बड़वानी~स्वतंत्रता के पूर्व का हाई स्कूल बाद में बना काॅलेज, जानकर बोले विद्यार्थी~~

यकीन नहीं होता कि भव्य भवन की लागत केवल नब्बे हजार रुपये~~

बड़वानी / क्या बात कर रहे हैं? केवल नब्बे हजार रुपये लागत है, इस भव्य, मजबूत, शानदार और इतने बड़े भवन की? यकीन नहीं होता है !! मगर हाथ कंगन आरसी क्या और पढ़े लिखे को फारसी क्या? जब सबूत सामने है, तो शंका क्यों करें? ये प्रतिक्रियाएं एसबीएन पीजी काॅलेज में प्रवेषित नये विद्यार्थियों की है, जिन्हें स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्षन प्रकोष्ठ के माध्यम से काॅलेज का इतिहास बताया जा रहा है। लगभग साढ़े तीन दषकों से इस काॅलेज में सेवा दे रहे गणित के विभागाध्यक्ष डाॅ. जे. के. गुप्ता ने अपने अध्ययन और अपने पूर्वजों के मुख से काॅलेज का जो इतिहास समझा, उसे उन्होंने बहुत विस्तार से विद्यार्थियों के साथ साझा किया। उन्होंने बड़वानी रियासत की प्रगति में राणा देवीसिंह जी और अन्य राणाओं के साथ ही दीवान गोसालिया जी के योगदान की चर्चा की। इस अवसर पर कॅरियर सेल के कार्यकर्तागण प्रीति गुलवानिया, किरण वर्मा, ग्यानारायण शर्मा, अंषुल सुलिया, डाॅ. डी.सी. कुमरावत, डाॅ. महेष लाल गर्ग, प्रो. रेवलसिंह खरत, दीपक बिल्लोरे और डाॅ. मधुसूदन चैबे उपस्थित थे। यह आयोजन प्राचार्य डाॅ. आर. एन. शुक्ल के मार्गदर्षन में किया गया।
अभिलेख में लिखे हैं प्रामाणिक तथ्य
कॅरियर काउंसलर और इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. मधुसूदन चैबे ने बताया कि इतिहास जानने के स्रोतों में अभिलेखों का महत्वपूर्ण स्थान है। एक अभिलेख महाविद्यालय के मुख्य भवन के लोअर हाॅल के बाहर लगा हुआ है। इस पर इस भवन के निर्माण से संबंधित तथ्य अंकित हैं, जिसे पढ़कर ज्ञात होता है कि मूलतः यह हाई स्कूल था, जो अब काॅलेज में रूपांतरित हो गया है।
इस प्रकार है अभिलेख का पाठ
डाॅ. चैबे ने इंग्लिष में लिखे अभिलेख का हिन्दी अनुवाद करके विद्यार्थियों को समझाया। इसका पाठ इस प्रकार है-
विक्टोरिया हाई स्कूल बड़वानी।
आधारषिला सम्माननीय कर्नल आर. जे. मेकनाब, ए.जी.जी.सी.आई. द्वारा 17 नवम्बर, 1933 को रखी गई। सम्माननीय श्री के. एस. फिट्जे, सी.आई.ई.आई.सी.एस.ए.जी.जी.सी.आई. द्वारा 20 फरवरी, 1935 को उपयोग के लिए घोषित किया गया। हिज हाइनेस देवीसिंहजी राणा साहिब के अल्पवयस्कता काल में आकल्पना और निर्माण बड़वानी दरबार के द्वारा किया गया तब दीवान बहादुर एच.एन.गोसालिया एम.ए., एलएल. बी. दीवान और राज्य परिषद् के अध्यक्ष थे। लागत 90000 रुपये। कार्यकर्ता प्रीति गुलवानिया ने बताया कि महाविद्यालय में अध्ययनरत् विद्यार्थियों को इसके इतिहास और अन्य विषेषताओं की जानकारी होना आवष्यक है। कॅरियर सेल निरंतर इस तरह की गतिविधियों के द्वारा इस उद्देष्य की पूर्ति करता है।


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