झाबुआ~गेहूं महंगा होने से बाजार में आटे के दाम बढ़कर 32 रुपए किलो तक हुए,दिसंबर में साल 2017 की तुलना में गेहूं के भाव पौने दो गुना अधिक~~

कारण न किसानों के पास स्टॉक न सरकार के पास
गल्ला व्यापारी बोले......नया गेहूं मार्च अंत तक आएगा,ऐसे में और बढ़ेंगे दाम~~

झाबुआ। संजय जैन~~

 कृषि उपज मंडी में इन दिनों अच्छी क्वालिटी के गेहूं के भाव 2700 रुपए प्रति क्विंटल तक है। यह साल 2017 की तुलना में लगभग पौने दो गुना अधिक है। दिसंबर 2017 में मंडी में गेहूं 1600 रुपए प्रति क्विंटल तक बिका था। इसका कारण रबी सीजन के दौरान किसानों के गेहूं के अच्छे भाव मिले तो उन्होंने स्टॉक नहीं रखा। सरकार के पास भी स्टॉक की कमी है। चूंकि सरकार खाद्यान्न के रूप में गेहूं से अधिक चावल दे रही है, ऐसे में आमजन में गेहूं की डिमांड अधिक है। 
कम आवक होने से इसके भाव आसमान पर.....................
भाव आसमान पर होने से हाल यह है कि इन दिनों गेहूं का आटा 32 रुपए किलो तक बिक रहा है जो आमजन के बजट को सीधे प्रभावित कर रहा है। जिले में रबी सीजन में गेहूं की पैदावार होती है। दिसंबर तक बुवाई के बाद अप्रैल से यह मंडियों में आने लगता है। अगर किसानों को मंडी में मनमाफिक भाव नहीं मिलते तो बड़े किसान गेहूं का स्टॉक स्वयं कर लेते हैं। इसके बाद नवंबर-दिसंबर माह में इसे मंडियों में लाते है। चूंकि बीते अप्रैल,मई में किसानों को मंडी में गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से अधिक मिले। मंडी व्यापारियों ने सीजन में 2200 रुपए तक गेहूं खरीदा। ऐसे में किसानों ने स्टॉक नहीं किया। यही कारण है कि वर्तमान में मंडी में गेहूं की आवक कम है,कम आवक होने से इसके भाव आसमान पर हैं। दूसरा कारण कोरोना काल के बाद भारत से विदेशों में गेहूं भेज दिया गया जिससे सरकार के पास भी गेहूं का स्टॉक कम है।

सरकार के पास स्टॉक नहीं, व्यापारियों ने कर दिया डंप...............
भारत सरकार भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से खुद का तीन साल का गेहूं का स्टॉक आपातकालीन स्थिति के लिए बनाकर रखती है। पिछले दो साल से भारत सरकार देश के गरीब परिवारों को निशुल्क गेहूं उपलब्ध करा रही है। जबकि इस साल पर्याप्त मात्रा में गेहूं का स्टॉक सरकार के पास उपलब्ध नहीं है। मप्र सरकार के पास भी स्टॉक नहीं है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले में गरीबों को बांटा जाने वाला राशन सिर्फ 1700 मैट्रिक टन बचा है। जनवरी महीने में गरीबों को गेहूं का वितरण होना फिलहाल मुश्किल है। इधर मंडी के व्यापारियों ने अब गेहूं खरीदने के साथ डंप करना शुरू कर दिया है। व्यापारी धीरे-धीरे बाजार में सप्लाई कर रहे हैं और दूसरे प्रदेशों में भी सप्लाई कर रहे हैं।

आमजन हो रहा प्रभावित .............
सरकार के पास गेहूं का स्टॉक कम होने से कई महीनों से जिलेभर में खाद्यान्न वितरण में गेहूं 5 किलो प्रति व्यक्ति और चावल अधिक दिए जा रहे है। चूंकि क्षेत्र के लोग चावल को अधिक पसंद नहीं करते। शासन से मिलने वाले गेहूं के पूर्ति नहीं हो रही। ऐसे में फुटकर में गेहूं की मांग अधिक निकल रही है। यही कारण है कि बीते सालों की तुलना में मंडियों में गेहूं के दाम बढ़ रहे हैं।

अभी दाम और बढ़ेंगे, मार्च तक आएगा नया गेहूं
इस बार गेहूं शुरुआत अप्रैल महीने से ही विदेशों में सप्लाई हो गया है। अब सरकार के पास भी स्टॉक नहीं है और आवक भी घट गई है। व्यापारियों के पास गेहूं है लेकिन धीरे-धीरे निकाल रहे हैं। इसलिए गेहूं महंगा हुआ है। नया गेहूं आने में ढाई महीना है। मार्च महीने के अंत तक ही नया गेहूं आएगा इसलिए अभी दाम और बढ़ेंगे।
...........................................राजू मेहता-पद्मावती किराना,झाबुआ
 
पांच साल में दिसंबर महीने गेहूं के दाम ...........................
वर्ष                   दाम
दिसंबर 2017-1500-1590
दिसंबर 2018-1840-2050
दिसंबर 2019-1850 -2181
दिसंबर 2020-1480-1601
दिसंबर 2021-1850-2049
अक्टूबर 2022-2375-2450
नवंबर 2022- 2500-2600
15 दिसंबर 22 तक- 2550-2700
(नोट- दाम रुपए प्रति क्विंटल में)
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