धार~इस वर्ष दीपावली की तिथि को लेकर मतभेद , ज्योतिष गुरु डॉ. अशोक शास्त्री ने 31 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने को शास्त्र सम्मत माना~~


    
          धार , मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिष गुरु डॉ. अशोक शास्त्री ने स्पष्ट कर दिया है कि दीपावली का त्योहार 31 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा । उन्होंने बताया कि सनातन धर्म की व्रत पर्व आदि के निर्धारण संबंधी व्यवस्था में गणित द्वारा प्राप्त तिथि, ग्रह, नक्षत्र आदि के मानों के आधार पर धर्मशास्त्र ग्रंथों में वर्णित नियमानुसार किसी भी व्रत-पर्व आदि का निर्धारण किया जाता है । इस वजह से तिथियों में आ जाता है अंतर डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि स्थान भेद से व्रत-पर्व आदि के तिथियों में अंतर पड़ना भी स्वाभाविक है, लेकिन कभी कभी गणितीय मानो में भिन्नता या धर्मशास्त्रीय किसी एक भाग, मत का ही अनुसरण करने से एक स्थान पर भी व्रत-पर्व अलग-अलग दिखने लगते हैं । इतना ही नहीं कभी-कभी तो गणितीय मानों में सामानता तथा धर्मशास्त्रीय वचनों की उपलब्धता के बाद भी व्रत-पर्वों की तिथियों में अंतर दृष्टिगत होने लगता है ।
          ऐसी ही स्थिति कुछ इस वर्ष के दीपावली के संदर्भ में बन रही है, लेकिन जिन पंचांगो में 1 नवंबर को दीपावली लिखा गया है । उनके तिथि मानो को देखकर धर्मशास्त्रीय ग्रंथों के आधार पर भी 31अक्टूबर को ही दीपावली सिद्ध हो रही है । अतः सभी विद्वतगण को पुनः एक बार इस पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इससे समाज में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है । सनातन धर्म तथा शास्त्रों से लोगों का अविश्वास बढ़ रहा है । इसलिए 31 को दीपावली मनाया जाना उचित हैं । डॉ. अशोक शास्त्री ने बताया कि यदा कदा हमारी किसी मानवीय भूल के कारण या धर्मशास्त्र के किसी एक भाग का अनुसरण करते हुए हम किसी व्रत-पर्वों को लिख देते हैं ।परंतु अगर इससे संबंधित धर्मशास्त्रीय सभी उदाहरणों को देखा जाए, इनका निर्णय किया जाए तो वह उचित होगा , सामान्यतया प्रदोषसमये लक्ष्मी पूजयित्वा ततः क्रमात्। दीपवृक्षाश्चदातव्याः शक्त्यादेवगृहेषुच॥ दीपान्दत्वा प्रदोषे तु लक्ष्मीं पूज्य यथा विधि। आदि भविष्य पुराण के वचनों का आश्रय लेकर हेमाद्रि ने कहा है कि अयं प्रदोषव्यापिग्राह्यः॥ यह सब निर्णय सिंधु का उदाहरण है । उन्होंने बताया कि शास्त्रों में संस्कृत के मित्रों के जरिए यह भी बताया गया है कि पूर्व और पर दिन प्रदोष काल में अमावस्या के रहने पर तथा दूसरे दिन अमावस्या का रजनी से न्यूनतम 1 दण्ड योग होने की स्थिति में दूसरे दिन दीपावली मनाना शास्त्रोचित होगा । इसलिए 1 नवंबर को त्यौहार मनाना ठीक नहीं । डॉ. शास्त्री ने कहा कि संशय की स्थिति में दीपावली का स्पष्ट निर्णय देने से पहले उपर्युक्त दोनों स्थितियों को समझ लेना अति आवश्यक है ।इसमें उभयदिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या, दूसरे दिन अमावस्या का रजनी के साथ योग वर्णित है । अतः जिन क्षेत्रों में 1 नवंबर को अमावस्या का प्रदोष के एक भाग से संगति हो भी रही है, वहां पर रजनी से अमावस्या का किसी भी स्थिति में योग नहीं हो रहा है अतः उनके मत से भी अग्रिम दिन दीपावली नहीं होगी ।इसको पुष्ट करने के लिए स्वयं कमलाकरभट ने भी लिखा है कि दिवोदास के ग्रंथ में प्रदोष को दीपावली का मुख्य कर्मकाल मानने के कारण उपर्युक्त विवेचना है । 
          डॉ. शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष पंचांगों में अमावस्या 31 अक्टूबर को पूर्ण प्रदोष काल में एवं 1 नवंबर को प्रदोष काल के कुछ भाग में ही प्राप्त हो रही है । उपर्युक्त धर्मशास्त्रीय वचनों की संगति नहीं लग रही है अतः ऐसी स्थिति में शास्त्रोक्त समग्र वचनों को मानते हुए 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली मनाया जाना शास्त्र सम्मत होगा । उन्होंने बताया कि यह पंचांगों में असमानता की वजह से यह कंफ्यूजन पैदा हो रहा है । इसलिए पूरब व पश्चिम के विद्वानों को मिलकर इस पर मंथन करने की जरूरत है, ताकि हर त्यौहार दो दिन ना मनाया जाए और पंचांग में एकरूपता रहे त्यौहार एक साथ पूरे देश में एक ही दिन मनाए जाने चाहिए ।
पूजन मुहूर्त :पहला शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में रहेगा । यह शाम 05:47से रात्रि 07के बीच रहेगा , वहीं वृषभ काल शाम 6:48 से रात 8:48 बजे रहेगा , सिंह स्थिर लग्न मध्य रात्रि पश्चात् 01:15 से 03:27 बजे तक रहेगा । शुभ चोघड़िया 04:22 से 05:46 , अमृत 05:46 से 07:22 तक , लाभ मध्य रात्रि 12:10 से 01:46 बजे तक रहेगा ।उक्त शुभ मुहूर्त में अपनी अपनी परम्परानुसार मां लक्ष्मी का पूजन करना श्रेष्ठ रहेगा । 
          दीपावली पर इस विधि से करें पूजन : पूरब दिशा में एक चौकी रखें । इस पर लाल या गुलाबी कपड़ा बिछाए । इसके बाद सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति को रख दें । फिर उनके दाहिने तरफ लक्ष्मी जी को विराजमान कराएं । आसन पर बैठने के बाद अपने चारों ओर जल का छिड़काव करें । संकल्प के साथ पूजा की शुरुआत करें । एक मुखी घी का दीप जलाएं , मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल-मिठाई अर्पित करें , पहले गणेश जी फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें , अंत में आरती के बाद शंख बजाएं , घर में जगह-जगह दीपक जलाने से पहले थाल में 5 दीपक रखकर इसमें फूल अर्पित करें । इसके बाद घर के अलग-अलग हिस्सों को दीयों से रोशन करना शुरू कर दें । दीपावली पर पूजन के लिए लाल, पीला या चमकदार रंग का वस्त्र बेहतर माना जाता है ।
Share To:

Post A Comment: