झाबुआ~शिक्षक चार्ट के माध्यम से खेल-खेल में सिखा रहे हिंदी व्याकरण, ज्ञान वृद्धि के साथ परीक्षा में मिलेंगे अच्छे अंक -हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा~~

झाबुआ। संजय जैन~~


विद्यार्थियों को परीक्षा में मातृभाषा हिंदी के पेपर में अच्छे अंक प्राप्त करने के साथ ही हिंदी व्याकरण की नींव मजबूत करने के लिए शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, सीएम राइज में हिंदी की प्रयोगशाला के नाम से एक अनोखा नवाचार किया गया है। प्रयोगशाला में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों को व्याकरण एवं विषयवस्तु से संबंधित पूरी जानकारी देने के लिए कागजों से कई चार्ट बनाए हैं। इन चार्ट के माध्यम से विद्यार्थी खेल-खेल में हिंदी व्याकरण पढ़ते, समझते व याद करते हैं। वैसे तो इस प्रयोगशाला में हिंदी व्याकरण से संबंधित जितने भी महत्वपूर्ण अध्याय हैं, वो सभी इसमें समाहित हैं। इसको विद्यार्थी एक बार सीख ले तो व लंबे समय तक नहीं भूल सकता है।

रहती है अधिकांश बच्चों की हिंदी कमजोर .............................
 हिंदी की प्रयोगशाला का यह नवाचार चार्टों के माध्यम से उन्होंने किया है। देखने में आता है कि परीक्षा में विद्यार्थी अन्य विषयों में तो अच्छे अंक प्राप्त कर लेते हैं लेकिन अधिकांश बच्चों की हिंदी कमजोर रहती है। इस वजह से उनको हिंदी में अधिक अंक प्राप्त नहीं हो पाते हैं, जिसका इफेक्ट पूरे परसेंट पर जाता है। साथ ही हिंदी की पूरी व सही जानकारी सिर्फ स्कूली परीक्षा तक ही सीमित नहीं हैं। वरन् यह उच्च शिक्षा, कार्यालयीन कार्य, नौकरी की तैयारियां आदि के लिहाज से हिंदी व्याकरण का महत्व है।

हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा................
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, हमें इसकी विशालता और भव्यता को समझना और जानना अति आवश्यक है। हिंदी के साथ हमें हिंदी व्याकरण का पूरा ज्ञान होगा तो हमें शुद्ध उच्चारण और शुद्ध लिखना भी आएगा, जिससे हिंदी मजबूत भी होगी और उसका सम्मान भी रहेगा। हिंदी की प्रयोगशाला में इन अध्यायों के बनाए चार्ट हिंदी प्रयोगशाला में विद्यार्थियों को रस, जीवनी, समास, उपन्यास, अलंकार, छंद, गद्य की विधाएँ, मुहावरे, लोकोक्तियां, पत्र, लेखन, निबंध, भाषा बोली, विलोम व पर्यायवाची शब्द, कवि और उनकी रचनाओं के अलावा राष्ट्रभाषा, प्रगतिवाद,प्रयोगवाद,छायावाद, रहस्यवाद भाषा समेत भारतेंदु युग, द्विवेदी युग,शुक्ल युग,शब्द व विभिन्न कालों की विशेषताएं आदि की जानकारी खेल-खेल में समझाई व बताई जाती है।
 
नहीं भूलेगा,उसे समझकर याद कर लेगा तो वह लंबे समय तक .....................
प्रयोगशाला में हिंदी व्याकरण के अध्यायों को चार्टों में इस प्रकार दर्शाया गया है कि उसे कोई भी विद्यार्थी पहली बार भी पढ़ेगा तो उसको हिंदी व्याकरण को जानने की उत्सुकता बढ़ती जाएगी। उसे हर एक मिनट ने व्याकरण की नई रोचकता दिखाई देगी। विद्यार्थी ईमानदारी व सच्ची लग्न से चार्ट को समझकर याद कर लेगा तो वह लंबे समय तक उसे नहीं भूलेगा।

एक अभिनव प्रयोग.........................
नवंबर 2022 से अब तक इस प्रयोगशाला का लाभ संस्था के सैकड़ों विद्यार्थी ले चुके हैं। परीक्षाओं में आसानी से प्राप्त कर सकते 20 से 30 अंक हिंदी भाषा प्रयोगशाला विद्यार्थियों के ज्ञान में वृद्धि के साथ ही परीक्षा की तैयारी को लेकर एक अभिनव प्रयोग है। इसके माध्यम से परीक्षाओं में कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थी हिंदी विषय के पेपर में 20 से 30 नंबर तक के प्रश्नों को सरलता से हल कर लेंगे। साथ ही खेलों के माध्यम से हिंदी और व्याकरण की तैयारी एक अपना अलग ही नवाचार है, जो छात्रों की रोचकता उसकी जिज्ञासा और अधिक बढ़ाता है। विद्यार्थियों को पढ़ाने के बाद टीचिंग लर्निंग मटेरियल द्वारा मनोरंजक तरीके से रिवीजन करवाया जाता है। यह टीएलएम अभ्यास विद्यार्थी स्वयं के आइडिया को ग्रुप डिस्कशन कर तैयार करते हैं। इससे छात्रों में सृजनशीलता,रचनात्मकता तथा विषयवस्तु को सीखने में मदद करता है। हिंदी प्रयोगशाला में शिक्षक-विद्यार्थी दोनों की सहभागिता समान रूप से होती हैं। समूह में कार्य करने से इनके अंदर मिल-जुलकर रहने, सीखने और सिखाने के गुण भी विकसित होते हैं।

 विद्यार्थियों को मिल रहा लाभ..................
सीएम राइज स्कूल के कक्षा 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के हिंदी की प्रयोगशाला खूब लुभा रही है। कक्षा 9वीं कीें हिंदी की प्रयोगशाला में व्याकरण को पढ़ना व सीखना काफी अच्छा लगता है। सीखने के बाद प्रयोगशाला में रखे चार्टों की तरह अन्य विषयों के बारे में भी कुछ नया करने का मन करता है। कक्षा 10वीं में पहली बार इस प्रयोगशाला में आए तो उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था, जब शिक्षकों ने हंसते हुए जादू की तरह समझाया तो एक बार में समझ आ गया। कक्षा 11वीं हिंदी विषय के संबंधित नई-नई रोचक जानकारियां मिली। जो अध्याय पहले कठिन लगते थे, अब वह बहुत आसान लगने लगे हैं। वहीं कक्षा 12वीं भारतेंदु युग, द्विवेदी युग व शुक्ल युग के साथ पहले किताबों में याद करना पढ़ता था।


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