धार~महाशिवरात्रि के दिन भक्ति से की गई प्राथर्ना जरूर स्वीकार होती है~~

इस महाशिवरात्रि पर बन रहा है दुर्लभ संयोग्- डॉ शास्त्री ~~

धार। मालवा के प्रसिद्ध ज्योतिशाचार्य डॉ अशोक शास्त्री ने बताया कि 18 फरवरी शनिवार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि व्रत, पूजन, अभिषेक किया जाता है। सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का अधिक महत्व होता है। इस दिन भक्त दिनभर उपवास रखने के साथ ही शिवलिंग का अभिषेक पूजन करते हैं। इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करने से व्यक्ति को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। डॉ शास्त्री ने बताया कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दर्शी तिथि निशिता काल 18 फरवरी रात्रि 11:49 से 12:39 बजे तक, प्रथम प्रहर पूजन सायं 06:20 से रात्रि 09:41 बजे तक, द्वितीय प्रहर पूजन रात्रि 9:41 से 12:49 मध्य बजे तक, तृतीय प्रहर पूजन मध्य रात्रि 12:49 से 3:56 बजे तक एवं चतुर्थ प्रहर पूजन सूर्योदय पूर्व प्रात:काल 3:56 से 07:01 बजे तक रहेगा। व्रत का पारणा 19 फरवरी को प्रात: 07:01 से 02:40 बजे तक।
ऊं नम: शिवाय मंत्र का करें जाप
डॉ शास्त्री ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें । फिर साफ कपड़े पहनकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर महाशिवरात्रि व्रत का संकल्प लें । शिवलिंग पर चन्दन का लेप लगाकर पंचामृत से स्नान कराना चाहिए। इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। बेलपत्र, फूल, दीप और अक्षत से भगवान शिव की पूजा करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। साथ ही शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति देनी चाहिए। इस तरह हवन के बाद किसी भी एक साबुत फल की आहूति दें। सामान्यतया लोग सूखे नारियल की आहुति देते हैं। व्यक्ति यह व्रत करके, ब्राह्मणों को भोजन करवाकर और दीपदान कर स्वर्ग को प्राप्त कर सकता है। 
खीर का भोग लगाकर प्रसाद बांटे 
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं, उसके बाद 8 लौटे केसर जल चढ़ाएं। उस दिन पूरी रात का दीपक जलाएं। चंदन का तिलक लगाएं। बेलपत्र, भांग्, धतूरा, गन्ने का रस, तुलसी, जायफल, कमल गट्टे, फल, मिष्ठान , मीठा पान, इत्र व दक्षिणा चढ़ाएं। सबसे बाद में केसर युक्त खीर का भोग लगा कर प्रसाद बांटें । इस दिन शिव पुराण का पाठ जरूर करें । महाशिवरात्री के दिन रात्रि जागरण भी किया जाता है।
 डॉ. शास्त्री के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को शिव जी को तीन पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाएं । शंकर भगवान को भांग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन भांग को दूध में मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं । धतुरा और गन्ने का रस शिव जी को अर्पित करें । इससे जीवन में सुख बढ़ता है । जल में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं । इससे मन की अशांति दूर होती है। 
पुत्र प्राप्ति का दुर्लभ संयोग 
इस साल महाशिवरात्रि पर पुत्र प्राप्ति का दुर्लभ संयोग बन रहा है क्योंकि महाशिवरात्रि शनिवार के दिन पड़ रहा है । ऐसे में इस बार महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष व्रत भी है। डॉ. अशोक शास्त्री के अनुसार शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है। शनि प्रदोष व्रत रखने से भोलेनाथ प्रसन्न होकर पुत्र प्राप्ति का वरदान देते हैं। मान्यताओं में माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ है। गरुड़ पुराण, स्कन्द पुराण, पद्मपुराण और अग्निपुराण आदि में शिवरात्रि का वर्णन मिलता है। कहते हैं शिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बिल्व पत्तियों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जाप करता है , उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं । 

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