बैतूल~शिवपुराण में जालन्धर वध एवं सती वृन्दा की कथा बतलाई~~

भगवान श्री नारायण ने जलंधर का अंत किया~~

सचिन शुक्ला बैतूल~~

शाहपुर -  ग्राम भयावाडी के ग्रामवासियों द्वारा खेडापति मन्दिर में आयोजित  शिवपुराण के सातवें दिन कथा वाचक  पंडित अखलेश परसाई शाहपुर वाले  ने शिवपुराणकथा में जलधंर वध की कथा सुनाई गई। भगवान नारायण के वृंदा का रूप धर जलंधर को मोहित किया जिसके बाद भगवान शिव ने जलंधर का वध किया। जिससे क्षुब्ध होकर सती वृंदा ने नारायण भगवान को वृक्ष रूप में जीवन भोगने का श्राप दिया गया। खेडापति  मन्दिर में आचार्य  अखलेश परसाई ने श्रद्धालुओं को जलंधर वध की कथा विस्तार पूर्वक सुनाई। उन्होंने श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान श्री नारायण ने जलंधर का अंत किया था। जिसके बाद सतीवृन्दा ने क्रोधित होकर भगवान नारायण को शालीग्राम में पेड़ के रूप में जीवन भोगने का श्राप दिया। उन्होंने बताया कि उसके बाद आंवला और तुलसी की उत्पत्ति हुई।
कथावाचक पंडित जी ने कथा में आगे  बताया कि जालंधर ने शिव से अमर होने का  वरदान प्राप्त कर लिया था  इसके बाद उसने ब्रह्मा, विष्णु आदि देवी देवताओं से भी शक्ति प्राप्त की, जिससे वह बलशाली हो गया और उल्टा ही देवी देवताओं को परेशान करने लगा।
इस परेशानियों के चलते  नारद जी इंद्रदेव के पास पहुंचे और कहा कि भगवान शिव ने देवताओं के साथ छल कर उन्हें छोटा राज्य व असुरों का बड़ा राज्य अपने पास रखे हुए हैं। इस पर इंद्रदेव शिव के पास पहुंचे और उनसे असुर राज्य मांग लिया। इस बात का पता चलते ही जालंधर ने इंद्र को जीत लिया, तो इंद्र शिव की शरण मेें जा पहुंचे। सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के पास जाकर आपबीती सुनाई। इस पर उन्होंने सभी को नारद के पास भेजा। नारद ने बताया कि जालंधर को वरदान है कि जब वह किसी स्त्री के साथ शादी करेगा और उसका पतिवृत धर्म खंडित होगा तभी उसकी मृत्यु संभव है। इस पर विष्णु ने जालंधर की बिंद्रा से मायावी चाल से शादी कराई और उसका पतिवृत धर्म खंडित कर दिया। इसके बाद जालंधर की मृत्यु हुई।


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