धार~श्वानों का हमला- 2 महीने में 498 घायल, बीते दो दिनों में 26 और हुए शिकार  ~~

नसबंदी कार्यक्रम की जरूरत, श्वानों के भोजन को लेकर समाज में आए जागरूकता ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )। 

सड़कों पर पलने वाले श्वानों के हमले की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। बीते दो महीनें जनवरी और फरवरी के मध्य करीब 498 मामले इनके हमले के सामने आए है। बीते दो दिनों में जिला अस्पताल में 26 करीब लोग श्वान के काटने के बाद उपचार लेने के लिए पहुंचे हैं। इसमें शुक्रवार को करीब 24 मामले सामने आए है। औसत रूप से देखा जाए तो करीब 8 से 10 मामले प्रतिदिन जिला अस्पताल में अलग-अलग क्षेत्रों से आ रहे हैं। श्वानों के हमले के बाद घायल लोगों को रैबिज का टीका लगाकर उपचार दिया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि रैबिज के टीकों का फिलहाल कोई टोटा नहीं है। यह सिर्फ जिला अस्पताल के आंकड़े है। सूत्रों की माने तो लोग निजी अस्पताल में भी उपचार के लिए पहुंचे हैं। 
एनिमल लवर्स के कारण नोटिस का डर 
शहर से लेकर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में श्वानों की संख्या में वृद्धि हुई है। इनकी प्रजनन क्षमता बेहतर होने से एक ही बार में 3 से 8 बच्चे तक जन्म लेते हैं। इसके कारण नसबंदी कार्यक्रम की आवश्यकता महसूस की जा रही है। धार मुख्यालय पर नगरपालिका ने नसबंदी को लेकर प्रयास कि थे, किंतु जानवरों के अधिकार को लेकर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं के पदाधिकारियों की नियमों के पालन को लेकर आपत्ति के चलते काम अटक गया। दरअसल संस्थाएं सुरक्षित नसबंदी और उसके बाद की देखरेख को लेकर मांग कर रही है। वहीं निकाय के पास शहरी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के काम के इतर यह काम एक थोपा हुआ काम हो गया है। कर्मियों की कमी है और ठेके पर नसबंदी के लिए काम सौंपे जाने पर एनिमल लवर्स की शिकायत पर मिलने वाले नोटिसों का डर भी है। 
पानी के चाठिये, भोजन प्रबंधन हो 
श्वानों के काटने की घटनाएं गर्मी में ज्यादा होती है। तापमान के असर के कारण प्रवृत्ति में परिवर्तन होता है। इधर गली के श्वानों के लिए भोजन एक बड़ी समस्या बन गया है। गली-मोहल्लों और सड़कों पर पीने के लिए पानी के चाठिये प्रथा समाप्त हो गई है। मुक पशु भोजन और पानी ना मिलने के कारण भी कई मर्तबा हिंसक रूप ले लेते हैं। शहर में गौशालाएं प्रतिदिन गायों के लिए भोजन, हरी सब्जियां एकत्रित करती है। इसी तरह की जागरूकता श्वानों के भोजन के लिए भी होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि लोग अब रोटी भी काले श्वान ढूंढकर देते हैं, क्योंकि इससे मान्यता है कि शनि शांत होते हैं, इसलिए सफेद और भूरे श्वानों की और कोई नहीं देखता है। 
कॉलोनी क्षेत्रों में हुई घटनाएं 
शुक्रवार को शहर के शिव विहार, सिल्वरहिल, जनता कॉलोनी, त्रिमूर्ति नगर, एलआईजी सहित एमजी रोड और जवाहर मार्ग पर श्वान के हमले से लोग घायल होने की घटनाएं घटित हुई है। बच्चे तो ठीक बड़े भी श्वानों के झपटने से पंजों और दांत के निशान लगने से प्रभावित हुए है। शनिवार को भी दो घटनाएं हुई जिसमें मायापुरी कॉलोनी में आशीष नाम के व्यक्ति को श्वानों ने चोटिल किया है।
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