धार~12 स्थानों पर भूमि आवंटित करवाई नहीं बने खेल मैदान, तिरला में हो रहे अवैध कब्जे, उमरबन में बना अस्पताल

इंडोर हॉल- स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनाने के लिए पर्याप्त भूमि तिरला में, नेता चाहते है पीथमपुर-दिग्ठान में बने
खेल विभाग बजट ना होने से डरता है इंडोर हॉल बनाने में, गांव-गांव खेल मैदान बनाने का दावा भी फेल~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )। 

जिले में खेल विभाग को करीब 12 से अधिक स्थानों पर खेल गतिविधियों के संचालन के लिए मैदान, इंडोर हॉल बनाने के लिए भूमि आवंटित की गई है। इनमें कुछ स्थानों पर भूमि पर मैदान समतलीकरण और बाउंड्रीवाल बनाकर छोड़ दिया गया है। यहां पर खेल गतिविधियां लगभग शुन्य है। इधर एक दर्जन स्थानों में करीब 7 स्थानों पर कोई काम नहीं हुआ है। हालत यह है कि उमरबन क्षेत्र में खेल मैदान के लिए दो भूमियां आवंटित की गई थी। जिसमें एक भूमि पर अस्पताल बन गया है। दूसरी भूमि पर भी मैदान नहीं बन पाया है। ग्रामीण अंचलों की तरह जिला मुख्यालय की स्थिति है। यहां पर सभी प्रमुख प्रशासनिक अधिकारी रहते है। विभागीय कार्यालय भी मुख्यालय पर है, किंतु खेल मैदान की तिरला में दो हैक्टेयर भूमि पर अवैध कब्जे हो गए है। इन्हें हटाने की ना विभाग को फिक्र है और ना ही बड़े अधिकारियों को कोई लेना-देना दिखाई देता है।
राजनीति में अटके काम
जिला मुख्यालय धार में खेल मैदान के लिए करीब 10 हजार स्क्वेयर फीट भूमि बटालियन के पास आवंटित है। इसके अतिरिक्त धार से महज 4 किलोमीटर दूर आमखेड़ा ज्ञानपुरा के नजदीक दो हैक्टेयर भूमि मौजूद है। इन स्थानों पर खेल मैदान या इंडोर हाऊस का काम नहीं हो पाया है। यहां पर राजनैतिक अड़ंगेबाजी सामने आई है। वोट बैंक के चक्कर में तिरला की बजाय नेता दिग्ठान और पीथमपुर में खेल मैदान बनवाना चाहते है। पीथमपुर की स्थिति यह है कि वहां महाविद्यालय बनाने के लिए जमीन नहीं मिल रही है। वन विभाग से जमीन की मांग की जा रही है। ऐसी स्थिति में भी पीथमपुर या दिग्ठान में मैदान बनाने की जिद के चलते आज तक खेल मैदान नहीं बन पाया है। इधर राजनैतिक शह पर ही तिरला की भूमि को अतिक्रमण करके खत्म किया जा रहा है।
इच्छा शक्ति से मिलेगा स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स
धार के लिए मुख्यमंत्री खेल अधोसंरचना विकास योजनांतर्गत इंडोर हॉल और स्पोर्ट्स कॉम्पलेक्स बनाने का महत्वपूर्ण अवसर हाथ आया है। खेल एवं युवा कल्याण विभाग मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने समस्त कलेक्टर्स को पत्र लिखकर इनके निर्माण के लिए 3 से 4 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने के लिए कहा है। तिरला में 2 हैक्टेयर भूमि मौजूद है। कुछ अतिक्रमणों को हटाकर यहां पर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स बनाया जा सकता है। धार मुख्यालय के खिलाड़ियों को 5 किलोमीटर का सफर करना पड़ेगा, लेकिन तिरला में आसपास के आदिवासी युवाओं को खेल कला में दक्ष होकर प्रतिष्ठा और रोजगार दोनों से जुड़ने का अवसर मिल सकता है। बशर्त अधिकारियों में इच्छा शक्ति हो।
खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं
जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां के युवाओं को सिर्फ तराशने की जरूरत है। इसके बावजूद अंदरूनी क्षेत्र में विशेषकर आदिवासी युवाओं को खेल गतिविधि में प्रोत्साहित करने के लिए कागजों पर कई कार्यक्रम है, लेकिन नतीजे कुछ भी नहीं है। बैडमिंटन और फुटबॉल ने धार जैसे बड़े जिले की खेल प्रदर्शन में साख बचा रखी है। इनमें भी आदिवासी खिलाड़ियों की संख्या कम है। जिला मुख्यालय पर स्पोर्ट्स अर्थारिटी आॅफ इंडिया जैसे बड़े संस्थान है, लेकिन यहां पर सबका आसानी से प्रवेश संभव नहीं है। खेल मैदान जो बनाए गए है। वहां पर प्रशिक्षक नहीं है। खेल विभाग के पास खेल प्रशिक्षकों को रखने और प्रतियोगी खेल कलाओं को निखारने के लिए साधन-संसाधन नहीं है। कुछ प्रतियोगिताएं करवाकर खानापूर्ति की जा रही है। नए युवाओं को खेल से नहीं जोड़ा जा रहा है।
यहां नहीं बने खेल मैदान
जिले में खेल एवं युवा कल्याण विभाग को कई स्थानों पर भूमि आवंटित की गई है। इसमें 10 हजार स्क्वेयर फीट से लेकर 3 हैक्टेयर भूमि तक शामिल है। इसके बावजूद विभाग बाग, धार मुख्यालय, तिरला, उमरबन में आवंटित भूमि पर खेल मैदान और इंडोर हॉल नहीं बना पाया है। इधर साप्ताहिक और मासिक बैठकों में खेल विभाग की सतत समीक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है। संभावना है कि सतत निगरानी से खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों को विभाग गति दे सकता है।
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