धार~छात्रों के आरोप- पढ़ाई की बजाय क्लॉस में अभाविप की सदस्यता के लिए चल रहा था प्रचार, प्राचार्य ने कहा- अमृत उत्सव मना रहे थे ~~
कॉलेज में मारपीट..... अलग-अलग छात्र संगठनों के कार्यकर्ता लड़े, दोनों के खिलाफ प्रकरण दर्ज~~
प्राचार्य कक्ष में आछासं पदाधिकारियों का धरना, कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को भी भेजा सूचनार्थ पत्र ~~
सोमवार को शासकीय स्रातकोत्तर महाविद्यालय में छात्रों के बीच विवाद हो गया। आदिवासी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े लोगों पर मारपीट का आरोप लगाया है। इधर मारपीट की घटना के बाद आछासं के महेश डामोर ने नौगांव थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है। इस दौरान थाना प्रभारी को मारपीट की घटना के मोबाईल फुटेज भी दिखाए गए है। इधर विद्यार्थी परिषद् के लोगों ने अपने कार्यक्रम में महेश डामोर द्वारा घूसकर मारपीट करने की शिकायत दर्ज कराई है। पुलिस ने दोनों पक्षों की रिपोर्ट पर धारा 323, 294, 506 व 34 भादवि में प्रकरण दर्ज कर लिया है। कॉलेज में आपस में मारपीट हो गई, लेकिन कॉलेज प्राचार्य एवं प्रबंधन को मामले की जानकारी ही नहीं थी।
सदस्यता अभियान चलाने का आरोप
छात्रों के दो अलग-अलग संगठनों के मध्य विवाद का कारण एक छात्र संगठन द्वारा कॉलेज की कक्षाओं में पढ़ाई के दौरान अपने संगठन का प्रचार करना और छात्रों से जुड़ने के आह्वान के विरोध में हुआ है। अभाविप के पदाधिकारी कक्षा में बोर्ड पर संगठन के बारे में जानकारी देकर प्रचार कर रहे थे। इस दौरान आछासं से जुड़े महेश मोड नाम का छात्र कक्षा में पहुंच गया। उसने कार्यक्रम को लेकर सवाल खड़े किए। इस दौरान कहा-सुनी बढ़ गई और मारपीट हो गई। श्री मोड़ का कहना था कि सदस्यता अभियान के तहत प्रचार किया जा रहा था। बड़े-बड़े ढोल कॉलेज प्रांगण में बजाए जा रहे थे।
प्राचार्य कक्ष में धरना, पुलिस को बुलाया
मारपीट की सूचना के बाद आछासं के पूर्व पदाधिकारी और वर्तमान में जिला पंचायत सदस्य मुकामसिंह अलावा सहित एनएसयूआई के पदाधिकारी थाने पहुंच गए थे। शिकायत दर्ज कराने के बाद सभी लोग कॉलेज में प्राचार्य से मिलने पहुंचे थे। यहां पर छात्र कार्यकर्ताओं ने कॉलेज प्रशासन से बगैर अनुमति कॉलेज कक्षा में छात्र संगठन द्वारा कराए गए कार्यक्रम एवं पिटाई के विरोध में एफआईआर दर्ज कराने के लिए दबाव बनाया। छात्रों के आक्रोश को देखते हुए प्राचार्य श्री बघेल ने अनुशासन समिति के सदस्यों को तलब किया। करीब आधे घंटे तक सदस्य नहीं पहुंचे। छात्र नेताओं ने कहा कि सब घर चले गए हैं, ऐसा रोज होता है। इसके बाद कॉलेज प्रोफेसर इंजू खान पहुंचे और छात्रों को समझाईश दी और उनकी संतुष्टि के लिए नौगांव थाने पर अभाविप के कार्यकर्ताओं द्वारा पिटाई की घटना को लेकर सूचनार्थ पत्र प्रेषित किया। पत्र लेने के लिए नौगांव थाने से प्रधान आरक्षक कृष्णपालसिंह और अन्य कर्मी पहुंचे थे। इसके बाद धरना समाप्त हुआ।
हम 90 प्रतिशत है, लेकिन पढ़ना चाहते है
प्राचार्य श्री बघेल को छात्रों ने खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि छात्रों की निर्वाचित कॉलेज परिषद् में हम है। हम कोई भी आयोजन कॉलेज के भीतर नहीं करते है। कॉलेज में 90 प्रतिशत आदिवासी छात्र है। हम पढ़ने आए है लड़ने नहीं। यह बात दूसरे छात्र संगठनों को भी समझना चाहिए। हम लड़ने लगे तो क्या होगा आप समझ सकते हो।
हर झगड़े में कैमरा बंद क्यों
प्राचार्य एवं प्रोफेसरों ने जब विवाद की घटना से इंकार किया तो आछासं के कार्यकर्ताओं ने मोबाईल से मारपीट के विडियो दिखाए। इसके बाद उन्होंने कक्षा में किए जा रहे संगठन प्रचार की विडियो भी दिखाई। छात्रों ने प्राचार्य से सीसी टीवी फुटेज देखकर मारपीट की पुष्टि करने के लिए कहा। कैमरे बंद होने की जानकारी पर विद्यार्थी नाराज हुए। उनका कहना था कि जब भी कॉलेज में विवाद होता है आप कैमरे बंद बता देते हो। किसी दिन छेड़छाड़ की घटना हो गई तो यही जवाब दोंगे क्या।
इन पर प्रकरण हुए दर्ज
पुलिस ने अभाविप के छात्र राहुल चावड़ा की रिपोर्ट पर महेश डामर और महेश मोड द्वारा कार्यक्रम को बाधित करने और मारपीट करने पर महेश के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। वहीं आछासं के महेश डामर की रिपोर्ट पर आकाश खिंची, महेन्द्र ठाकुर, राहुल चावड़ा और शुभम सिसौदिया के खिलाफ कायमी की है। इन पर आरोप है कि इन्होंने महेश को संगठन की सदस्यता लेने के लिए पीटा है।
क्लॉस के समय प्रचार कैसे हो रहा था, प्रोफेसर को बुलवाईये
सोमवार को कक्षा में एक छात्र संगठन द्वारा अपने संगठन के प्रचार करने को लेकर आछासं के पदाधिकारियों ने प्राचार्य से अनुमति के संबंध में सवाल पूछे। प्राचार्य ने कहा कि अमृत महोत्सव का कार्यक्रम चल रहा है। इस पर छात्रों ने कक्षा में प्रचार के विडियो दिखाते हुए कहा कि यह अमृत उत्सव का आयोजन है क्या। इसके बाद उन्होंने कक्षा में पढ़ाने वाले प्रोफेसर को बुलाने के लिए कहा। छात्रों का कहना था कि जब प्रचार हो रहा था तब प्रोफेसर कहां थी, उनसे भी सवाल किया जाए। अन्यथा हमें कल कलेक्टर साहब के सामने जनसुनवाई में विडियो दिखाना पड़ेंगे।
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