झाबुआ~1995 के बाद से सेवा दे रहे शिक्षको को भी मिलेगी,सिर्फ 1500 रु तक पेंशन~~
नई पेंशन दे रही टेंशन कर्मचारियों ने कहा-सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करे ताकि सम्मानजनक जीवन जी सकें~~
828 रुपए में सम्मान से जीना मुश्किल, इससे ज्यादा तो भिखारी कमा लेते हैं-मिल रही है विधायकों और सांसदों को तीन-तीन पेंशन~~
वर्ष 2005 से प्रदेश में नई पेंशन नीति लागू हुई और बीते कुछ वर्षों से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को इस नीति के हिसाब से पेंशन देना शुरू किया गया है। लेकिन यह नई पेंशन, पेंशनरों को टेंशन देने का काम कर रही है। इसमें किसी को 828 रुपए तो किसी को करीब 1600 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिल रही है। एक बुजुर्ग शिक्षिका ने तो यहां तक कहा कि इतनी कम राशि में सम्मानजनक जीवन कैसे जिए....? इससे ज्यादा तो किसी भी मंदिर के बाहर बैठे भिखारी कमा लेते हैं।
प्रतिवर्ष औसत 60 से 80 कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं....................
2005 से नई पेंशन नीति लागू होने के बाद 2015 के बाद से नई नीति के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन मिलना शुरू हुई है। जिले में प्रतिवर्ष औसत 60 से 80 कर्मचारी सेवानिवृत्त होते हैं। नई नीति के तहत पेंशन पाने के पात्र कर्मचारियों की संख्या लगभग 1400 से 1600 तक पहुंच गई है। इनमें किसी को 800,किसी को 2 हजार तो किसी को महज 3 हजार रुपए प्रतिमाह ही पेंशन मिल रही है।
1538 रुपए में दवाइयां भी नहीं आ रही, घर कैसे चलाएं.....?
सेवानिवृत्त शिक्षिका ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की 1998 में शिक्षा विभाग में शिक्षाकर्मी के पद पर नियुक्ति मिली थी। इसके बाद सहायक अध्यापक फिर अध्यापक बनीं। शुरुआत में वेतन 600 रुपए,1200 रुपए, 2200 रुपए फिर 43 हजार रुपए हुआ। 31 मार्च 2021 में विभाग से सेवानिवृत्त हुई। सेवानिवृत्ति के बाद अब महीने में पेंशन के 1538 रुपए मिल रहे हैं। मैं बीपी की मरीज हू,इतने रुपयों से अपनी दवाई भी नहीं खरीद पा रही, परिवार कैसे चलाऊं....?
विभाग को 20 साल दिए,अब पेंशन शून्य
स्कूल से सेवानिवृत्त शिक्षिका दुर्गा शर्मा-बगई वड़ी-राणापुर ने बताया 2009 में शिक्षा विभाग में उनकी नियुक्ति हुई थी। शुरुआत में 18 हजार, 24 हजार रुपए वेतन मिला। फिर सातवें वेतनमान में उनका वेतन 29 हजार रुपए हो गया। साल 2021 में सेवानिवृत्त हो गई। सेवानिवृत्त होने पर शासन ने उन्हें पेंशन का हकदार नहीं माना। 20 साल तक विभाग को सेवाएं देने के बाद सरकार ने मुझसे पेंशन का हक भी छीन लिया।
वर्तमान में 1995 के बाद अपनी सेवा से दे रहे ,3 हजार 631 शिक्षक.......................
जिले में उच्चतर माध्यमिक शिक्षक 134,माध्यमिक शिक्षक 963 और प्राथमिक शिक्षक 2 हजार 534,इस तरह कुल 3 हजार 631 शिक्षक वर्तमान में शिक्षा विभाग में अपनी सेवाएं 1995 के बाद से दे रहे हैं। सेवानिवृत्त होने के बाद इन शिक्षकों को भी नई पेंशन योजना के तहत 1500 से 2 हजार रुपए तक की पेंशन मिलेगी।
22 कर्मचारी संगठनों ने लिखे हैं मुख्यमंत्री को पत्र...................
