशे की चपेट में आ जाता है। ऐसी स्थिति में हमारा साहस और संबल ही हमें पथ भ्रष्ट होने से बचाता है।

 
 उक्त बातें मध निषेध सप्ताह के तहत आशाग्राम ट्रस्ट में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के द्वारा आयोजित की गई मधनिषेध जागरूकता कार्यक्रम में उपसंचालक सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण श्री रौनक सोलंकी ने कही। जागरूकता सप्ताह की शुरुआत आशा ग्राम गांधी चौक पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्री सोलंकी के द्वारा सुत की माला पहना कर की गई। 
 इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री पंडित लालबहार बहादुर शास्त्री जी को भी नमन किया गया।सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत आशाग्राम ट्रस्ट द्वारा संचालित विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के सी डब्ल्यू एस एन छात्रावास की बालिकाओं ने जीना है तो पापा शराब नहीं पीना विषय पर भावुक प्रस्तुति देकर सभी को नशा मुक्ति के लिए प्रेरित किया। मूकबधिर बालिकाओं ने साइन लैंग्वेज में अपनी प्रस्तुति देखकर सभी को सहज माध्यम से नशे के विकारों को बताया जिस पर लोगों ने भी तालिया की गड़गड़ाहट के साथ बालिकाओं का उत्साह वर्धन किया। साइन लैंग्वेज में सभी बालिकाओं ने स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत स्वच्छता ही स्वभाव स्वच्छता ही संस्कार विषय पर भी अपनी नाट्य प्रस्तुति दी। इस दौरान बड़ी संख्या में दर्शनगण एवं आशाग्राम ट्रस्ट के कार्यकर्ता छात्रावास का स्टाफ उपस्थित थे।
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