**** खबर का असर ***

झाबुआ~ कोतवाली पुलिस ने रंगे हाथों पकड़ा जुआरियों को, शिक्षा के मंदिर सोनी अकादमी स्कूल बिल्डिंग की चौथी मंजिल से धराये..................

अपराधियो में ख़ौफ़ तो पैदा करे पुलिस अधीक्षक .......निजी मनोरंजन हेतु आमजन जाए तो जाए कहा....?

झाबुआ। संजय जैन~~


झाबुआ कोतवाली पुलिस ने कल रात लगभग 10 बजे के करीब जुआरियों को रंगे हाथों पकड़ा। नेहरू मार्ग स्थित शिक्षा के मंदिर सोनी अकादमी स्कूल बिल्डिंग की चौथी मंजिल से सटोरिये को मुखबिर की सूचना से त्वरित कार्यवाही करते हुए जुआरियों को धर लिया गया। थाना प्रभारी झाबुआ सुरेंद्र सिंह गाडरिया ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर जुआ खेलते हुए गोपाल पिता भावरलाल नीमा, उम्र 35 साल नि.सुभाष मार्ग, झाबुआ,अमित पिता रमेश सोनी, उम्र 38 साल नि.झाबुआ, सिद्धार्थ पिता हरीश बृजवानी,उम्र 44 साल नि.आरपी लाईन-झाबुआ,मधु पिता आनंद सकवाल,उम्र 52 साल नि.लक्ष्मीनगर-झाबुआ,जफर पिता नूर मोहम्मद कुरैशी,उम्र 55 साल नि.मोजीपाडा,उत्कर्ष उर्फ भय्यु पिता सुभाष जैन, उम्र 45 साल नि. अन्नपुर्णा रोड,इंदौर-झाबुआ तथा प्रदीप पिता गजराज पुरोहित, उम्र 44 साल नि.राजवाडा झाबुआ को रंगे हाथों पकड़ा गया। इनके कब्जे से 40,800 रूपए,4 ताश की गड्डी,7 मोबाईल,2 स्कूटी,1 मोटर सायकल, एक टाटा हेरियर कार जप्त कर ली गयी। जप्त संपत्ति की कूल कीमत 23 लाख 800 रूपए हैं । आरोपियो के विरुद्ध 13 सार्वजनिक जुआं अधिनियम का पंजीबद्ध कर विवेचना में ले लिया गया है।


आरोपियों का आपराधिक रिकॉर्ड...........................
-गोपाल पिता भावरलाल नीमा,शासकीय शिक्षक....
1-थाना कोतवाली अपराध क्रमांक 683/2023 धारा 4 सट्टा अधिनियम
-सिद्धार्थ पिता हरीश बृजवानी....
1-थाना कोतवाली अपराध क्रमांक 172/2010 धारा 323,325,504
2-थाना कोतवाली अपराध क्रमांक 202/2013 धारा 4 सट्टा अधिनियम
-जफर पिता नूर मोहम्मद कुरैशी....
1. थाना कोतवाली अपराध क्रमांक 683/2023 धारा 4 सट्टा अधिनियम
-प्रदीप पिता गजराज पुरोहित.....
1-थाना कोतवाली अपराध क्रमांक 371/2012 धारा 4 सट्टा अधिनियम
2-थाना कोतवाली अपराध क्रमांक 648/2017 धारा147,323,294,427, 506

इनका रहा अहम योगदान ........................
इस सम्पूर्ण कार्यवाही मे थाना प्रभारी सुरेंद्र सिंह गाडरिया,एसआय श्याम कुमावत,संतोष वसुनिया,प्रधान आरक्षक जितेन्द्र सांकला, आर.मगन,वआर.सुजीत, आर.अर्जुन, आर.रतन का अहम योगदान रहा।


**** खबर का असर ***
गोरतलब है कि इसी समाचार पत्र में दिनांक 10मई बुधवार को * जिले में बढ़ रहा अवैध सट्टा और शराब परिवहन का कारोबार* नामक शीर्षक से प्रमुखता से समाचार को प्रकाशित कर प्रशासन का इस ओर ध्यान आकर्षित किया था। खबर प्रकाशन के बाद विभाग हरकत में आया और एक बड़ी सफल कार्यवाही को अंजाम दिया। मजेदार बात तो यह है कि इन सटोरिये के हौसले कितने बुलंद है,इसका अंदाजा इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि सटोरिये शिक्षा के मंदिर की चौथी मंजिल पर बेखोफ  खुले आम जुआ खेल रहे थे। प्राप्त जानकारी नुसार बच्चो को संस्कार का पाठ पढ़ाने वाला शासकीय शिक्षक भी इस कार्यवाही में जुआ खेलते हुए धराया है। देखा जाय तो इस अपराध में स्कूल संचालक भी उतना ही बड़ा गुनहगार है जितना की ये सटोरिये,ऐसा मेरा मानना है। पुलिस विभाग से प्राप्त जानकारी नुसार अधिकतर सटोरिये आदतन अपराधी है,इस पर तो जिला मुखिया को जिला बदर की कार्यवाही की मुहिम की ओर अग्रसर हो जाना चाहिये। जबकि इनमें एक सटोरिया तो शासकीय शिक्षक भो है। पहले तो संबधित विभाग को इस शिक्षक पर तुरंत कठोर कार्यवाही करना चाहिए,ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक ऐसा घटिया कृत्य करने के पहले दस बार सोचने के लिए मजबूर हो जाय। अब आगे क्या कार्यवाही होती है ...? यह तो विवेचना पूर्ण होने के बाद ही पता चलेगी।

