बड़वानी~बिना पुनर्वास डूब मंजूर नहीं~

31जुलाई 2019 के रोज चलो बड़वानी~~

आज भी डूब क्षेत्र में 30 हजार परिवारों का पुनर्वास बाकी है~~



सरदार सरोवर परियोजना से प्रभावित गांव सोंदुल में आंदोलन के द्वारा मीटिंग की गई थी।
गुजरात सरकार, केंद्र सरकार व NCA नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण के द्वारा पानी भरने का प्रयास किया जा रहा है, परंतु म. प्र. सरकार ने पिछले 15 सालो में पहली बार कहा की आज भी हजारों परिवारों का पुनर्वास करना बाकी है, आज भी हजारों फाइल 60 लाख रु की पात्रता वाले के प्रकरण लबित है।
नर्मदा घाटी को डुबाने के बावजूद भी बिजली नहीं मिल रही है। म. प्र. नई सरकार का हम सुस्वागत करते है जिन्होने ने सरदार सरोवर बांध के मुद्दे पर गुजरात सरकार को कहा है।

साेंदुल के आज भी विस्थापितों को कानूनी पुनर्वास नहीं हुआ है।सोदुल के पुनर्वास स्थल पर आज भी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जैसे पानी, नाली, कच्ची सड़क, घर प्लाट समतलीकरण , इत्यादि नहीं है। बसाहट पर एक बड़ा पहाड़ है, जो पूरा पानी बसाहट में पानी भरता है। पुनर्वास स्थल रहने लायक तक नहीं है इसलिए लिए कोई भी विस्थापित परिवार रहना नहीं चाहते है।
सो दुल गांव को डूब से बाहर कर दिया गया है जो गेरकनुनी तरीके से गलत है। पहले पूर्व में पूरे मकानों का भू अर्जन हुआ है इसके बाद डूब बाहर करके हमारे अधिकार समाप्त करने की कोशिश कर रहा है।
हमारे गांव में लगभग १५ परिवारों को ही मकान बनाने की पात्रता ५.८० लाख रु की दी गई है जिनको प्रथम किश्त का भुगतान हुआ है दूसरी किश्त का भुगतान बाकी है।
हमारा पूरा गांव डूब में जा रहा है सभी को ५.८० लाख रु की पात्रता आती है जो आज तक NVDA के द्वारा नहीं दी गई है।
आज भी हमारे गाव में आजीविका अनुदान, पुनर्वास अनुदान, परिवहन अनुदान इत्यादि मिलना बाकी है।
कुछ दिन पहले हमारे गाव में अधिकारी आए थे उन्होंने का की जिनका मकान डूब में है उनको हम यहां से हटाए गए विस्थापितों ने कहा कि हम पूरा गांव एक साथ हतेगे। सभी विस्थापितों को पुनर्वास के लाभ मिलने के बाद ही हम मूल गांव छोड़ सकते है। बिना पुनर्वास डूब मंजूर नहीं।


*अवलदा में भी मीटिंग ली गई थी।*
अवल्दा के विस्थापितों का पुनर्वास कानूनी तरीके से नहीं हुआ है।
आज भी पुनर्वास स्थल पर मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है, जैसे पानी, बिजली, स्टेट लाइट, नाली, रोड कच्ची, बरसाती निकासी नालियों का निर्माण तक नहीं हुआ है, शासकीय भवन जैसे बीज गोदाम भी बन्द पड़ा है, स्वास्थ केंद्र भी बंद पड़ा है।
पुनर्वास स्थल पर २५ परिवार ही निवास कर रहे है बाकी सभी परिवार मूल गाव में रह रहे है।
आज भी नर्मदा ट्रिब्युनल फैसले, सुप्रीम कोर्ट के आदेश २०००,२००५, २०१७ व राज्य की पुनर्वास नीति, पिछले आदेशों का आज तक पालन नहीं किया गया है।
हमारे गांव के ९० मकानों को छोड़ दिया गया है, इसका कोई भू अर्जन नहीं हुआ है।
हमारे गांव में ६० लाख रु व १५ लाख रु की पात्रता वाले कुछ परिवारों को भी लाभ मिलना बाकी है।
आज भी सैकड़ों परिवारों को ५ .८० लाख रु मिलना बाकी है। आज भी सैकड़ों परिवारों को आजविका अनुदान, पुनर्वास अनुदान, परिवहन अनुदान इत्यादि भी लाभ मिलना बाकी है।

बिना पुनर्वास डूब मंजूर नहीं ऐसा संकल्प लिया गया है।
३१ जुलाई के रोज बड़वानी आपने अधिकार के लिए पूरे गांव के काम बन्द करके सभी आयेगे ।

सुखालाल भिलाला, सीता बहन, रामेश्वर सोलंकी, निर्मला बहन, पेमा भिलाला, शोभाराम भिलाला,  कमला यादव, राहुल यादव, मेधा पाटकर


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