झाबुआ~जेल चौराहे से लेकर बस स्टैंड तक सख्त अतिक्रमण मुहीम चलाई गयी-सालों बाद भी नहीं हुआ बाजार अतिक्रमण से मुक्त~~
बाजार में फैला अतिक्रमण, आने-जाने के लिए सिर्फ पांच फीट की सड़क-जारी करना चाहिए प्रशासन को टोल फ्री नंबर~~
याद दिला दीं नवागत एसडीएम सुनील झा ने,झाबुआ की जनता को बहुत समय पूर्व के एसडीएम छाबड़ा साहब की~~
कुछ माह पहले पूर्व कलेक्टर सोमेश के निर्देश से झाबुआ में बहुत वर्षो बाद ऐतिहासिक अतिक्रमण मुहीम चलाई गई थी,जिसे झाबुआ की जनता अभी तक भुला नहीं पायी है। ठीक उसी तर्ज पर कलेक्टर रजनी सिंह के निर्देशानुसार नवागत झाबुआ एसडीएम सुनील झा ने शनिवार के दिन जनता को वो ऐतिहासिक अतिक्रमण मुहिम की दोबारा याद दिला दी है। नगर में कल जेल चौराहे से लेकर बस स्टैंड तक सख्त अतिक्रमण मुहिम चलाई गई जिसमें अधिकतर अतिक्रमण को जमीजोद कर दिया गया।
शहर अतिक्रमण की चपेट.....................
शहर अतिक्रमण की चपेट में है। हालत यह है चौड़े मार्ग भी अतिक्रमण से संकरे हो गए हैं। ऐसे में लोगों को निकलने के लिए जगह तक नहीं मिल पाता है। मुख्य बाजार,चंद्रशेखर आजाद मार्ग,थांदला गेट से जेल चौराहा,रूनवाल बाजार, सिद्धेस्वर मंदिर रोड,कमल टॉकीज़ गली,राजवाड़ा,घाघरा गली झाबुआ में ऐसी कोई भी जगह नहीं बाकि है जहा अतिक्रमण नहीं फैला हुआ है। नगरपालिका के कॉम्पलेक्स में दुकानदारों के अतिक्रमण होने के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। हालत यह है कि बड़ी संख्या में खरीदारी के लिए बाजार आने वाले लोगों को निकलने के लिए पांच फीट जगह भी नसीब नहीं होती है। सड़कें, गलियारे और सरकारी जमीन पर लोगों का अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है और कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता ही होती आई है। जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ता है। बाजार में अतिक्रमण के कारण लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। आए दिन विवाद होते रहते है।
प्रशासन को यह करना चाहिए,जारी करना चाहिए प्रशासन को टोल फ्री नंबर.....
अभी कुछ महीने पहले पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा झाबुआ में ऐतिहासिक अतिक्रमण मुहीम की गयी थी,जिसके बाद नगर की जनता को काफी राहत हो गयी थी । लेकिन कुछ समय बीतने के बाद उनकी इस ऐतिहासिक अतिक्रमण मुहीम की धज्जिया अतिक्रमणकारियों द्वारा दोबारा अतिक्रमण करके उड़ा दी। प्रशासन को टोल फ्री नंबर जारी करना चाहिए । जिस दिन जहा से अतिक्रमण प्रशासन द्वारा हटाया जाता है और वही दोबारा अतिक्रमण होता है,तो उसी दिन उसकी सूचना जनता टोल फ्री नंबर पर दे सके। ऐसी व्यवस्था लागू करना होगी जिसमे शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखना होगा। प्रशासन को अतिक्रमणकारियों को पहले सुचना देनी चाहिए,फिर भी वे अपना अतिक्रमण नहीं हटाते है तो भारी जुर्माने का प्रावधान रखना चाहिए साथ ही बिजली कनेक्शन विच्छेद की कार्यवाही साथ करना होगी। तब कही जाकर अतिक्रमण मुहीम सच्चे रूप में सार्थक हो पायेगी,नहीं तो फिर वही सोडा इफ़ेक्ट की तरह बन जाएगी अतिक्रमण मुहीम ।
एक से डेढ़ महीने के नवागत एसडीएम सुनील झा...................