जिले के राज्य कर्मचारी संघ,संयुक्त मोर्चा लिपिक संघ सहित 22 कर्मचारी संगठनों ने शासन की नई पेंशन योजना का विरोध किया है। पुरानी पेंशन योजना शुरू करने के लिए सभी संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखे हैं। पुरानी पेंशन शुरू हो जाने से 1995 के बाद के शिक्षकों को भी लाभ मिलने लगेगा। प्रांतीय आह्वान पर हमने 12 फरवरी को जिले में ज्ञापन दिया था अब आगे राज्य स्तरीय सभी 52 जिलों के पदाधिकारी 26 फरवरी को यदि शासन हमारी मांगों को नहीं मानती है तो भोपाल में धरना आंदोलन करेंगे।
राकेश परमार-राज्य कर्मचारी संघ,जिलाध्यक्ष-झाबुआ
पेंशन कर्मचारी के लिए बुढ़ापे की लाठी है.........................
ववर्तमान में में दी जा रही पेंशन नाकाफी है। पेंशन किसी भी कर्मचारी के लिए उसके बुढ़ापे की लाठी होती है। यह उसका अधिकार भी है और हक भी। उन्होंने कहा कि जब विधायक-सांसद सदन में शपथ लेने के बाद से ही पेंशन के हकदार हो जाते हैं, तो 30 से 35 वर्ष तक सेवा देने वाले शिक्षकों या अन्य कर्मचारियों के साथ अन्याय क्यों....?
कांग्रेस की सरकार आई तो देगी पुरानी पेंशन.................
कांग्रेस ने घोषणा की है कि हमारी सरकार आने पर ओल्ड पेंशन स्कीम दी जाएगी। भाजपा की सरकार कर्मचारियों की हितैषी नहीं है। जो सरकारी कर्मचारी जीवन भर सेवा देने के बाद जब सेवानिवृत्त होता है तो उसे इतनी भी पेंशन नहीं मिलती की वो अपना दवाओं का खर्च तक निकाल पाए। एनपीएस में जितनी पेंशन मिलती है,उससे तो एक सिलेंडर भी नहीं आ सकता। इसलिए कांग्रेस की सरकार आने पर पुरानी पेंशन लागू की जाएगी। अभी हाल ही में पेटलावद विधायक वालसिंह मेड़ा को भी आक्रोशित शिक्षको ने ज्ञापन भी दिया था।
.......................कांतिलाल भूरिया- विधायक,झाबुआ
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विधायकों और सांसदों को तीन-तीन पेंशन
गौरतलब है कि सभी जगह से नई पेंशन नीति के विरोध में स्वर उठ रहे है और जगह जगह ज्ञापन देने का दौर भी जारी है। 2005 के बाद के एनपीएस कर्मचारियों को अंशदान दिया जा रहा है । आपको बता दे कि सरकार पहले सैलरी का 10 प्रतिशत अंशदान एनपीएस कर्मचारियों को देती थी जिसे बढ़ाकर अब 14 प्रतिशत कर दिया गया है। सेवानिवृत्त के समय अच्छी एकमुश्त राशि कर्मचारियों को मिल भी रही है। ज्ञापन में पुरानी पेंशन नीति लागू करने पर ही जोर दिया जा रहा जबकि ज्ञापन में सरकार अंशदान बंद कर ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करे,इसका कोई जिक्र ही नहीं है। अब देखना यह है कि सरकार इसमें आगे क्या रुख अपनाती है....? गौरतलब है कि कई विधायकों और सांसदों को तीन-तीन पेंशन मिल रही है, जिस पर सरकार का किसी भी तरह का ध्यान ही नहीं है।
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.......................कांतिलाल भूरिया- विधायक,झाबुआ
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