*** फॉलोअप खबर ***

झाबुआ~परिवार की खुशियों के साथ दिल,जिगर और गुर्दा सब हजम कर रहा ज्यादा नशा......................

90 फीसदी में मल्टी आर्गन इफेक्ट,एक समय के बाद छोड़ना भी चाहें तो फिर मुश्किल-विशेषज्ञ के परामर्श बिना कुछ नहीं कर सकते~~

आसानी से दवाएं दुकानों से मिल जाती है,जिसका कोई लेखा-जोखा नहीं~~

झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~


 जानलेवा नशे की लत मात्र परिवार ही तबाह नहीं कर रही है,यह उस आदमी को अंदर से खोखला ,तबाह कर देती है,जो पूरी तरह से इसके ऊपर निर्भर हो चुके हैं। नशे के आदी हो चुके लोगों पर किये गये एक सामान्य हेल्थ सर्वे के अनुसार जो भी व्यक्ति ज्यादा अल्कोहल,नाइट्रावेट,अल्प्राजोलम,नींद की गोलियां,कोडीन, मार्फीन,स्मैक,गांजा जैसे नशीले मादक द्रव्यों का आदी हो चुका है,उसको 90 फीसदी मामलों में मल्टी ऑर्गन इफेक्ट होता है। इसमें दिल,लीवर और गुर्दा किसी न किसी तरह से संक्रमण से ग्रसित हो जाता है।

विड्रॉल सिंड्रोम पैदा होता है.................

विशेषज्ञों के अनुसार नशा किसी भी प्रकार का हो उसके लगातार करने से दिमाग से लेकर किसी भी आर्गन तक जाने वाली हर नस में असर होता है। सोचने-समझने की क्षमता पहले घटती है,शरीर में हरदम क्षणिक खुशी,आनंद पैदा करने वाले तत्व शरीर की असल ताकत को खत्म करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अल्कोहल,नशीली दवाइयां फिर अन्य मादक दृव्य को एकदम से छोड़ना भी घातक है। इनके अचानक छोड़ने से विड्रोल सिण्ड्रोम पैदा होता है। विड्रोल सिण्ड्रोम में जाने से अचानक बेचैनी,नींद न आना,घबराहट,कई बार आदमी सीधे हृदयाघात तक का शिकार हो जाता है। नशे पर निर्भरता इसलिए चिकित्सकों के अनुसार सबसे खराब स्थिति में पहुंचना है।

नशे के लिये उपयोग में आ रहीं ये दवाएं काम ...........

नाईट्रावेट,एलप्रेक्स, ट्राइका,एटीवन,लोराजीपाम,रिवोट्रील, क्लोनाजीपाम ऐसी दवाएं हैं,जिनका उपयोग नशे के लिये किया जाने लगा है। इन दवाओं को ज्यादातर नींद न आना,दर्द और तनाव को दूर करने वाले पेशेंट्स को दिया जाता है। लोग इन दवाओं को अपनी सहूलियत के लिये तो लेते हैं, साथ ही इनका प्रचार-प्रसार करने से भी पीछे नहीं हटते,जिससे इनका सेवन करने वालों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। डॉक्टर मरीजों के लिये इन दवाओं का उपयोग करते हैं,लेकिन लोग इसे अपना शौक पूरा करने के लिये कर रहे हैं।


मेट्रो सिटी में रखा जाता है ऐसी दवाओं का रिकॉर्ड ..............

बिना डॉक्टर के लिखे यह दवा किसी को भी उपलब्ध नहीं कराई जा सकती है। । लेकिन जिले में ऐसा कुछ नहीं हैै। कभी भी किसी को भी यह दवा आसानी से दवा दुकानों से मिल जाती है। जिसका न कोई लेखा-जोखा होता है और न ही कोई रिकॉर्ड मेंटेन किया जाता है।

कारण और उपाय ............

