धार~50 हजार की रिश्वत लेते रंगेहाथ धराए डब्ल्यूआरडी एसडीओ को 4 साल की सजा ~~
मुकदमे की सुनवाई के दौरान फरियादी ठेकेदार ने नहीं किया अभियोजन का समर्थन, 12 साक्ष्यों को सुनने के बाद कोर्ट ने सुनाई सजा~~
2 करोड़ के ब्रिज निर्माण कार्य में 30 लाख के भुगतान पर ठेकेदार से 3 प्रतिशत कमीशन मांगा था ~~
माही परियोजना के तहत किया था खईडिया नदी में ठेकेदार ने काम, जल संसाधन विभाग के उपयंत्री त्रिपाठी को हुई सजा ~~
धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )।
प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश की कोर्ट ने सोमवार को जल संसाधन विभाग के उपयंत्री अरूण पिता अयोध्याप्रसाद त्रिपाठी उम्र 57 वर्ष को 4 साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने यह सजा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में धारा 7 में 3 वर्ष व 500 का अर्थदंड व धारा 13(1) (डी) में 4 वर्ष का साधारण कारावास एवं 1500 रुपए केअर्थदण्ड से दण्डित किया है। आरोपी श्री त्रिपाठी को वर्ष 2017 में लोकायुक्त पुलिस ने 50 हजार की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों पकड़ा था। इस मामले में शासन की और से पैरवी उप संचालक अभियोजन टीसी बिल्लौरे ने की। कोर्ट ने अभियोजन के संपूर्ण साक्ष्यों को पुख्ता मानते हुए सजा सुनाई है।
यह था मामला
मामले की जानकारी देते हुए मीडिया सेल प्रभारी श्रीमती अर्चना डांगी ने बताया कि ए-क्लॉस श्रेणी के शासकीय ठेकेदार इंदौर निवासी धर्मेन्द्र वीरनारायण शर्मा ने 2016 में माही डेम परियोजना उप संभाग क्रमांक 4 सरदारपुर के अंतर्गत फुलकीपाड़ा ब्रिज के निर्माण का कार्य लिया था। करीब 2 करोड़ के इस पुल में 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका था। इस मामले में झाबुआ से ठेकेदार का भुगतान हो गया था। धार से 30 लाख का भुगतान ठेकेदार के खाते में आने के बाद तत्कालीन प्रभारी एसडीओ व उपयंत्री अरूण त्रिपाठी ने 3 प्रतिशत कमीशन यानि 90 हजार की मांग की थी। इधर शेष कार्य को पूर्ण करने के दौरान राशि ना मिलने पर श्री त्रिपाठी द्वारा निर्माण कार्य में त्रुटि के नाम पर नोटिस जारी करने की धमकी देते थे। ठेकेदार ने तय कर लिया था कि रिश्वतखोर अधिकारी को रंगेहाथ ही पकड़वाऊंगा। इसके बाद उन्होंने लोकायुक्त को 12 जुलाई 2017 को सूचना दी और लोकायुक्त टीम ने दूसरे दिन 13 जुलाई को त्रिपाठी को 50 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था।
मुकदमें के दौरान ठेकेदार पलटा
इस पूरे मामले में सबसे मुख्य बात यह रही कि रिश्वत के मामले में अनुसंधान पूर्ण करके मुकदमा न्यायालय में पेश किया गया। जहां सुनवाई के दौरान करीब 12 गवाह पेश किए गए। जिसमें फरियादी व साक्षी ठेकेदार धर्मेन्द्र शर्मा ने अभियोजन पक्ष का समर्थन नहीं किया। इसके बावजूद कोर्ट ने अन्य गवाहों व लोकायुक्त के अनुसंधान के साथ अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए सजा सुनाई है।
चित्र है 1धार13-
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