धार~कैसे मिलेंगे चैम्पियन- 2 कलेक्टर बदलें, खेल मैदान का काम अभी भी अधूरा ~~

नेशनल-स्टेट चैम्पियनशिप के लिए तैयारी कर रहे धावक बोले- ट्रेक पर बड़ी-बड़ी गिट्टी तैयारियों को प्रभावित कर रही है ~~

4 बजे नवागत कलेक्टर से मिलने पहुंचे, मुलाकात नहीं हो पाई तो पूर्व विधायक को सुनाई पीड़ा ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )।

 शहर का प्रमुख खेल मैदान एसपीडीए ग्राउंड को बेहतर बनाने के प्रयास में ग्राउंड और बदहाल हो गया है। बीते दो-तीन सालों से सीएसआर मद से  ग्राउंड बेहतर बनाने का काम चल रहा है, किंतु अभी भी काम अधूरा पड़ा है। कार्य प्रारंभ से अब तक दो कलेक्टर बदल चुके है, लेकिन ग्राउंड पूर्ण नहीं हो पाया है। यहां पर राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय स्पर्धा में ‘चैम्पियन’  बनने के लिए नन्हें और युवा खिलाड़ी सुबह-शाम प्रेक्टिस करते है। इन्हें बेतरतीब हो चुके ग्राउंड के कारण प्रेक्टिस में दिक्कतें हो रही है। सोमवार को ग्राउंड की स्थिति और हो रही समस्याओं को बताने के लिए करीब एक दर्जन से अधिक ‘भविष्य के चैम्पियन’ नवागत कलेक्टर प्रियंक मिश्रा से मिलने पहुंचे थे। उनकी मुलाकात कलेक्टर से नहीं हो पाई है। कार्यालय परिसर में उन्होंने अपनी पीड़ा मीडिया से साझा की। इस दौरान पूर्व विधायक ने भी बच्चों से चर्चा की और कलेक्टर तक बात पहुंचाने का वादा किया। 
सीएसआर मद का काम 
खेल मैदान को बेहतर बनाने के लक्ष्य को लेकर तत्कालीन कलेक्टर आलोकसिंह के कार्यकाल में  सीएसआर मद से इस काम को कराने की तैयारी शुरु हुई थी। अल्पकार्यकाल में उनका स्थानांतरण हो गया। इसके बाद आए कलेक्टर डॉ पंकज जैन ने ग्राउंड का काम पूरा कराने के लिए प्रयास किए। उनकी भी अल्प कार्यकाल में बिदाई हो गई।  खेल मैदान में करीब 50 प्रतिशत काम हो चुका है। 50 प्रतिशत अभी भी शेष है। खिलाड़ियों को सर्वाधिक दिक्कत ट्रेक पर धावक बनने की तैयारियों के दौरान आ रही है। सोमवार को कलेक्टर से मिलने आए खिलाड़ियों में धार सहित अन्य जिलों और यूपी जैसे राज्यों से धार में तैयार करने आए खिलाड़ी शामिल थे। उन्होंने बताया कि ट्रेक पर बड़ी-बड़ी गिट्टी डाली गई है। इसके कारण रनिंग की तैयारियां करने में दिक्कतें हो रही है। ट्रेक की गिट्टी स्पीड को प्रभावित कर रही है। चोटिल होने का जोखिम बढ़ गया है। टेÑक व्यवस्थित हो जाए तो उद्देश्य सार्थक हो जाएगा। 
प्रयोगशाला बना मैदान 
इस बात में कोई शक नहीं कि पूर्व के कलेक्टरों ने खिलाड़ियों की बेहतरी को लेकर खेल मैदान को एक व्यवस्थित रूप देने के लिए कोशिश की। इसमें सीएसआर मद से एक कंपनी के माध्यम से कुछ काम कराया गया। इसके बाद कलेक्टर बदले और व्यवस्थित डीपीआर बनाने के लिए कहा। जिसमें एक अन्य कंपनी से सीएसआर के माध्यम से काम कराने की सहमति ली गई। कुछ महीने बाद कंपनी ने मद देने के लिए हां की, लेकिन स्वयं के हाथों काम करने से इंकार कर दिया। जिसके बाद यह जिम्मेदारी नगरपालिका को दी गई। ट्रेक निर्माण का काम दीपावली के बाद से बंद पड़ा है। पीथमपुर की एक कंपनी को यह काम दिया गया है। 
8 हजार का जूता मुश्किल से लाते है 
उत्तर प्रदेश से सागर नाम के खिलाड़ी धार में धावक बनने की तैयारियां करने आए है। उन्होंने बताया कि स्पाईकर शूज  महंगा आता है। बमुश्किल हमारे माता-पिता उसको दिला पाते है। गिट्टी के कारण उसको पहनकर भी ट्रेक पर दौड़ा नहीं जा सकता है। हम शूज को खराब भी नहीं करना चाहते है। हमारी अपनी तकलीफें है। ट्रेक बेहतर हो जाए तो धार में आना सार्थक हो जाएगा। 
चित्र है- सागर 
आॅक्सीजन लेवल के कारण धार चूना 
यूपी के ही करण नाम के खिलाड़ी दो माह से किराये का कमरा लेकर तैयारी कर रहे है। उन्होंने बताया कि हमने धार को प्रेक्टिस के लिए इसलिए चूना कि यहां पर आॅक्सीजन लेवल हमारी तैयारियों के तहत काफी कम है। इस लेवल में हम रनिंग टाईमिंग को पा लेते हैं तो हम चैम्पियनशिप का सामना करने के लिए बेहतर हो जाते है। ट्रेक के कारण हम परेशान है। 
चित्र है- करण
इनका कहना है 
ट्रेक पर फाईनल कोट चढ़ाना है। इसके लिए जो आवश्यक मटेरियल है ठेकेदार फर्म उसकी व्यवस्था में लगी है। शीघ्र ही ट्रेक का काम शुरु हो जाएगा। 
राकेश बेनल, सब इंजीनियर नपा धार   

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