धार~खनन के चलते कुछ सालों में नर्मदा यमुना नदी जैसी खत्म हो जाएगी- सुश्री पाटकर~~
अधिकारियों को सुको के कानूनी नोटिस की कराई तामिली, अवैध खनन रूकवाने की मांग की~~
धार~( डॉ. अशोक शास्त्री )
धार-निसरपुर। नर्मदा पर जो अवैध खनन चल रहा है उससे अब नदी बचने वाली नहीं है। आने वाले कुछ सालों में नर्मदा यमुना नदी जैसी खत्म हो जाएगी। नदी में जो गौण खनिज है उसके खनन को रोकने को लेकर बहुत सारे सुप्रीम कोर्ट के आदेश दिए गए है पर जिम्मेदार है कि इस मामले पर कोई कार्रवारई नहीं करना चाहते है। इसे लेकर अभी जो सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर जो कानूनी नोटिस जिला कलेक्टर, जिला पुलिस अधीक्षक, जिला खनिज अधिकारी और नर्मदा घाटी विकास विभाग के कार्यपालन यंत्री को जारी हुआ है उसकी तमिल हमने स्थानीय विभाग के अधिकारियों से करवाई है। अगर इसके बाद भी नर्मदा नदी पर अवैध उत्खनन बंद नहीं होता तो हम आगे की कानूनी कार्रवाई करेंगे। उक्त बात नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने निसरपुर में कहीं।
प्रेस वार्ता ली, दी
बुधवार देर शाम नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर और कार्यकर्ता निसरपुर पहुंचे और प्रेस वार्ता ली। इस दौरान बताया गया कि सरदार सरोवर बांध क्षेत्र में अधिग्रहित की हुई जमीन केवल जिस उद्देश्य से अधिग्रहित की है उसी उद्देश्य के उपयोग में ली जा सकती है। उसमें कोई खनिज या अवैध रेत उत्खनन नही हो सकता है। हमने नर्मदा नदी के किनारे पर अवैध रेत उत्खन के रोकने लेकर को लेकर कुक्षी थाना प्रभारी, एसडीएम को सुप्रिम कोर्ट के एक नोटिस जो उनके उच्च अधिकारियों के नाम है वह उन्हें सौंपा है और नर्मदा नदी पर तत्काल अवैध उत्खनन रोकने की मांग की है।
4 जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों को नोटिस
नर्मदा घाटी के धार जिले के गांव-गांव के किसान प्रतिनिधियों ने कलेक्टर कार्यालय पर जाकर अवैध रेत खनन तत्काल रोकने की मांग को लेकर कानूनी नोटिस एडवोकेट अभिमन्यु श्रेष्ठ, सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता के द्वारा प्रस्तुत की। यह बड़वानी, धार, खरगोन, अलीराजपुर इन चारों जिलों के लिए होने वाली कार्रवाई है। धार जिले के जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक, जिला खनिज अधिकारी तथा कार्यपालन यंत्री के कुक्षी स्थिति अनुविभागीय राजस्व विभाग, कुक्षी सभी के स्थिति कार्यालयों को नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को नोटिस तामिल की गई है।
क्या है नोटिस में
प्रेस वार्ता में नमर्दा बचाओ आंदोलन के प्रतिनिधियों ने नोटिस के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसमें 2012 का सर्वोच्च अदालत का फैसला, 2013 के एनजीटी (हरित न्यायाधिकरण) के आदेश और 2015 का मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का सरदार सरोवर क्षेत्र के लिए आदेश उल्लंघित है। 2017 का एनजीटी-भोपाल के 4 जिलों के लिए दिएआदेश का भी कोई पालन नहीं हो रहा इसे लेकर यह नोटिस जारी किया गया है।
नदी का जलचक्र हो रहा खत्म
प्रेस वार्ता में बताया गया कि सरदार सरोवर बांध की अधिग्रहण क्षेत्र की जमीन नर्मदा घाटी विकास विभाग के कार्यपालन यंत्री के नाम है और इस जमीन का मालिकाना हक उनका है, पर इसके बावजूद नर्मदा नदी पर प्रतिदिन अवैध रेत खनन के कारण नदी का जलचक्र खत्म हो रहा है। नदी में प्रतिदिन सैकड़ों टन मिट्टी फेंकी जा रही है। नदी में खनन को लेकर किसी भी प्रकार की लीज या ठेका नहीं दिया जा सकता है, इसके बावजूद माफिया तंत्र इतना हावी है कि वह प्रतिदिन अवैध रेत उत्खनन कर रहा है और शासन के जिम्मेदार अधिकारी इसे लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। इस दौरान देवराम कनेरा, विजय मरोला, कमला यादव और नर्मदा बचाओ आंदोलन के अवल्दा, छोटा बड़दा, खापरखेड़ा, कडमाल, निसरपुर,चिखलदा के किसान और कार्यकर्ता मौजूद थे।
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