-घरेलू महिलाएं अपना घर का तनाव दूर करने के लिये ले रहीं इन दवाओं का सहारा।
-स्टूडेंट एग्जाम के पहले नींद न आने की वजह से करते हैं दवा का उपयोग।
-इन दवाओं में स्मेल न आने वाला नशा है ,इसलिये बढ़ रहा चलन।
-एक दिन में एक गोली से शुरूआत और 30-35 गोलियों तक पहुंच रहा नशा।
-मेमोरी लॉस की हो रही समस्या।
-गोलियों को बिना वजह खाना भी एक प्रकार का नशा।
-यह नशा बना रहा मानसिक रोगी।
-यह दवाएं लीवर और किडनी के लिये बढ़ा रहीं खतरा।
-योग और संयमित दिनचर्या से मिल सकता है इस लत से छुटकारा।
-अभिभावकों और बच्चों के बीच बनी रहनी चाहिए बॉडिंग।
-बच्चों द्वारा किए जा रहे खर्चों पर भी रखनी चाहिए अभिभावकों को नजर।

नशे से नुकसान...

* हृदय की समस्या।
* अचानक हृदयाघात।
* मिर्गी आना,नींद गायब।
* गुर्दा संक्रमण,पेशाब की समस्या।
* लीवर,भूख न लगना,अपच।
* लिवर डैमेज,लीवर सिरोसिस।
* रक्तचाप गिरना,क्लॉटिंग।

             **** बॉक्स खबर ****

जरुरत है सिर्फ और सिर्फ दृढ़ इक्षाशक्ति ........................

 कल इसी अख़बार ने प्राथमिकता से * डॉ के पर्चे पर मिलनी चाहिए नींद की जो दवा,वो मेडिकल स्टोर पर मिल रही आसानी से * नामक शीर्षक से खबर प्रकाशित कर प्रशासन का ध्यान,इस और आकर्षित किया था। इसके बाद भी शायद प्रशासन चुनाव के नाम पर हरकत में नहीं आया है। आज उसी खबर की कड़ी में यह खबर को प्रकाशित कर उनको उनकी कुम्भकर्णीय निद्रा से जगाने का एक और प्रयास किया गया है। हम पत्रकार तो मात्र प्रशासन के आईने है। कार्यवाही करना न करना,वो तो उनके विवेक पर निर्भर करता है। प्रशासन को कार्यवाही करने सिर्फ और सिर्फ जरुरत है,दृढ़ इक्षाशक्ति को जागृत करने की ............................
              
         **** बॉक्स खबर ****

जीवन खतरे में .....................

यदि कोई बेतहाशा अल्कोहल ले रहा है, नशीली दवाइयां खा रहा है तो यह हर तरीके से हृदय संबंधी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति के लिए ज्यादा घातक या जानलेवा है। छोटी उम्र में नशा सीख भी लिया है तो कम से कम इसको 30-35 सालों में कंट्रोल करें नहीं तो जीवन खतरे में है। इसका सीधा असर गुर्दे पर होता है। इसको लेकर समय रहते सचेत रहें।
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डॉ.बघेल,सीएमएचओ-जिला अस्पताल,झाबुआ  

हर आर्गन पर घातक असर ...................

नशा कोई भी हो वह मल्टी आर्गन इफेक्ट देता है। लीवर,गुदा,दिल और यहां तक कि दिमाग पर असर होता है। पहले यह नशा करने वाले को समझ नहीं आता,कई बार अब तो अचानक मौत का कारण भी यही नशा बन रहा है।
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डॉ. किराड़ -जिला अस्पताल

अपराधों के पीछे यही मुख्य वजह ...................

हिंसा,बलात्कार,चोरी,आत्महत्या आदि अनेक अपराधों के पीछे यह नशा एक बहुत बड़ी वजह है। शराब पीकर वाहन चलाते हुए एक्सीडेण्ट करना आम बात है। अनेक रोगों का मुख्य कारण विभिन्न प्रकार का नशा करना है। नशे की लत से बचाने के लिये अभिभावकों को अपने बच्चों को ज्यादा से ज्यादा समय देना चाहिए।
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यशवंत भंडारी-समाज सेवी-झाबुआ

डॉक्टरों को रखना होगा ख्याल ...........................

नशा करने वाले प्रिस्क्रिप्शन का दुरुपयोग करते हैं। डॉक्टरों को भी यह ख्याल रखना चाहिए कि जिस दवा का नशे में उपयोग होता है। उसे लिखते समय उसके उपयोग दिवस की तारीख भी लिखी जाना चाहिए। इससे उनके प्रिस्क्रिप्शन के लम्बे समय तक उपयोग की गुंजाइश कम होगी और दुरुपयोग रूकेगा।
.....................गीतम पथोडिया-ड्रग इंस्पेक्टर-झाबुआ



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