धार~परिवार ही नहीं राष्ट निर्माण में भी मां की भूमिका महत्वपूर्ण - श्रीमती डामोर~~

धार ( डॉ. अशोक शास्त्री ) 

समाज में परिवर्तन का दौर चल रहा है। वैचारिक संक्रमण ने हमारी संस्कृति को बुरी तरह प्रभावित किया है। आज समाज में संस्कार, सामर्थ्य, सदाचार और सेवा का महत्व सर्वविदित है। जीजामाता ने अपने कार्य कौशल से शिवाजी को छत्रपति शिवाजी बनाया है। घर परिवार ही नहीं राष्टÑ निर्माण में भी मां की भूमिका महत्वपूर्ण है। ये विचार भोज कला वीथिका में विश्वमांगल्य सभा की पहली बैठक में मुख्य वक्ता के रूप में सभा की प्रांत प्रमुख व रिटायर्ड आयएएस श्रीमती सूरज डामोर ने व्यक्त किए। संतति से समृद्ध होता सनातन राष्टÑ विषय पर सभा को संबोधित करते हुए महाराष्टÑ व मध्यप्रदेश की संगठिका सुश्री पूजा पाठक ने कहा कि हमें बहुत सतर्क होना है। हमारे बच्चे हमारा अनुसरण करते है। आज टीवी व मोबाइल ने हमारे जीवन तथा संस्कारों को बुरी तरह प्रभावित किया है। हमें सभ्यता, विज्ञान व विकास में समन्वय बनाना होगा। एक बार फिर नारी व मां की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो रही है। आपसी संवाद में उपस्थित महिलाओं ने विचार व्यक्त किए। नन्हीं बालिका शांभवी जोशी ने श्लोक सुनाकर सबको प्रभावित किया। सभा में बड़वानी से शालू भावसार ने सहभागिता की। आरंभ में अतिथियों का स्वागत श्रीमती राखी रॉय, गीता राठौर व कुसुम सोलंकी ने किया। संचालन व स्वागत विचार भोज शोध संस्थान के निदेशक डॉ दीपेंद्र शर्मा ने व्यक्त किए। जानकारी मीडिया प्रभारी राकी मक्कड़ ने दी। आभार पल्लवी वैद्य ने व्यक्त किया।
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