झाबुआ~अस्पताल परिसर में कल खड़ी कार में लगी आग,इस घटना से ही प्रशासन सबक ले लेवे-आग लगी या लगाई गयी~~
सीसीटीवी और एसी की हालत बेहद दयनीय~~
जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के अपग्रेडेशन के लिए नवीन तकनीक से युक्त मशीन उपलब्ध होंगी-सबसे पहले जो जीवन रक्षक मशीनें है उसकी वास्तविक स्थिति की जांच बेहद जरूरी~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ.-संजय जैन~~
कलेक्टर ने जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अस्पतालों के अपग्रेडेशन के लिए विभिन्न तकनीकों से लैस मशीन डीएमएफ के तहत उपलब्ध कराए जाने के लिए प्रस्तावित की। पिछले दिनों प्रवास के दौरान सिविल अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं में अपग्रेडेशन की उन्हें आवश्यकता महसूस हुई। जिसके लिए जिला चिकित्सालय झाबुआ में 2डी कार्डियोमायोपेथी मशीन,इको-2 डी,कम्प्लीट ईएनटी सेट,जनरल सर्जरी उपकरण सेट, सिविल अस्पताल पेटलावद में सोनोग्राफी मशीन और जनरल उपकरण सेट और सिविल अस्पताल थांदला में सोनोग्राफी मशीन और जनरल सर्जरी उपकरण की मांग प्रस्तावित की है।
जिला प्रबंधन आंखे मूंद कर ही बैठा है..............
जब उपरोक्त खबर की जानकारी हमे मिली तो हमारी टीम जिला अस्पताल पहुंची और कर्मचारियों से चर्चा की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर हमें बताया कि जिला अस्पताल पर सरकार करोड़ो का खर्च कर रही है। जिसके तहत आवश्यक उच्च तकनीकी की मशीनें भी उपलब्ध करवाती है,लेकिन उसकी देख-रेख की ओर जिला प्रबंधन आंखे मूंद कर ही बैठा रहता हैं। उन्हें क्या वे खुद और अपने परिवार का इलाज जिला अस्पताल में तो करवाते नही है....? कर्मचारियों ने बताया कि गत दिनों इसी समाचार पत्र में खबर प्रकाशित होने के बाद ही कलेक्टर अपने कार्यकाल के दौरान निरीक्षण हेतु जिला अस्पताल पहुची थी। 20 अगस्त मंगलवार को मरीजों को लाइन में लगना न पड़े,इसके लिए जिला अस्पताल में लगभग 1 वर्ष पूर्व आयी मशीन आज तक शुरू नही हुई है,की खबर भी प्रमुखता से इसी समाचार पत्र में प्रकाशित हुई थी। फिर भी प्रशासन ने इस ओर अब तक ध्यान नहीं दिया है।
जो जीवन रक्षक मशीन है,सबसे पहले उसकी वास्तविक स्थिति की जांच बेहद जरूरी............
कुछ कर्मचारियों ने बताया कि जीवन रक्षक मशीन जैसे कि वेंटिलेटर, बिपेप,सिपेप,एचफएनसी,पैरा मीटर,,डेड बॉडी फ्रीजर आदि कितनी मशीनें जिला अस्पताल में उपलब्ध है और कितनी आज दिनांक तक कार्यरत है...? इसका ही निरीक्षण कलेक्टर कर लेवे,तो अस्पताल प्रबंधन का उदासीन और गैर जिम्मेदाराना रवैया उनके सामने स्पष्ट रूप से आ जायेगा। जांच के बाद उन्हें ज्ञात हो जाएगा कि नई मशीन तो बाद की बात है,पहले जो मशीन है उसकी ही रख रखाव को देखना बेहद जरूरी है। प्रशासन को गंभीरता से इसकी जांच करके दोषियों पर तुरंत कठोर कार्यवाही करना चाहिए।
अस्पताल परिसर में खड़ी कार में लगी आग-कब होगी दोषियों पर कार्यवाही....
उपरोक्त अनिमयितता के अलावा कल जिला प्रबंधन की एक और बड़ी लापरवाही का उजागर हुआ, जब कल अस्पताल परिसर में खड़ी कार में आग लग गयी थी। यह कार शहर के किसी होटल व्यवसायी की बताई जा रही है। कार धू-धू कर जल रही थी,लेकिन आग पर काबू करने में अस्पताल प्रबंधन कुछ अधिक नहीं कर पाया। गौरतलब है सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार जिला अस्पताल में 50 से अधिक फायर एक्सटिंगिशर उपलब्ध भी है,तो इस घटना के समय इनका इस्तेमाल अस्पताल प्रबंधन क्यो नही कर पाया ....? क्या यह संख्या सिर्फ कागजों में और भुगतान तक ही सीमित है...? कल की इस घटना के बाद तो यदि भविष्य में जिला अस्पताल में कोई बड़ी आगजनी हो जाय तो,क्या स्थिति बनेगी....? यह एक गंभीर जांच का विषय है। प्रशासन को दोषियों की इतनी बड़ी घोर लापरवाही पर,उन्हें तुरंत उनके पदों से हटा देना चाहिए,ऐसा हमारा मानना है।
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सीसीटीवी और एसी की हालत भी बेहद दयनीय-आग लगी या लगाई गयी..........?
खबर लिखे जाने तक आग लगी या लगाई गयी,इस बारे में अब तक कुछ भी जानकारी सामने नहीं आयी है। गौरतलब है कि गत दिनों पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर ने सुरक्षा को लेकर जिला अस्पताल का दौरा भी किया था। उसके बाद 24 घंटे अस्पताल में सिपाही की तैनाती कर दी थी। हर गेट पर गार्ड,कैमरे और लाइटस है,जिस पर अस्पताल प्रबंधन हर साल लाखों रुपया खर्च भी कर रहा है। सीसीटीवी का वेंडर और उसकी देखरेख का जिम्मा किसे दिया गया है...? क्या यह जिम्मेदारी नियमानुसार प्रणाली द्वारा दी गयी है...? या चित्तौड़ी साठगांठ की परंपरा का अनुसरण तो नही गया है। यही बात एयर कंडीशन के वेंडर के मामले भी लागू होती है। कुछ माह पूर्व ब्लड बैंक के अंदर का एसी फ़ोटो में साफ नजर आ रहा है कि कितनी बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया था। सूत्रों से प्राप्त जानकारी आये दिन जिला अस्पताल के विभिन्न स्थानों पर लगे एसीयो में आये दिन कोई न कोई समस्या आती ही रहती है। क्या कोई अपने निजी फायदे के लिए इन्हें नियमित अंतराल पर क्षति तो नही पहुचा रहा है....? यह एक गंभीर जांच का विषय है। इनकी ही जांच कर ली जाय तो दूध का दूध और पानी अलग हो जाएगा। मजेदार बात तो यह कि सुरक्षा कर्मी की मोटरसाइकिल भी जिला अस्पताल से चोरी हो गयी थी।
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हम सभी प्रयासरत हैं...........
कलेक्टर ने कहा कि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता नवीन तकनीकों से युक्त मशीनों का उपयोग कर सुलभ बनायी जा सकती है, जिसके लिए हम सभी प्रयासरत हैं।
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