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चेतना जगाते झाबुआ कलेक्टर-एसपी-रानी साहिबा से राजमाता-हम सुधरेंगे,जग सुधरेगा- क्या कोई अपनी ही एसपी की जासूसी करा सकता है...?- छोड़ दो ये गुस्सा, जरा हँस के दिखाओ-तब हाथ बंधे थे अब ~~

झाबुआ। ब्यूरो चीफ -संजय जैन~~


*** हलचल ***

चेतना जगाते झाबुआ कलेक्टर-एसपी ........


झाबुआ। कलेक्टर नेहा मीना और एसपी पद्म विलोचन शुक्ला अपने स्तर पर जिले के आदिवासियों में सकारात्मक चेतना के फैलाव में जी जान से जुटे हुए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों * भूमि सम्मान प्लेटिनम अवार्ड * से सम्मानित हो चुकीं,कलेक्टर ने जिले के युवाओं का सफल करियर बनाने और उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए * झाबुआ की उड़ान * पहल शुरु की है। साथ ही युवाओं में पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने एक केंद्रीय पुस्तकालय स्थापित करने में कामयाबी भी हासिल कर ली है।
एसपी भी अलग-अलग गांवों में चौपाल लगा कर आदिवासियों से चर्चा कर, अपनी मोटिवेशनल स्पीच से नशा मुक्ति, बच्चों को शिक्षित,कम उम्र में शादी नहीं करने और साहूकारों के चंगुल से बचने की नसीहत सतत दे रहे हैं। अंत मे भोजन के समय एसपी सहित संबंधित थाने का अमला आदिवासियों को मनुहार करते हुए बड़े ही स्नेह भोजन परोसता है। पुलिस के इस स्नेह से विभाग का खौफ भी खत्म हो रहा है।

रानी साहिबा से राजमाता......

कुछ उन्हें रानी साहिबा....रानी साहिबा तो कुछ वक्ता उन्हें राजमाता.... राजमाता कह कर संबोधित कर रहे थे। समारोह में शामिल भाजपा से जुड़े कई समाजजनों को यह संबोधन अटपटा भी लगा क्योंकि राजमाता का मतलब उनके लिये तो स्व.विजया राजे सिंधिया ही हैं। प्रगतिशील क्षत्रिय महासभा के शस्त्र पूजन में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के साथ शामिल हुयी,खुद अमृता सिंह की समझ में नहीं आया होगा कि वो हैं क्या....? वैसे भी राजपूत समाज के इस वार्षिक समारोह में शामिल होने का उनके लिये यह पहला अवसर था। इस भव्य आयोजन को कराने वाले पार्षद राजू भदोरिया जिस तरह समाजजनों को उनके नाम और ठिकाने के साथ पुकार रहे थे,उससे दिग्विजय सिंह को भी उनकी पकड़ का अंदाज हो गया था। एक वक्ता ने तो कह भी दिया था कि राजू का खास ध्यान रखिये ये टिकाऊ हैं,बिकाऊ नहीं हैं....।

हम सुधरेंगे,जग सुधरेगा............


हम सुधरेंगे,जग सुधरेगा... गायत्री परिवार का यह ध्येय वाक्य इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह को जिले में बायोमेट्रिक अटेंडेंस लगाने के अभियान में सफलता दिला सकती है। सबसे पहले शुरुआत उन्होंने कलेक्टोरेट से ही अपनी बायोमेट्रिक अटेंडेंस से की है। जब खुद कलेक्टर ने ऐसा किया,तो सरकारी स्कूलों में शिक्षकों,सरकारी अस्पतालों और फिर ग्राम पंचायतों में भी बायोमेट्रिक अटेंडेंस का पालन कर्मचारियों को तो करना ही होगा। मप्र में अभी यह काम काफी सुस्त चल रहा है। आपको बता दे कि योगी सरकार को तो कर्मचारियों की नाराजी के चलते बायोमेट्रिक अटेंडेंस को दो महीने स्थगित करना पड़ गया है।

क्या कोई अपनी ही एसपी की जासूसी करा सकता है...

क्या मातहत स्टॉफ अपनी ही एसपी की जासूसी करा सकता है...? पर ऐसा हुआ है और संबंधित पुलिसकर्मी दंडित भी किये गये हैं। मप्र की गुना निवासी ज्येष्ठा मैत्रेयी राजस्थान में भिवाड़ी एसपी हैं। ज्येष्ठा ने 2017 में सिविल सेवा परीक्षा में सफल होने के बाद 2018 में ट्रेनिंग पूरी की और राजस्थान कैडर का चयन किया। भिवाड़ी एसपी से पहले उदयपुर जिले में एसपी रहीैं। एसपी को भनक लगी की उनका फोन-लोकेशन ट्रेस की जा रही है। अपने स्तर पर जांच कराई तो साइबर सेल के सब इंस्पेक्टर और 6 पुलिसकर्मियों के नाम सामने आये,जो एसपी के मोबाइल नंबर से लोकेशन ट्रेस कर रहे थे। इन सभी को सस्पेंड कर दिया गया है। मप्र की गुना निवासी ज्येष्ठा मैत्रेयी हतप्रभ थी,उन्हें उम्मीद नहीं थी कि मेरे ही विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इस तरह से मुझे निराश करेंगे।

छोड़ दो ये गुस्सा,जरा हँस के दिखाओ...........


वीडी शर्मा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष खुद कहें तो,नाराज विधायकों को तो उनकी बात मानना ही पड़ती है। विधायको ने तो पहले छंटांग भर की जुबान ही हिलाई थी। लेकिन जब भोपाल में पार्टी नेतृत्व ने अपने तरीके से समझाया,तो वे सभी अब धड़ी भर की गर्दन हिलाने लग गए हैं। गौरतलब है कि देवरी के विधायक बृजबिहारी पटैरिया रिश्वत मांगने वाले डॉक्टर की एफआईआर नहीं लिखे जाने, मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल शराब माफिया को संरक्षण दिए जाने, रहली के विधायक गोपाल भार्गव बहन-बेटियों की सुरक्षा न हो पाने, नरयावली के विधायक प्रदीप लारिया जुआ और अवैध शराब की बिक्री,विजयराधवगढ़ के विधायक संजय पाठक ने जान का खतरा और पुलिस प्रशासन की उदासीनता पर विधिवत बयान देकर सरकार से नाराज हो गए थे। प्रदेश अध्यक्ष के साथ बैठक के बाद अब सब ठीक हो गया है।

तब हाथ बंधे थे अब.....


शिवराज सिंह के शासन में विधायक विजयवर्गीय की छटपटाहट रहती थी कि उनकी सुनवाई नहीं होती थी। लाचारी भरा स्वर रहता था,मेरे हाथ बंधे हुए हैं। अब मोहन सरकार में उनका नंबर-टू जितना पावर हो गया है। बयानों के धमाके भी खूब कर रहे हैं,फिर भी अपने ही गृहनगर में पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर वे खुश नहीं है। उनके एक नंबर क्षेत्र में तो पुलिस ने नशे के कारोबारियों पर शगुन जितनी कार्रवाई कर भी दी,लेकिन बाकी जिले में कुछ भी नहीं हो रहा है क्योकि* हमसे किसी ने कुछ कहा ही नही...। जिले के प्रभारी मंत्री खुद मुख्यमंत्री हैं ,लेकिन अपने दमदार नेता की यह असहाय दशा उनके समर्थक भी नहीं समझ पा रहे हैं।

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