धार~सूर-संगीत के आनंद में चाहिए ‘बदलाव’, सालों से एक जैसे   आयोजन ~~

बढ़ेगी स्थानीय सहभागिता, कार्यक्रमों की समयसीमा भी निर्धारित हो, साहसिक खेलों की ‘महंगी दर’ पर हो नियंत्रण ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )। 


मांडू उत्सव के तहत होने वाले आयोजनों में सूर-संगीत के कार्यक्रम पर्यटकों के लिए विशेष आनंद का माध्यम होते है। शांत वादियों में संगीत की धून और मधूर स्वर लहरियां पर्यटकों को एक रूहानी दुनिया में ले जाती है, किंतु बीते कुछ वर्षों से उत्सव के तहत आने वाले बैंड दल एवं अन्य कलाकार स्थाई होते जा रहे है। ऐसे आयोजनों में बदलाव होना चाहिए। दोहराव रूचि को कम करता है। जिला प्रशासन और मांडू टूरिज्म काउंसिल को इससे बचना चाहिए। पर्यटकों को भी विविधता चाहिए। इससे उत्सव में लोगों की आमद बढेÞगी। हर वर्ष के उत्सव में नए बैंड, नए कलाकार, नए गीतों से रूबरू होना  हर किसी को लुभाएगा। विड़म्बना है कि बीते सालों से एक जैसा सूर-संगीत पेश करवाया जा रहा है। यह इवेंट कंपनी की मजबूरी हो सकती है, लेकिन उनको भुगतान करने वाले मप्र पर्यटन विकास निगम की जिम्मेदारी है कि वह उत्सव के तहत होने वाले आयोजनों में पर्यटकों के खातिर विविधता की मांग रखे। 
सर्द मौसम में ढंके हो पांडाल
सर्द मौसम में आयोजित होने वाले मांडू उत्सव में कवि सम्मेलन स्थानीय नागरिकों और मालवा के लोगों के लिए आनंद का एक बड़ा कार्यक्रम होता है। ऐसे आयोजनों की समयसारणी और  व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए। इससे स्थानीय सहभागिता बढ़ेगी और पूरे समय बनी रहेगी। दरअसल बड़ी संख्या में स्थानीय लोग सिर्फ कवि सम्मेलन सुनने के लिए उत्सव के दिन मांडू पहुंचते है। रात में 10 बजे करीब सम्मेलन प्रारंभ होते है। इस दौरान ठंड चरम पर होती है। कार्यक्रम अधिक रात के पूर्व ही प्रारंभ किए जाने चाहिए। इधर जहां कवि सम्मेलन के आयोजन होते हैं वहां पूर्ण रूप से खुला पांडाल रहता है। शीत ऋतु में यदि पांडाल और मंच छत वाला होगा तो सुनने वालों को राहत मिलेगी और अंतिम कवि को सुनने तक लोग मौजूद रहेंगे। 
लोक पकवान को मिलें महत्व 
दाल-पानिये मांडू क्षेत्र का विशिष्ट लोक पकवान है। मांडू उत्सव में मांडू के साथ स्थानीय लोक पकवान, लोक संस्कृति को बेहतर अवसर और मंच मिलना चाहिए। फुड कोर्ट जैसे स्थानों पर कचोरी-भजिये-समोसे, मिर्च बड़े के स्टॉल लगते है। लोक पकवान को पर्याप्त सुविध व्यवस्था के साथ प्रमोट किया जाना चाहिए। इधर मांडू उत्सव के तहत होने वाले आयोजन जिसमें साहसिक खेल गतिविधियां प्रमुख है। उनकी दरों में भी स्थानीय आर्थिक, सामाजिक स्टेटस का ध्यान रखते हुए निर्धारण होना चाहिए। उत्सव और वर्ष के अंतिम सप्ताह में बड़े पैमाने पर पर्यटक आते है। सीमित होटलें बुक हो जाती है और महंगे इवेंट कंपनी के टेंट कैम्प से स्थानीय नागरिकों के लिए ठहरने के  स्थान और संभावनाएं खत्म हो जाती है।  इससे स्थानीय नागरिक एक दिन की भागीदारी करके दूरियां बना लेते है। जिला प्रशासन को आसपास की रिक्त भूमियों पर न्यूनतम दर वाले टेंट कैम्प जैसी उत्सव दिवसीय व्यवस्थाएं करना चाहिए। संभवत: स्थानीय नागरिक एक से अधिक दिन परिवार के साथ रूककर ‘अपने मांडव का उत्सव’महसूस करें।  
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