गौरतलब है मात्र एक से डेढ़ महीने ही सुनील झा को एसडीएम बने हुआ है। पहली बार इतने कम समय के कार्यकाल किसी एसडीएम ने झाबुआ के सबसे बड़े भू-माफिया भंडारी परिवार पर सिकंजा कसते हुए अपने विवेक से दोनों पक्षों को सुनकर त्वरित नामंतरण रद्द कर बेशकीमती सरकारी जमीन को भू-माफिया से अभी कुछ दिन पूर्व 4 नवंबर 2022 आजाद कराया। अब शनिवार को उन्होंने कलेक्टर रजनी सिंह के निर्देशानुसार नगर में फैले अतिक्रमण को हटाने के लिए एक सफल और सुनियोजित तरीके से अतिक्रमण मुहीम को अंजाम भी दे डाला।
याद दिला दीं नवागत एसडीएम सुनील झा ने झाबुआ की जनता को बहुत समय पूर्व के एसडीएम छाबड़ा साहब की .........
झाबुआ की जनता से जब हमारी टीम ने चर्चा की तो अधिकतर लोगो का कहना था जब भी कोई अधिकारी अपने कर्तव्य का दायित्व पूरी ईमानदारी से करता है तो जल्द ही उसका तबदला कर दिया जाता है। वर्षो पहले हमने एक ईमानदार और सख्त एसडीएम छाबड़ा जी को देखा था ,उनकी पूरी झलक हमें नवागत झाबुआ एसडीएम में देखनी मिली है। कुछ लोगो का कहना था की कोई अधिकारी ईमानदारी से अतिक्रमण मुहीम चलाता है तो उसके कुछ दिन बाद ही नगर पालिका चंद रूपये की रसीद काटकर इन अतिक्रमणकारियो को दोबारा विस्थपित कर प्रशासन की शानदार अतिक्रमण मुहीम पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ती ह। एसडीएम साहब को इस बात पर बारीकी से अपनी निगाह रखनी की जरूरत है। ईश्वर से तो हमारी एक ही प्रार्थना है ऐसे अधिकारी हमारे झाबुआ में लम्बे समय तक बने रहे ।
सबसे बुरी हालत थांदला गेट तिराहे की .................
यहाँ तो अतिक्रमणकारियो के हौसले इतने बुलंद है कि वे बेहद बड़ी जगह रोककर दुकाने तो लगाते ही ,साथ ही रात में दुकान सड़क पर ही बंद करके पूरा ताबूत वही छोड़ देते है। नगरपालिका की लापरवाही के कारण लोग फिर बीच सड़क पर आ धमके। सबसे पहले तो ऐसे अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही प्रशासन को करना चाहिए। प्रशासन को जहा अतिक्रमण मुहिम पूर्ण हो जाती है,रात्रि के समय नियमित अंतराल पर भ्रमण करना अत्यंत आवश्यक भी है तो ही यह मुहिम अपने अंजाम तक पहुंचने में सफल हो पायेगी।
शहर अतिक्रमण की चपेट.....................
शहर अतिक्रमण की चपेट में है। हालत यह है चौड़े मार्ग भी अतिक्रमण से संकरे हो गए हैं। ऐसे में लोगों को निकलने के लिए जगह तक नहीं मिल पाता है। मुख्य बाजार,चंद्रशेखर आजाद मार्ग,थांदला गेट से जेल चौराहा,रूनवाल बाजार, सिद्धेस्वर मंदिर रोड,कमल टॉकीज़ गली,राजवाड़ा,घाघरा गली झाबुआ में ऐसी कोई भी जगह नहीं बाकि है जहा अतिक्रमण नहीं फैला हुआ है। नगरपालिका के कॉम्पलेक्स में दुकानदारों के अतिक्रमण होने के बाद भी ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। हालत यह है कि बड़ी संख्या में खरीदारी के लिए बाजार आने वाले लोगों को निकलने के लिए पांच फीट जगह भी नसीब नहीं होती है। सड़कें, गलियारे और सरकारी जमीन पर लोगों का अतिक्रमण बढ़ता ही जा रहा है और कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता ही होती आई है। जिससे अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद हैं। जिसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ता है। बाजार में अतिक्रमण के कारण लोगों का निकलना मुश्किल हो गया है। आए दिन विवाद होते रहते है।
प्रशासन को यह करना चाहिए,जारी करना चाहिए प्रशासन को टोल फ्री नंबर.....
