बड़वानी~डाॅ. अम्बेडकर की 63 वीं पुण्य तिथि
ज्ञान बढ़ाकर बनायें समाज में अग्रणी स्थान~~

बड़वानी /सिंबल आॅफ नाॅलेज डाॅ. भीमराव आम्बेडकर ने अनेक विषयों का उच्चतम ज्ञान प्राप्त किया और कई भाषाओं में महारथ हासिल की। उनके जीवन से यह सिद्ध होता है कि ज्ञान के बल पर अग्रणी स्थान बनाया जा सकता है। यदि आप भी ऐतिहासिक मुकाम हासिल करना चाहते हैं तो खूब अध्ययन और चिंतन मनन कीजिये। ये बातें शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ द्वारा आज बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर की 63 वीं पुण्य तिथि के अवसर पर परिचर्चा में डाॅ. मधुसूदन चैबे ने कहीं। सर्वप्रथम राहुल वर्मा, वर्षा मालवीया, नंदिनी अत्रे, नंदिनी मालवीया, जितेंद्र चैहान, अजय पाटीदार आदि विद्यार्थियों ने बाबा साहेब के चित्र का पूजन अर्चन किया। सभी उपस्थितजन ने प्रणाम करके उनके योगदान के प्रति श्रद्धा व्यक्त की। यह आयोजन प्राचार्य डाॅ. आर. एन. शुक्ल के मार्गदर्षन में हुआ।
डाॅ.  चैबे ने कहा कि बाबा साहेब मानते थे कि दिमाग का विकास मानव अस्तित्व का परम लक्ष्य होना चाहिए। जीवन लंबा होने की अपेक्षा महान होना चाहिए। उन्होंने बाबा साहेब के 14 अप्रैल, 1891 से 6 दिसम्बर, 1956 तक के लगभग 65 वर्षीय जीवन वृत्त, संविधान निर्माण में उनकी भूमिका के बारे में बताते हुए उनके पूर्वज, जन्म, प्रारंभिक षिक्षा, उच्च षिक्षा, जीवन संघर्ष, आजीविका के आयाम, आंबेडकर नामकरण, गांधीजी और कांग्रेस से संबंध, गोलमेज सम्मेलनों में सहभागिता, देष के प्रथम कानून मंत्री के रूप में कार्य, प्रारुप समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य, बौद्ध धर्म के प्रति झुकाव, लेखन, शोध, भारत रत्न का सम्मान आदि पर की जानकारी दी। पुस्तकालय विषेषज्ञ कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया ने बताया कि ‘वेटिंग फाॅर ए वीजा’ आम्बेडकर जी की आत्मकथा है। मात्र बीस पृष्ठों में उन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया है।


Share To:

Post A Comment: