आज शरद पूर्णिमा के दिन ये शुभ संयोग बढा रहे दिन का महत्व साथ मध्य रात्रि मे दूध से बनी खीर का अधिक महत्व*~~
आज 09 अक्टूबर दिन रविवार को है । इस रात चंद्रमा , माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है । इस संदर्भ मे मालवा प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डाॅ. अशोक शास्त्री ने विशेष मुलाकात मे विस्तृत रूप से बताया की आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के नाम से जानते हैं ।
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है । शरद पूर्णिमा की रात सुख समृद्धि के लिए घी के 100 दीपक जलाए । शरद पूर्णिमा की रात का धार्मिक महत्व है । इस रात चंद्रमा , माता लक्ष्मी और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है । इतना ही नहीं इस दिन भोग में देवी देवताओं को खीर अर्पित करते हैं ।
डाॅ. अशोक शास्त्री ने बताया कि शरद पूर्णिमा को इन बातों पर ध्यान रखना चाहिए । सर्व प्रथम
1. शरद पूर्णिमा के दिन अपने घर की अच्छे से साफ सफाई करें । कहीं पर कूड़ा कचरा या जाले न हों, इसका ध्यान रखना चाहिए ।
2. शरद पूर्णिमा दिवाली से पूर्व माता लक्ष्मी की पूजा करने का अवसर है । इस रात आप माता लक्ष्मी की पूजा करें । धार्मिक मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं ।
3. रात्रि के समय में अपने घर के मुख्य द्वार को खोलकर रखें । सजावट और प्रकाश करें । इससे माता लक्ष्मी का आगमन आपके घर होगा ।
4. शरद पूर्णिमा को माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं क्योंकि माता को यह प्रिय है । खीर के अलावा दूध से बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं ।
5. शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से युक्त होता है , इसलिए आप चंद्र देव की पूजा करें । उनको दूध , जल , फूल और अक्षत् मिलाकर अर्पित करें । इससे कुंडली का चंद्र दोष दूर होगा । सुख समृद्धि आएगी ।
6. शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाएं और उसे चांदनी रात में खुले में रख दें । चंद्रमा की औषधीय किरणों से वह खीर अमृत समान होता है , जिसे खाने से व्यक्ति निरोगी होता है ।
7. शरद पूर्णिमा की रात भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें क्योंकि इसे रास पूर्णिमा भी कहते हैं । इस रात भगवान श्रीकृष्ण ने रास रचाया था ।
8. शरद पूर्णिमा की रात सुख समृद्धि के लिए घी के 100 दीपक जलाएं ।
*शरद पूर्णिमा पर क्या न करें*
1. शरद पूर्णिमा को घर को गंदा न रखें , गंदे घर में माता लक्ष्मी का आगमन नहीं होता है ।
2. शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहते है क्योंकि माता लक्ष्मी विचरण करते समय देखती हैं कि किसका घर खुला हुआ है और उचित प्रकाश के बीच जागरण कर रहा है । उसके घर वे प्रवेश करती हैं । ऐसे में आप शरद पूर्णिमा की रात घर के मुख्य द्वार को बंद करके न रखें । कुछ समय के लिए खोल दें ।
3. इस रात घर में अंधकार न रखें , अंधेरा नकारात्मकता का प्रतीक है ।
4. इस दिन चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का अनादर न करें, चंद्र दोष लग सकता है ।
5. कुंडली में चंद्रमा से माता के संबंधों का विचार किया जाता है , इसलिए शरद पूर्णिमा को अपनी माता का अपमान न करें , उनको किसी बात से तकलीफ न दें ।
डाॅ. शास्त्री के मुताबिक शरद पूर्णिमा के दिन ये शुभ संयोग से दिन का महत्व बढ गया है । ध्रुव योग सायं 06:36 बजे तक रहेगा । सर्वार्थ सिद्ध योग प्रातःकाल 06:31 से सायं 04:21 बजे तक रहेगा ।
शरद पूर्णिमा पर बन रहे ये शुभ मुहूर्त -
ब्रह्म मुहूर्त - प्रातःकाल 04:40 से 05:29 बजे तक।
अभिजित मुहूर्त - दिवा 11:45 से दोपहर 12:31 बजे तक ।
विजय मुहूर्त - दोपहर 02:05 से 02:51 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त - सांयकाल 05:46 से 06:10 बजे तक।
अमृत काल - प्रातः 11:42 से दोपहर 01:15 बजे तक ।
सर्वार्थ सिद्धि योग - प्रातःकाल 06:18 से सायं 04:21 बजे तक रहेगा ।
डाॅ. अशोक शास्त्री के अनुसार आज
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि पर आसमान से जमीन पर अमृत की बरसात होगी। आरोग्य लाभ के लिए शरद पूर्णिमा की चंद्रकि रणों में औषधीय गुण विद्यमान रहते हैं । शरद पूर्णिमा की रात्रि से कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि तक आकाश दीप जलाकर दीपदान की महिमा है । दीपदान करने से घर के समस्त दुख - दारिद्र का नाश होता है तथा सुख समृद्धि का आगमन होता है । गंगा के तट पर अमर शहीदों की राह में आकाशदीप रोशन होते हैं । काशी में कार्तिक मास पर्यंत स्नान और नदी तट पर दीप प्रज्जवलन करने की परंपरा है।
डाॅ शास्त्री ने बताया कि आज उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र 8 अक्तूबर को शाम 5.08 बजे से नौ अक्तूबर को शाम 4.21 बजे तक रहेगा । इसके बाद रेवती नक्षत्र आरंभ हो जाएगा ।
शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिमा तक आकाश दीप जलाने की महिमा -
पूर्णिमा तिथि का मान नौ अक्तूबर को होने के कारण स्नान , दान , व्रत और धार्मिक अनुष्ठान संपन्न होंगे । इस पूर्णिमा में अनोखी चमत्कारी शक्ति निहित मानी जाती है ।
शरद पूर्णिमा के पर्व को कौमुदी उत्सव , कुमार उत्सव , शरदोत्सव , रास पूर्णिमा , कोजागिरी पूर्णिमा एवं कमला पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है ।
डाॅ. अशोक शास्त्री के मुताबिक शरद पूर्णिमा की रात्रि में दूध से बनी खीर को चांद की रोशनी में वस्त्रों से ढंककर रखा जाता है , जिससे चांदनी छनकर खीर में जाए।
भक्ति भाव से प्रसाद के तौर पर वितरण कर स्वयं भी ग्रहण करें। स्वास्थ्य लाभ के साथ ही जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है ।
*~~: शुभम् भवतु "~~*
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