अभी कुछ महीने पहले पूर्व कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा झाबुआ में ऐतिहासिक अतिक्रमण मुहीम की गयी थी,जिसके बाद नगर की जनता को काफी राहत हो गयी थी । लेकिन कुछ समय बीतने के बाद उनकी इस ऐतिहासिक अतिक्रमण मुहीम की धज्जिया अतिक्रमणकारियों द्वारा दोबारा अतिक्रमण करके उड़ा दी। प्रशासन को टोल फ्री नंबर जारी करना चाहिए । जिस दिन जहा से अतिक्रमण प्रशासन द्वारा हटाया जाता है और वही दोबारा अतिक्रमण होता है,तो उसी दिन उसकी सूचना जनता टोल फ्री नंबर पर दे सके। ऐसी व्यवस्था लागू करना होगी जिसमे शिकायतकर्ता का नाम गुप्त रखना होगा। प्रशासन को अतिक्रमणकारियों को पहले सुचना देनी चाहिए,फिर भी वे अपना अतिक्रमण नहीं हटाते है तो भारी जुर्माने का प्रावधान रखना चाहिए साथ ही बिजली कनेक्शन विच्छेद की कार्यवाही साथ करना होगी। तब कही जाकर अतिक्रमण मुहीम सच्चे रूप में सार्थक हो पायेगी,नहीं तो फिर वही सोडा इफ़ेक्ट की तरह बन जाएगी अतिक्रमण मुहीम ।
एक से डेढ़ महीने के नवागत एसडीएम सुनील झा...................
गौरतलब है मात्र एक से डेढ़ महीने ही सुनील झा को एसडीएम बने हुआ है। पहली बार इतने कम समय के कार्यकाल किसी एसडीएम ने झाबुआ के सबसे बड़े भू-माफिया भंडारी परिवार पर सिकंजा कसते हुए अपने विवेक से दोनों पक्षों को सुनकर त्वरित नामंतरण रद्द कर बेशकीमती सरकारी जमीन को भू-माफिया से अभी कुछ दिन पूर्व 4 नवंबर 2022 आजाद कराया। अब शनिवार को उन्होंने कलेक्टर रजनी सिंह के निर्देशानुसार नगर में फैले अतिक्रमण को हटाने के लिए एक सफल और सुनियोजित तरीके से अतिक्रमण मुहीम को अंजाम भी दे डाला।
याद दिला दीं नवागत एसडीएम सुनील झा ने झाबुआ की जनता को बहुत समय पूर्व के एसडीएम छाबड़ा साहब की .........
झाबुआ की जनता से जब हमारी टीम ने चर्चा की तो अधिकतर लोगो का कहना था जब भी कोई अधिकारी अपने कर्तव्य का दायित्व पूरी ईमानदारी से करता है तो जल्द ही उसका तबदला कर दिया जाता है। वर्षो पहले हमने एक ईमानदार और सख्त एसडीएम छाबड़ा जी को देखा था ,उनकी पूरी झलक हमें नवागत झाबुआ एसडीएम में देखनी मिली है। कुछ लोगो का कहना था की कोई अधिकारी ईमानदारी से अतिक्रमण मुहीम चलाता है तो उसके कुछ दिन बाद ही नगर पालिका चंद रूपये की रसीद काटकर इन अतिक्रमणकारियो को दोबारा विस्थपित कर प्रशासन की शानदार अतिक्रमण मुहीम पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ती ह। एसडीएम साहब को इस बात पर बारीकी से अपनी निगाह रखनी की जरूरत है। ईश्वर से तो हमारी एक ही प्रार्थना है ऐसे अधिकारी हमारे झाबुआ में लम्बे समय तक बने रहे ।
सबसे बुरी हालत थांदला गेट तिराहे की .................
यहाँ तो अतिक्रमणकारियो के हौसले इतने बुलंद है कि वे बेहद बड़ी जगह रोककर दुकाने तो लगाते ही ,साथ ही रात में दुकान सड़क पर ही बंद करके पूरा ताबूत वही छोड़ देते है। नगरपालिका की लापरवाही के कारण लोग फिर बीच सड़क पर आ धमके। सबसे पहले तो ऐसे अतिक्रमणकारियों पर कार्यवाही प्रशासन को करना चाहिए। प्रशासन को जहा अतिक्रमण मुहिम पूर्ण हो जाती है,रात्रि के समय नियमित अंतराल पर भ्रमण करना अत्यंत आवश्यक भी है तो ही यह मुहिम अपने अंजाम तक पहुंचने में सफल हो पायेगी।
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