धार~नन्हें विद्यार्थियों की 271 जर्जर शालाओं को सुधारने के लिए मांगी राशि, 20 की मिली स्वीकृत ~~
670 नवीन कक्ष निर्माण के प्रस्ताव अटके, कक्षाओं में ज्यादा हुई बच्चों की संख्या ~~
शिक्षक जर्जर में पढ़ाए जो जोखिम का खतरा, खुले में पढ़ाए तो कार्रवाई का डर ~~
एसएमसी निर्माण के लिए बेन फिर भी उन्हें ही काम सौंपने की तैयारी, शिक्षक पढ़ाए कि सरिया-गिट्टी लाए ~~
जिले में नन्हें विद्यार्थियों को इस वर्ष भी जर्जर भवनों में ही पढ़ाई करना पड़ेगी। बच्चों के नवीन शाला भवन बनाने के लिए शासन के पास पर्याप्त पैसा नहीं है। ऊंट के मुंह में जीरा की तर्ज पर राशि आवंटित की जा रही है। जिले में करीब 251 प्राथमिक शालाएं व 20 माध्यमिक शाला भवन जर्जर स्थिति में हो गए हैं। ऐसी स्थिति में इनके स्थान पर नवीन भवन बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार किए गए है। मांग 271 भवन बनाने की है। शासन की और से 16 प्राथमिक शाला और 4 माध्यमिक शाला भवन निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई है। ऐसी स्थिति में शेष शालाओं के बच्चों को अभी कमजोर भवनों में ही मजबूत शिक्षा हासिल करना पड़ेगी। हालांकि इस नकारात्मक स्थिति के मध्य अच्छी बात यह है कि प्रत्येक संकुल में अधिक दर्ज संख्या वाले 4 से 5 शाला प्रति संकुल में निर्माण सुधार कार्य हेतु बड़ी राशि दी गई है। सवाल यह है कि जो जोखिम है पहले उन्हें सुरक्षित क्यों नहीं की जा रहा है।
विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी, कक्ष नहीं
ग्रामीण जिले धार में पहली से आठवीं तक नन्हें ढ़ाई लाख विद्यार्थियों की शिक्षा सरकारी स्कूलों पर ही निर्भर है। जहां जर्जर भवन बड़ी संख्या में है। वहीं बेहतर भवन वाले शालाओं में दर्ज बच्चों की संख्या बढ़ गई है। जिले से 623 अतिरिक्त कक्ष बढ़ाने के प्रस्ताव लंबित है। इनके लिए भी नाम मात्र की कक्ष स्वीकृति मिल पा रही है। बाउंड्रीवाल, आॅफिस, स्टॉफ रूम, बालक-बालिका विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग शौचालय, फर्नीचर जैसे 17 हजार 365 प्रस्ताव तैयार किए गए है। इन सबके लिए कब राशि आवंटित होगी इसका कोई ठिकाना नहीं है, क्योंकि जब जर्जर को नवीन करने के लिए राशि कम दी जा रही है तो अन्य कार्यों के लिए लंबा इंतजार करना होगा।
इसलिए खुले में पढ़ाते है
जिले की शैक्षणिक स्थिति भी खासी अच्छी नहीं है। तीन माह की रैंकिंग में जिला 52 जिलों में 45वें नंबर पर है। इधर स्कूल भवनों की स्थिति ने कई सवाल खड़े कर दिए है। सबसे ज्यादा फजीहत शिक्षकों की हो रही है। बारिश एवं आम दिनों में कमजोर भवन में पढ़ाने का जोखिम उठाना पड़ता है। कुछ शिक्षक जोखिम की बजाय खुले मैदान में पढ़ाते है तो उन्हें कार्रवाई नोटिस का जवाब देना पड़ता है।
शिक्षक अब बिल्डिंग बनवाएंगे
जिले में शिक्षकों को पढ़ाने के अलावा कई तरह के काम में जिम्मेदारियां दी जाती है। इसका प्रतिकार करो तो सस्पेंड भी होना पड़ता है। अब इन्हीं शिक्षकों को भवन बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी। अपुष्ट सूत्रों के अनुसार जिले में नवीन पीएस निर्माण की जिम्मेदारी एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) के सुपूर्द करने की तैयारी की जा रही है। वर्षों पूर्व शासन ने एसएमसी को निर्माण संबंधी काम सौंपना बेन किया था। अब इनके माध्यम से ही विभाग के इंजीनियरों की निगरानी में भवन तैयार करवाने की प्रक्रिया की जा सकती है। सवाल उठने लगे है शिक्षक अब सीमेंट, र्इंट, गिट्टी-सरिया लाएंगे या बच्चों को पढ़ाएंगे।
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