झाबुआ~जनसुनवाई में कलेक्टर के सवाल,जिले में बन रहे हास्यास्पद चर्चा का विषय~~
चली आ रही परिपाटी अनुसार,कलेक्टर ने जनसुनवाई में हर बार की तरह सिर्फ दिये निर्देश~~
सिर्फ कागजों तक ही शायद सीमित हो रहे कलेक्टर के निर्देश-लेकिन उन्हें क्रियान्वयन करने हेतु उठाना चाहिए सख्त कदम भी~~
झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~
कलेक्टर नेहा मीना ने हर बार की चली आ रही परिपाटी नुसार कल मंगलवार को प्रात: 11 बजे जनसुनवाई ली। जनसुनवाई में विभिन्न विभागों से संबंधित कुल 91 आवेदन आए। जिस पर हर बार की तरह कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को समस्याओं को समय सीमा में निराकरण करने के निर्देश दे दिए। इस दौरान हर बार की तरह मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत जितेंद्र सिंह चौहान,अपर कलेक्टर एसएस मुजाल्दा,संयुक्त कलेक्टर सत्यनारायण दर्रो एवं समस्त विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।
कही सिर्फ निर्देश देकर कागजी खानापूर्ति तो नही की जा रही...?
गौरतलब है कि जनसुनवाई में पीड़ित या जनहित की बातों को उठाने के लिए आमजन पूरे विश्वास से इसलिए ही आते है कि जिले की कप्तान उनकी समस्या या शिकायत का हल त्वरित कर देगी । अधिकतर लोगों का कहना था कि हमे सिर्फ आश्वासन ही मिलता है,लेकिन कप्तान को यह भी देखना जरूरी है कि उनके द्वारा दिये गए पूर्व के तमाम निर्देशो में से किन-किन निर्देशो का अक्षरश: पालन किया भी गया है या नही...? वे तो सिर्फ दिखावे के लिए कागजी खानापूर्ति कर अपने दायित्व से बरी हो जाती है,ऐसा साफ प्रतीत हो रहा है।
जिले की कप्तान कोई ठोस या दंडात्मक कार्यवाही कर पाती है या नही...?
गौरतलब है कि कल जनसुनवाई में शहर कांग्रेस अध्यक्ष जितेंद्र सिंह राठौर ने विधिवत जनहित के मुद्दे को उठाते हुए झाबुआ की ऐतिहासिक धरोहर बहादुर सागर तालाब में हो रहे कार्य डीपीआर नुसार चल रहा है या नही..? निर्माण चिन्हित सीमा को छोड़कर 30 फिट दूरी पर क्यो किया जा रहा है ...? एवं अतिक्रमणकारियों को क्यो संरक्षण दिया जा रहा है...? इन सबका भौतिक सत्यापन अनुभवी शासकीय एजेंसी से करवाने हेतु अपना शिकायती आवेदन पिछली जनसुनवाई में दिया था। आवेदन देने के बाद वे कल उनकी शिकायत पर आगे क्या कार्यवाही की गई,यह जानने के लिए कलेक्टर के समक्ष पहुचे। आगे शायद उनकी शिकायत क्या सिर्फ निर्देश के फेरे में सिमट कर तो नही रह जायेगी...? अब आगे देखना यह है कि इतने साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद भी जिले की कप्तान कोई ठोस या दंडात्मक कार्यवाही कर पाती है या नही....? यह तो आगे आने वाला समय ही बता पायेगा...........................
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जनसुनवाई में शिकायत कर्ता से ऐसे सवाल करना कहा तक उचित....? जिले में सवाल बने हास्यास्पद चर्चा का विषय....................
गौरतलब है कि उपरोक्त शिकायत के बारे में हमारी टीम ने शिकायत कर्ता जितेंद्र सिंह राठौर से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मेरी शिकायत पर आगे क्या कार्यवाही की गयी,यह जानने हेतु विधिवत मैं कल कलेक्टर के समक्ष जनसुनवाई में पहुँचा तो उन्होंने मुझे पूछा क्या आप समाज सुधारक है या सीए है....? जबकि पूरा शहर यह बात जनता है कि मैं जनहित के मुद्दे की लड़ाई अकेले ही अपने बल बुते पर पिछले कई वर्षों से लड़ता चला आ रहा हु। इस बारे में मुझे सफाई देने कीआवश्यकता भी नहीं है। वे यह बात तो अपने अधीनस्थों से ही पूछ सकती थी। मजेदार बात तो इतने काबिल आईएएस अधिकारी के इन सवालों को सुनकर तो मैं मन ही मन हँस पड़ा और मैं सोच में पड़ गया कि मैं किसके समक्ष अपनी शिकायत करने के लिए आ गया हूँ। मैंने इनके गैर जिम्मेदार सवालों पर बेहद जिम्मेदार और सजग नागरिक का परिचय देते हेतु,उनको बड़ी ही नम्रता और विवेक पूर्ण तरीके से जवाब दिया कि महोदया जनहित के मुद्दे, जिसमे किसी का कोई स्वार्थ नही होता है,शायद लोग उसे ही समाज सुधारक कहते है। उनके दूसरे सवाल क्या मैं सीए हूं...? उस पर भी मैन सहजता से आज के युग अनुसार जवाब दिया कि यदि मैं सीए होता तो आपके पास मुझे आने की जरूरत ही नही होती। मैं भी कही बैठकर अपना उल्लू सीधा कर रहा होता या भ्रष्टाचार कर रहा होताजी। खैर कलेक्टर के गैर जिम्मेदाराना सवालों के बाद मैंने पक्का मन बना लिया है कि अब मैं न्यायालय की शरण मे मेरे साक्ष्य सहित नामजद प्रकरण दर्ज करवाकर न्याय की गुहार लगाऊंगा और प्रशासन को अवगत कराऊंगा की समाज सुधारक किसे कहते है....?
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