धार~दुकानें नीलामी पर कोर्ट की रोक, 3 मार्च को नपा रखेगी अपना पक्ष ~~

थोक सब्जी मंडी की 20 दुकानों की नीलामी के विरोध में मंडी समिति गई थी कोर्ट में ~~

10 साल से कबाड़ हो रही है दुकानें, निर्माण में नपा का करोड़ों रुपया फंसा ~~

प्रशासन बेबस-नेतागिरी हावी, मंडी के नाम से मंडी दुकानें नीलाम नहीं होने दे रहे,~~

अस्थाई रूप से कोरोना में बसाए स्थान पर भी जमीन का दावा ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )। 

थोक सब्जी मंडी की 20 दुकानों की नीलामी पर रोक लग गई है। कोर्ट ने मंडी समिति के आवेदन पर स्थगन आदेश जारी किया है। हालांकि इसमें 3 मार्च को मामले को लेकर पूर्ववत सुनवाई होगी। जिसमें नगरपालिका अधिवक्ता के माध्यम से नीलामी को लेकर अपना पक्ष रखेगी। उल्लेखनीय है कि 3 मार्च को ही दुकानों की नीलामी होना है। नपा के जवाब से यदि कोर्ट संतुष्ट होती है तो स्थगन आदेश निरस्त किया जा सकता है। हालांकि इसकी उम्मीदें कम है। दरअसल इससे संबंधित मामले में नपा लंबे समय से कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रख पा रही थी। इस तरह की स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने स्टे आदेश दिया है। 
करोड़ों की दुकानें नष्ट हो रही 
थोक सब्जी मंडी के मामले में हमेशा वोट बैंक की राजनीति होती रही है। नेतागिरी के चक्कर में ना मंडी का उद्धार हुआ और ना ही मंडी व्यापारियों का। हालत यह है कि कीचड़-गंदगी के बीच थोक सब्जी मंडी दशकों से संचालित होती आई है। पूर्व नपाध्यक्ष ममता जोशी के कार्यकाल में पक्की दुकानें तीन चरणों में बनाकर देने का प्रस्ताव बनाया गया था। प्रथम चरण में 20 दुकानें बनाई गई थी। इसके बाद पूरी दुकानें ना बनने तक नीलामी आवंटन नहीं होने दिया गया। हर मर्तबा अड़ंगे लगाए गए। करीब 9-10 साल के बाद नगरपालिका सीएमओ निशिकांत शुक्ला ने दुकानों को नीलाम करने के लिए प्रक्रिया शुरु की। आचार संहिता के कारण पूर्व की नीलामी को रोका गया। जिसे 3 मार्च को क्रियान्वित किया जा रहा था। इसको लेकर मंडी अध्यक्ष गोपाल मामा और अन्य आढ़तियों ने कोर्ट की शरण ली। जिसके कारण एक बार फिर मामला अटकता दिख रहा है। इधर 10 साल में दुकानें लगाकर देखरेख के अभाव में जीर्णशीर्ण हो रही है।
यहां दावा, वहां जमीन की मांग 
प्रशासनिक महकमों में समन्वय की कमी और राजनीति पैतरेबाजी का जीता-जागता उदाहरण है थोक सब्जी मंडी। कोविड काल में इसे अस्थाई रूप से शहर से बाहर आरटीओ कार्यालय के समक्ष आमखेड़ा के नजदीक शिफ्ट किया गया था। जहां अस्थाई भेजा वहां पर स्थापित करने की मांग को लेकर जमीन मांगी जा रही है। इधर पुरानी मंडी में नपा की दुकानों को नीलाम भी नहीं होने दिया जा रहा है। प्रशासन ने कोविड समाप्त होने के बाद अस्थाई कब्जा हटाकर पुन: पुरानी मंडी में भेजने में रूचि नहीं दिखाई। जिसका नतीजा दो-दो जमीनों पर दावे-कब्जे के तौर पर सामने आ रहा है। 
राज्य शासन का आदेश कुछ और 
थोक सब्जी मंडी को लेकर राज्य शासन ने अनाज मंडी के अधीन मंडी संचालित करने के आदेश जारी किए है। चूंकि शहर के मध्य स्थापित कृषि उपज मंडी के पास सब्जी मंडी को संचालित करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। इसके कारण दोनों मंडी साथ में संचालित नहीं हो पा रही है। मंडी विपणन बोर्ड धार ने दो स्थानों पर दोनों मंडियों को शासन के आदेशानुसार संचालित करने के लिए भूमि चिह्नित की है। जिसकी मांग को लेकर कागजी प्रक्रिया शुरु हो गई है। इधर शासन के ही आदेश को ठेंगा दिखाकर मंडी को शहर में ही और अनाज मंडी से अलग रखने का प्रयास किया जा रहा है। 
शासन को कोई राजस्व नहीं 
थोक सब्जी मंडी पुरानी व्यवस्थाओं के तहत संचालित हो रही है। जिसमें नपा द्वारा जमीन के उपयोग के बदले में शुल्क वसूला जा रहा है। जिसे किराया संबोधित किया जाता है। इस मंडी में व्यापारिक लेन-देन पर शासन को कोई राजस्व प्राप्त नहीं होता है। यहां पर किसी एक पक्ष के साथ धोखाधड़ी होने की स्थिति में भी प्रशासन के पास हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है। होना यह था कि मंडी से व्यापारिक टैक्स मिले। अनाज मंडी के तहत सब्जी मंडी संचालित हो, लेकिन राजनैतिक दबाव और अधिकारियों को गुमराह करने की नीति के चलते कोई निराकरण नहीं निकला।
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