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***** बॉक्स खबर *****
अपराधियो में ख़ौफ़  तो पैदा करे पुलिस अधीक्षक......निजी मनोरंजन हेतु आमजन जाए तो जाए कहा....?

उपरोक्त कार्यवाही वह भी मुखबिर से प्राप्त जानकारी नुसार हुई थी,जिसमे पुलिस ने तो सिर्फ  दबिश दी और सफलता प्राप्त कर ली। लेकिन जिले के प्रोफेसनल सटोरिये तो पुलिस की गिरफ्त से कोसो दूर है। लेकिन पुलिस विभाग को संभवत: इन सट्टा कारोबारियों का कारोबार ही नजर नहीं आ रहा है। शहर के अलावा ,जिले के विभिन्न रहवासी क्षेत्रों में यह सट्टे के कारोबारी आसानी से  सट्टा,मोबाइल के द्वारा संचालित करते हुए देखे जा सकते है। कौन-कौन इन सटे के कारोबार मे शामिल है ,यह जानकारी आमजन को तो है पर पुलिस को है या नहीं  ....यह समझ से परे है ..?
आये दिन खबरो में पढ़ा जाता है कि पुलिस अधीक्षक फला शराब के ढाबे पर पहुचे,अवैध शराब के परिवहन में शराब पकडी और सटोरिये पर उनके आदेश नुसार बुधवार की रात को सटोरिये को धर दबोचा,लेकिन सवाल यह खड़ा होता है क्या पुलिस अधीक्षक का यही कार्य है....? यदि कोई मित्र या परिवार के सदस्य अपने ही घर में मनोरंजन हेतु ताश खेलते है तो वे क्या सटोरिये कहे जा सकते है क्या....?  या कोई ढाबे पर शराब का सेवन करता है तो वो अपराधी की श्रेणी में आता है क्या...? यदि हा, तो सरकार को सबसे पहले शराब की फैक्टरियां बंद कर देना चाहिए। करोड़ो के राजस्व के चक्कर मे शराब सरकार द्वारा बेची जाती है और जिस व्यक्ति को घर बैठकर शराब पीने की आजादी नही है तो वह शराब कहा बैठकर पियेगा....? एक मात्र पीने के लिए ठिकाना उनके पास तो सिर्फ अहाता था,उसे भी सरकार ने पूरी तरह से बंद कर दिया। पुलिस का दायित्व यह है कि यदि कोई शराब पीकर क्राइम जैसे की मारपीट,महिला से छेड़छाड़, बलात्कार या हत्या करता है तो उस पर तुरन्त कार्यवाही करे। हमारी जानकारी नुसार जिले में आज तक शराब के नशे के बाद उपरोक्त में से कोई भी अपराध पिछले कई वर्षों में जिले में नही हुए है। यदि शराब पीने नही देना है और बुरी चीज है के विज्ञापन आये दिन दिखाये जाते है,तो इससे बेहतर की इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए शराब की दुकानों को बंद कर देवे या हो सके यदि इसे बनाने वाली फैक्टरियों को तुरंत बंद कर देवे,ऐसा मेरा मानना है । वही दूसरी ओर यदि कोई परिवार अपने घर के सदस्यों के साथ अपने मनोरंजन के लिए अपने ही घर पर ताश खेलता है तो यह अपराध की श्रेणी में कैसे आ सकता है....? यह एक गम्भीर सवाल है....? पुलिस अधीक्षक को सबसे पहले अपराधियो के मन में कानून का ख़ौफ़  पैदा करना होगा न की किसी के निजी जीवन के मनोरंजन  पर उनके साथ अपराधियो की तरह बर्ताव करना चाहिए। आये दिन खबरे आती रहती है कि ढाबे पर शराब पकड़ी और सटोरिये धराये,जबकि जिले में हुई अधिकतर चोरियो में से कुछ ही मामलों में ही अब तक सफलता मिल पाई है। पुलिस अधीक्षक को कोई बढ़िया प्रोजेक्ट तैयार कर,पुलिस का ख़ौफ़  अपराधियो के मन मे कैसे हो...? इस बात पर गंभीर रणनीति तैयार करना चाहिए। व्यक्ति अपने निजी मनोरंजन हेतु जाए तो जाए कहाँ...? इस बात का जवाब शायद ही किसी के पास है।

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