झाबुआ~बढ़ रहे तापमान से गेहूं में 25 से 30फीसदी और चना मटर, मसूर में 15 फीसदी तक हो सकता है नुकसान~~

पिछले साल भी तापमान बढ़ने के कारण गेहूं में 30फीसदी का हुआ था नुकसान~~

झाबुआ। संजय जैन~~


लगातार बढ़ रहे तापमान ने किसानों की चिंता एक बार फिर बढ़ा दी है। फरवरी माह के पहले सप्ताह में ही तापमान बढ़ने के चलते गेहूं की फसल में जहां 25 से 30फीसदी और चना,मटर, मसूर में 15फीसदी तक नुकसान हो सकता है। पिछले साल भी इसी तरह तापमान में वृद्धि के चलते किसानों को 30फीसदी तक नुकसान उठाना पड़ा था। वर्तमान में अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान 12 डिग्री तक पहुंच गया। जबकि इस समय फसलों के लिए 22 से 23 डिग्री अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान 10 से 11 डिग्री सेल्सियस रहना चाहिए।

लगे हुए हैं किसान खेतों में जल्दी-जल्दी पानी लगाने में .........................
तापमान बढ़ने का सीधा असर गेहूं सहित अन्य सभी दलहन फसलों पर पड़ता है। तेज धूप के कारण जल्दी फसल पकने से दाना कमजोर होगा और उत्पादन 30फीसदी तक घटेगा। यही नहीं दलहन फसलों में इल्ली का प्रकोप बढ़ने की भी संभावना रहती है। हालांकि किसान खेतों में जल्दी-जल्दी पानी लगाने में लगे हुए हैं।खेतों में खड़ी गेहूं की फसल जिसे अब तेज धूप से सिंचाई की जरूरत है साथ ही बालियां निकलने को हैं।

पिछले साल 30 फीसदी उत्पादन हुआ था...................
प्रभावित पिछले साल इस साल की तरह सभी फसलें काफी अच्छे खड़ी हुई थीं। लेकिन इस साल की तरह पिछले साल भी तापमान में अचानक वृद्धि होने से उत्पादन 30फीसदी तक प्रभावित हुआ था। औसतन प्रति बीघा में 9 से 10 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होना चाहिए। पिछले साल तापमान वृद्धि और तेज धूप के कारण केवल 6 से 7 क्विंटल प्रति बीघा गेहूं का उत्पादन हुआ था।
होगा।

दलहनी फसलों में इल्ली लगने की भी संभावना..................
दवा के छिड़काव की सलाह दलहन फसलों में तापमान वृद्धि होने की वजह से इल्ली लगने की संभावना भी है। कृषि अधिकारियों के अनुसार यदि इल्ली लगने की समस्या आती है तो किसान इमावैक्टिन 50 ग्राम प्रति बीघा और कोराजिन दवाई का 30 मिली प्रति बीघा के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं। इससे कीट खत्म हो सकते हैं।

तेज धूप से फसलों पर यह पड़ेगा असर.....................
ज्यादा तापमान और तेज धूप निकलने के चलते गेहूं की फसल जो कि वर्तमान में गधोट पर है उसकी बालियां जल्द पक जाएंगी और दाना पतला रह जाएगा। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा 25 से 30 फीसदी उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। वहीं चना, मटर और मसूर में भी 15 फीसदी तक नुकसान सकता है,क्योंकि इन फसलों में भी दाना जल्दी पकने की वजह से एक कमजोर रह जाएगा। ऐसे में फसल का उत्पादन प्रभावित होगा। यदि अभी सर्दी पड़ती रहे तो फसलों को काफी लाभ मिलेगा एवं उत्पादन प्रभावित नहीं होगा।
..............................................आईएस तोमर-कृषि वैज्ञानिक-कृषि विभाग,झाबुआ  


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