धार~वर्षगांठ- जमीन घोटाले में दर्ज प्रकरण का 1 साल पूरा, 3 आरोपी अभी भी पुलिस गिरफ्त से दूर
गिरफ्तार के तमाम प्रयास हुए विफल, 4 मुख्य आरोपितों में 1 अभी भी फरार ~~
धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )।
सेंट टेरेसा भूमि के नाम से चर्चित जमीन घोटाले को 28 नवंबर को 1 साल पूरा हो गया है। इस मामले में पुलिस ने घोटाला उजागर के साथ एफआईआर दर्ज करने के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्रीर शिवराजसिंह चौहान से शाबासी पाई थी। वहीं यह जमीन घोटाला शहर के कई सभ्रांत परिवारों के लिए मुसीबत बन गया है। इस घोटाले में पुलिस ने अब तक करीब 30 से अधिक लोगों को गिरफ्तार करके जेल भेजा था, किंतु इस कांड में आज भी पुलिस के हाथ खाली है, क्योंकि 3 आरोपित जैन दंपत्ति और अंकित वडेरा आज भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। फरार आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। टीमें गठित कर कई राज्यों में भेजी। मोबाईल नंबर लोकेशन ट्रेस के लिए रखे। संपत्ति कुर्की की कार्रवाई की। हवाई यात्राओं पर लुकआऊट नोटिस जारी किए, किंतु आरोपी आज तक भूमिगत है। इसमें एक महिला भी शामिल है।
गिरफ्तारी के सभी प्रयास रहे विफल
एसपी आदित्य प्रतापसिंह के कार्यकाल में जिले के सबसे बड़े करीब 250 करोड़ (अनुमानित कीमत) की जमीन घोटाले का खुलासा हुआ था। दान की जमीन की अफरा-तफरी में खेल का मास्टर मार्इंड सुधीर उर्फ बनी पिता रत्नाकरदास सहित 3 अन्य आरोपी पर समान धाराएं लगी है। इसमें मुख्य चार आरोपितों में शामिल सुधीर जैन और उनकी पत्नी सहित साला अंकित वडेरा पुलिस के हाथ नहीं लगे है। केस दर्ज करने के बाद जहां पुलिस ने अधिकांश लोगों को एक ही दिन में गिरफ्तार किया था। उस परिस्थिति में मुख्य आरोपितों में शामिल सुधीर के निकलने से सवाल उठे थे। यह सवाल एक साल बाद भी जिंदा है।
अब तक का सबसे बड़ा चालान
महिला पुलिस अधिकारी डीएसपी यशस्वी शिंदे ने इस केस की जांच में मुख्य भूमिका निभाई थी। सीएसपी देवेन्द्र धुर्वे, थाना प्रभारी समीर पाटीदार सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने साक्ष्य जुटाने के लिए करीब 6 महीने तक सतत जांच और कार्रवाई जारी रखी। नतीजे में अब तक का सबसे बड़ा अनुसंधान चालान करीब 16 हजार पेज का पुलिस ने तैयार किया है। भूमिगत हो चुके 3 आरोपितों की गिरफ्तारी के बाद संभवत: इसमें पूछताछ से मिली जानकारी के आधार पर और भी लोगों की भूमिका सामने आएगी और पूरक चालान भी बनाया जाएगा।
सभ्रांत परिवार के लिए टीस
जमीन घोटाले की जांच में पुलिस ने विक्रेताओं के साथ विवादित जमीन पर प्लाट खरीदने वाले लोगों को भी आरोपी बनाया था। शहर के सभ्रांत परिवार की महिलाओं को इस मामले में सिर्फ खरीददार की भूमिका होने पर जेल जाना पड़ा था। दरअसल कई लोगों ने जमीन की खरीदी अपनी ‘घर लक्ष्मी’ के नाम से की थी। यह केस का परिणाम जो भी हो, लेकिन सभ्रांत परिवार के लोगों के लिए यह एक साल बाद भी टीस बनकर रह गया है। जिनकी पत्नियां कारों से नहीं उतरी, कुछ की पत्नियां घरों से बाहर नहीं निकली, इन्हें जेल में रहना पड़ा।
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