धार~ कोर्ट का अहम फैसला~~

नाबालिग सहित परिजन अपने बयानों से पलटे~~

पुलिस की जांच रिपोर्ट सहित डीएनए के आधार पर कोर्ट ने 20 साल की सुनाई सजा~~

 धार ~( डाॅ. अशोक शास्त्री )

धार कोर्ट ने दुष्कर्म के मामले में एक बडा फैसला सुनाया हैं, इस प्रकरण में पीडिता सहित परिजन अपने बयान से कोर्ट में सुनवाई के दौरान पलट चुके थे। किंतु कोर्ट ने पुलिस की जांच सहित डीएनए रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही अपने बयान से पक्षविरोधी होने पर प्रतिकर राशि भी जारी नहीं की गई है। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट  पंकज सिंह माहेश्वरी द्वारा निर्णय पारित करते हुए आरोपी धर्मेन्द्र पिता रमेश आयु 30 निवासी इंदौर को लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 सहित अन्य धाराओं में दंडित किया है। वही अर्थदंड अदा नहीं करने पर कोर्ट ने पृथक-पृथक धाराओं में 4 साल के अतिरिक्त कारावास से दंडित करने की सजा सुनाई है।

प्रकरण के बारे में जानकारी देते हुए मीडिया प्रभारी अर्चना डांगी द्वारा बताया कि 14 फरवरी 2020 को सुबह के समय पीथमपुर सेक्टर एक थाने पर आकर पीडिता नाबालिग के मामा ने आकर सूचना दी कि उनकी बहन अपनी बेटी को छोडकर गई थी थी, किंतु एक घंटे बाद वापस घर आने पर भांजी नहीं थी। ऐसे में पुलिस ने गुम इंसान कायम कर प्रकरण की जांच शुरु की। इस दौरान परिवार सहित रिश्तेदारों के यहां पर तलाश करने के बाद नाबालिग लडकी को दस्तयाब किया गया, पुलिस ने पीड़िता के कथन दर्ज किए। जिसमें बताया कि आरोपी धर्मेंद्र शादी करने का झांसा देकर बहला-फुसलाकर अपने साथ लेकर गया व दुष्कर्म किया था। पुलिस ने संपूर्ण विवेचना के उपरांत पॉक्सो अधिनियम के तहत कार्रवाई कर चालान को कोर्ट के समक्ष पेश किया गया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान पीड़िता सहित माता व पिता कोर्ट के समक्ष पूर्व में दिए गए बयानों से पलट गए थे, किंतु पुलिस ने जांच रिपोर्ट सहित डीएनए की रिपोर्ट को प्रस्तुत किया। जिसके आधार पर कोर्ट ने सजा सुनाई है।

न्यायाधीश ने प्रकरण पर फैसला देते हुए उल्लेख किया कि आरोपी के द्वारा अवयस्क 18 वर्ष से कम उम्र की बालिका के साथ घिनौना कृत्य किया है। समाज में बच्चियों एवं महिलाओं के साथ इस प्रकार के अपराध में काफी बढ़ोतरी हो चुकी हैं, और इस प्रकार के अपराध समाज की नैतिकता को प्रभावित करते है। आरोपी के कृत्य को दृष्टिगत रखते हुए दण्ड  के संबंध में आरोपी के प्रति उदारता बरती जाना न्यायोचित नहीं है। इसी कारण कठोर सजा से दंडित किया गया है। प्रकरण में अभियोजन का सफल संचालन आरती अग्रवाल विशेष लोक अभियोजक द्वारा किया गया ।
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