बड़वानी~शिक्षकों ने किया ई अटेंडेंस का विरोध 
सारे एप बंद कर शिक्षको को पढ़ाने देने का आग्रह 
मुख्यमंत्री से तत्काल रोक लगाने की मांग को लेकर तहसीलदार को सौंपा ज्ञापन~~

स्कूल शिक्षा विभाग में हमारे शिक्षक एप और जनजातीय कार्य विभाग में ईएचआरएमएस एप के माध्यम से मुख्य रूप से शिक्षकों के लिए ई अटैन्डेंस व्यवस्था लागू की गई है। यह ई अटेन्डेंस व्यवस्था जो कि जीपीएस और फेस रिकॉग्निशन पर आधारित है इसे वेतन प्रणाली से जोड़ा जा रहा है जिसे लेकर प्रदेश भर के शिक्षकों में रोष व्याप्त गया है। नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन के जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र जाधव के नेतृत्व में शिक्षको ने बाइक रैली निकाल कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन तहसीलदार हितेंद्र भावसार को सौंपा। श्री जाधव ने बताया कि शिक्षकों के उत्तरदायित्व की प्रकृति भिन्न है ।शिक्षकों की अधिकांश पदस्थापना ग्रामीण और दूर दराज क्षेत्रों में है जहां शिक्षकों के लिए न आवास सुविधा है और न रहने का माहौल।अध्यापक संयुक्त मोर्चा जिलाध्यक्ष कसरसिंह सोलंकी ने कहा कि शिक्षक अपने शैक्षणिक दायित्वों के अतिरिक्त बच्चों के आधार कार्ड बनाने और अपडेट कराने, बैंक खाता और समग्र आईडी, अपार आईडी, प्रोफाइल पंजीयन सहित दर्जनों कार्य भी करने पड़ते है। शिक्षक बिना टीए डीए लिए जिला और ब्लाक मुख्यालयों के अनेक कार्यों को नित्य प्रतिदिन करते हैं। ऐसे में प्रतिदिन ठीक शाला खुलने और बंद होने के समय ई अटैन्डेंस लगाना व्यवहारिक नहीं है। शिक्षकों के दायित्वों को जानते हुए भी इलैक्ट्रानिक उपकरणों की व्यवस्था पर भरोसा करके वेतन व्यवस्था बनाना कई विवादों और समस्याओं को जन्म देगा।
नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन के कार्यकारी अध्यक्ष यशवंत चौहान ने बताया कि प्रार्थना और प्रथम कालखण्ड में अव्यवस्था नेटवर्क, लोकेशन और फेस रिकॉग्निशन पर आधारित अटैन्डेंस व्यवस्था हर समय सही से काम नहीं कर सकती है ऐसें में शिक्षक के समय पर विद्यालय में उपस्थित होने पर भी ई अटैन्डेंस नहीं लगेगी। देखा जा रहा है कि लोकेशन गलत बताने और फेस रिकॉग्निाइज न होने से शिक्षक प्रार्थना और प्रथम कालखण्ड को छोडकर मोबाइल से अटैण्डेंस लगाने का प्रयास ही करते रहते हैं।

महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष विनीता मुलेवा ने कहा कि शिक्षकों के मोबाइल से अटैण्डेंस ई अटेण्डेंस शिक्षकों को अपने एण्ड्रायड मोबाइल से लगानी पड़ रही है। जबकि मोबाइल डिस्चार्ज हो सकता है, बिगड़ या गुम भी हो सकता है, जरूरी काम से घर भी छोड़ना पड़ सकता है या भूल से छूट भी सकता है।ऐसें में ई अटेण्डेंस कैसे लगेगी। यह भी उल्लेख है कि शिक्षकों को कोई मोबाइल भत्ता भी नहीं दिया जाता है। ट्राइबल वेल्फेयर के संभागीय उपाध्यक्ष अशोक कुशवाह ने कहा कि शिक्षा गुणवत्ता से सम्बंध नहीं ई अटेण्डेंस व्यवस्था से शिक्षा गुणवत्ता से कोई सम्बंध नहीं है यह सिर्फ स्कूल लगने और बंद होने के समय शिक्षक की उपस्थिति पर नजर रख सकता है बीच में शिक्षक स्कूल में रहता है या नहीं अध्यापन कराता है या नहीं इस पर ई अटैण्डेंस से कोई नियंत्रण नहीं हो सकता है। ई अटैण्डेस लगने के बाद प्राचार्य / प्रधानपाठक का नियंत्रण शिक्षकों पर नहीं रह जायेगा। आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने अपने पत्र में कहा है कि जो विद्यालय ई अटेण्डेंस लगाऐंगें उन विद्यालयों का बिना उच्चाधिकारियों की अनुमति के निरीक्षण नहीं किया जायेगा, स्पष्ट है एप से हाजिरी को महत्वपूर्ण माना है पढ़ाई लिखाई को नहीं।

शिक्षक कॉंग्रेस के जिलाध्यक्ष राकेश बच्चन ने कहा कि अटेंडेंस एप की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह है ? हमारे शिक्षक एप के माध्यम से शिक्षकों के डाटा लीक होने और ठगी के समाचार रोज प्रसारित हो रहे हैं लेकिन विभाग द्वारा अभी तक एप की विश्वसनीयता को लेकर कोई जवाबदारी नहीं ली गई है। ऐसें में एप को डाउनलोड करने और अटेण्डेस लगाने का रिस्क शिक्षक नहीं लेना चाहता है। 
*पूर्व मुख्यमंत्री जी ने अपमानजनक शर्त कहा*
राज्य शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष राधेश्याम यादव ने कहा कि 2 अप्रैल 2018 से एमशिक्षा मित्र के माध्यम से लागू की जाने वाली ई अटेण्डेंस व्यवस्था जो कि वर्तमान व्यवस्था जैसी ही थी को पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने 1 अप्रैल 2018 को इसे एक अपमानजनक शर्त कहकर तत्काल इस पर रोक लगा दी थी।
शिक्षकों के लिए वर्तमान ई अटैण्डेंस व्यवस्था किसी भी प्रकार से व्यवहारिक और उपयुक्त नहीं है । शिक्षकों ने तत्काल इस पर रोक लगाने की मांग की गई है ।
ज्ञापन मे प्रमुख रूप से हेमेंद्र मालवीय, राकेश भट्ट, अजय रघुवंशी, धर्मेंद्र मंडलोई, श्याम भावसार, संजय यादव, निलेश भावसार, मुबारिक मंसूरी, वीरेंद्र राठौड, अन्जुला राठौड़, वर्षा गुप्ता, फिरोज खान, मालती वर्मा, सीमा तोमर,
Share To:
Next
This is the most recent post.
Previous
Older Post

Post A Comment: