धार~पूर्व विधायक गौतम पर जिलाबदर की कार्रवाई कोर्ट ने की निरस्त ~~

धार। पूर्व विधायक व पूर्व जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालमुकुंदसिंह गौतम को उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। उनके ऊपर प्रस्तावित जिलाबदर की कार्रवाई कोर्ट ने निरस्त कर दी है। वर्ष 2021 से प्रशासन जिलाबदर की कार्रवाई को लेकर नोटिस जारी कर चुका था। इस मामले में गौतम के अधिवक्ता द्वारा कलेक्टर के समक्ष भी साक्ष्य एवं पक्ष पेश किया गया था, किंतु उनके आवेदन निरस्त किए जा रहे थे। जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में शरण ली थी। पक्ष में आदेश पारित होने के बाद गौतम समर्थकों ने उत्साह जताया है। 
कलेक्टर बोर्ड पर था मामला 
जिला कलेक्टर धार के न्यायालय में पूर्व विधायक एंव पूर्व जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बालमुकुन्दसिंह गौतम के विरुद्ध जिलाबदर की कार्रवाई चल रही थी। उक्त कार्रवाई को मप्र उच्च न्यायालय के जस्टिस विवेक रूसिया ने निरस्त कर दिया है। श्री गौतम के विरूद्ध कलेक्टर धार के समक्ष वर्ष 2021 में जिला बदर की कार्रवाई पेश की गई थी। उक्त कार्रवाई में गवाहों के कथन होने के उपरांत गौतम के अधिवक्ता सुहेल निसार ने बचत गवाह के रूप में दस साक्षियों की सूची और उनका प्रोसेस पेश किया था। तत्कालीन कलेक्टर ने 22 नवंबर 2021 को आवेदन को निरस्त कर दिया था। आदेश के विरूद्ध रिट भी हाईकोर्ट ने निरस्त कर दी थी। इसको लेकर श्री गौतम ने डबल बैंच के समक्ष रिट अपील पेश की थी। जिसका निराकरण 26 फरवरी 2022 को हाईकोर्ट ने उचित समय पर नया आवेदन पेश करने का अवसर प्रदान किया था। अभियोजन प्रमाण समाप्त होने के बाद श्री गौतम ने पुन: साक्ष्य सूची के साथ नया आवेदन 2 मार्च 2022 को पेश किया था। वह आवेदन भी कलेक्टर ने बिना कोई कारण दर्शाए निरस्त कर दिया गया। श्री गौतम की और से अभिभाशक ने राज्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 8 का हवाला देकर पुन: रिट पिटीशन पेश की। जिसे उच्च न्यायालय द्वारा स्वीकर किया तथा यह ठहराते हुए कि मामला दो वर्ष से लंबित है। इस कारण कोर्ट ने समस्त कार्रवाई निरस्त कर दिया। इसी के साथ यह भी कहा कि आवश्यकता पड़ने पर प्रशासन राज्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत नवीन कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र रहेगा।
दबाव की कार्रवाई बताया था 
पुराने प्रकरणों को लेकर गौतम को जिलाबदर का नोटिस जारी होने के बाद इसे दबाव की कार्रवाई समर्थकों ने बताया था। इस मामले में घोर राजनैतिक विरोधी मंत्री का नाम भी कार्रवाई में भूमिका निभाने के तौर पर लिया गया था। हक में फैसला आने के बाद समर्थकों ने इसे मंत्री की हार बताया है।
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