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धार~लाखों रुपए की धोखाधड़ी मामले में पुलिस ने कोषालय अधिकारी को किया तलब~~

साढ़े पांच घंटे की पूछताछ, रिमांड के बाद आरोपी को भेजा जेल, पञ लिखा~~

धार ( डॉ. अशोक शास्त्री )




धार की 34 वी बटालियन में पदस्थ एएसआई द्वारा की गई लाखों रुपए की धोखाधड़ी मामले में पुलिस की जांच जारी हैं। विभाग में पदस्थापना के दौरान आरोपी दिग्विजयसिंह वेतन शाखा में था, यहां पर आरोपी ने मृत कर्मचारी व सेवा से बर्खास्त हो चुके कर्मचारियों के नामों का उपयोग करके फर्जी तरीके से बिल लगाए थे। जिनका भुगतान जिला कोषालय कार्यालय से हुआ था, ऐसे में कोतवाली पुलिस ने कोषालय अधिकारी मानसिंह डामर को नोटिस देकर थाने पर बुलाया। यहां पर धोखाधडी के प्रकरण को लेकर पूछताछ की गई, क्योंकि कोषालय कार्यालय से ही लाखों की राशि आरोपी के खातों में रुपए पहुंची है। पुलिस ने सबसे पहले बिलों के भुगतान की पूरी प्रक्रिया को अधिकारी से समझा तथा फर्जी भुगतान के बारे में पूछताछ की गई। करीब साढे पांच घंटे तक पुलिस ने संबंधित अधिकारी से प्रकरण को लेकर सवाल किए है। हालांकि अधिकारी का कहना हैं, कि संबंधित विभाग से ही चैक करके बिल आते थे, कोषालय का काम सिर्फ पोर्टल पर आए बिलों को देखना व भुगतान के लिए आगे बढ़ाना होता था। इधर मामला बटालियन सहित विभाग से जुडा हुआ होने के कारण पुलिस अधिकारी भी सीधे तौर पर कुछ बताने को तैयार नहीं है।
दरअसल शहर के मांडू रोड पर 34वीं बटालियन का कार्यालय बना हुआ हैं, यहां पर ही वेतन शाखा में लोक सेवक लिपिक के पदस्थ दिग्विजय सिंह चौहान था। जहां पर वेतन शाखा में विभागीय काम देखने के दौरान ही गडबडी आरोपी ने शुरु की। बटालियन में पदस्थ उपसेनानी की और से एक आवेदन सौंपा गया था, जिसमें बताया गया कि बटालियन में पदस्थ एएसआई दिग्विजय सिंह द्वारा 42 लाख 85 हजार रुपए की धोखाधड़ी की है। इस प्रकरण में भोपाल पर हुई हलचल के बाद एकाएक प्रकरण 1 जून को दर्ज किया गया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी मनोज कुमार सिंह के मार्गदर्शन में पुलिस अब जांच कर रही है। आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट के समक्ष पेश किया, जहां से पुलिस को दो मर्तबा कुल सात दिनों का रिमांड प्राप्त हुआ था। सोमवार को रिमांड समाप्त होने के बाद पुलिस आरोपी को कोर्ट के माध्यम से जेल भेज दिया गया है।
भत्ते पर हुआ खेला
रिमांड के दौरान पूछताछ में आरोपी ने कई अहम जानकारी पुलिस को दी हैं, अब पुलिस इन जानकारियों पर ही काम कर रही है। आरोपी जिन कर्मचारियों के वेतन संबंधी बिल लगाए थे, उसमें कर्मचारियों के भत्ते का भी जिक्र किया था। इसमें कर्मचारी को भत्ते की पात्रता 1 हजार से 1500 रुपए तक थी, किंतु भत्ते की राशि बिल में पांच हजार से लेकर 7 हजार तक लिखी गई। ऐसे में पात्रता से अधिक राशि के बिल लगे हैं, इन फर्जी बिलों के माध्यम से ही आरोपी ने राशि प्राप्त की। बटालियन से जो दस्तावेज पुलिस को मिले हैं, उसमें भी एक ही व्यक्ति के नाम से दो से तीन बिल लगे थे। ऐसे में पुलिस की जांच में यह बात तो सामने आ चुकी हैं, कि आरोपी ने बिल के साथ भत्ते लगाकर भी लाखों का खेला किया है।
पञ लिखा, जानकारी दें
जिला कोषालय अधिकारी से चली लंबी पूछताछ के बाद धार पुलिस ने एक पञ भी संबंधित विभाग को लिखा है। जिसमें आरोपी एएसआई द्वारा भुगतान के लिए जो बिल कोषालय कार्यालय में जमा करवाए थे, उनकी जानकारी मांगी गई है। क्योंकि बटालियन कार्यालय से भी धार पुलिस को अधूरे बिल ही मिले हैं, आरोपी ने 42 लाख रुपए की धोखाधड़ी बिलों के माध्यम से की थी। किंतु कार्यालय ने पुलिस को 37 लाख रुपए के बिलों की कॉपी ही सौंपी है। ऐसे में कोषालय से बिल प्राप्त होने के बाद पुलिस आगे की जांच करेगी।
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