धार~ धार में भी पोषण घोटाला.......

क्षमता से 3 गुना अधिक उत्पादन दर्शाया, करोड़ों के राशन का बोगस वितरण हुआ-श्री सकलेचा ~~

प्रेस कांफ्रेंस में कांगे्रस ने टेक होम राशन में 11 बिंदुओं की और ध्यानाकर्षण करके करोड़ों की राशि के फर्जीवाड़े के लगाए आरोप ~~

धार ( डाॅ. अशोक शास्त्री )।  

आदिवासी बाहुल्य धार जिले में शासन-प्रशासन की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है। कारम डेम मामले के बाद अवैध शराब माफियाओं द्वारा प्रशासनिक टीम पर हमले की घटना से हुई किरकिरी के बाद अब जिले में करोड़ों के आदिवासियों एवं अन्य ग्रामीण हितग्राहियों के नाम पर करोड़ों के पोषण आहार घोटाले की आंच आई है। केग रिपोर्ट के हवाले से मप्र कांग्रेस में आरोप समिति के उपाध्यक्ष पूर्व विधायक रतलाम पारस सकलेचा ने प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से धार में पोषण आहार घोटाले को लेकर 11 बिंदुओं पर आधारित आरोप सामने रखे है। इसके माध्यम से बताया गया है कि किस तरह  घोटाला किया गया है। उन्होंने रजिस्टर इंट्री, वास्तविक संख्या, एमआईएस में रजिस्टर संख्या सहित अलग-अलग जगह के हितग्राहियों के डाटा का उल्लेख कर आंकड़ों का फर्क बताते हुए बोगस वितरण का आरोप लगाया है। इस दौरान पत्र परिषद् में जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालमुकुंदसिंह गौतम, सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल, धरमपुरी विधायक पांचीलाल मेड़ा, शहर कांग्रेस अध्यक्ष जसबीर छाबड़ा सहित अन्य कांग्रेसजन मौजूद थे। 
कच्चा राशन कम लिया, उत्पादन अधिक दिखाया 
पत्र परिषद् में श्री सकलेचा ने जिले में हुए पोषण आहर घोटाले को लेकर बिंदुवार जानकारी में बताया कि घोटाले की बारिकियां इस तरीके से समझी जा सकती है कि पोषण आहार निर्माण क्षमता संयंत्र की 84 मैट्रिक टन प्रतिदिन है। इन दो वर्षों में 181 दिन मूल क्षमता से 3880.197 मैट्रिक टन ज्यादा उत्पादन बताया गया है। जिसकी कीमत 23.86 करोड़ है। गलत तरीके से उत्पादन क्षमता दिखाने का प्रमाण यह है कि 29053.91 मैट्रिक टन उत्पादन दिखाया   गया है। जिसके लिए 14240.96 मैट्रिक टन खाद्यान्न चाहिए, लेकिन 170.82 मैट्रिक टन  से कम कच्चा माल प्राप्त  होना बताया गया है। यही नहीं बिजली की खपत में नवंबर-दिसंबर 2019 में 12 दिन क्षमता से ज्यादा उत्पादन बताया है। उसमें 1324.84 मैट्रिक टन उत्पादन के लिए 72 हजार यूनिट के स्थान पर मात्र 54 हजार यूनिट बिजली उपयोग की गई। इस तरह सैकड़ों मैट्रिक टन का बोगस उत्पादन किया गया है। इसी बोगस उत्पादन की खपत दिखाने के लिए बोगस वितरण किया गया। कागजों-कागजों पर आंकड़ों की बाजीगरी से करोड़ों का घोटाला धार जिले में किया गया है। 
गर्भवति और बालिकाओं का राशन खा गए 
श्री सकलेचा ने बताया कि जिले में गर्भवति महिलाओं, बच्चे, शाला त्यागी बालिका, किशोर बालिकाओं का राशन सरकार खा गई है। केग रिपोर्ट में वर्ष 2018-19 और 20-21 तक की जांच में पोषण आहार में गड़बड़ियां पाई गई है। हितग्राहियों की संख्या में मैनिपुलेशन करके यह घोटाला अंजाम दिया गया है। महालेखाकार रिपोर्ट में धार सहित 8 जिले की जांच में यह निष्कर्ष निकाले गए है। उन्होंने बताया कि जिले में हुए घोटाले को एक उदाहरण से समझा जा सकता है। शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या में मनमाना हेरफेर किया गया। मई से जुलाई 2018 के मध्य सीडीपीओ ने शाला त्यागी बालिकाओं की संख्या 8735 बताई। वहीं डायरेक्टर को 11 हजार 310 की संख्या बताई। 6 आंगनवाड़ी परियोजना केन्द्र के डाटा का परीक्षण किया गया तो रजिस्टर में संख्या 2 दर्ज है। वहीं एमआईएस पोर्टल पर 4135 को रजिस्टर्ड बताया और लाभ देने का का अंकड़ा 6821 है। 
चीते के विज्ञापन पर 100 करोड़ खर्च 
श्री सकलेचा ने कहा कि प्रदेश में पोषण आहार महा घोटाले के सामने आने के बाद लोगों का ध्यान हटाने के लिए चीते के विज्ञापन पर करीब 100 करोड़ खर्च किए गए है। धार जिले में हालात देखिये डीपीओ ने एक भी विजिट नहीं की। सीडीपीओ ने 18 से 21 के बीच में 1320 में से महज 21 प्र्रतिशत विजिट की है। बगैर विजिट इस तरह के बोगस आंकड़ों से बोगस वितरण किया गया। 
बॉक्स-1 
पोषण आहार में 15 हजार करोड़ का महाघोटाला 
पत्र परिषद् में श्री सकलेचा ने संपूर्ण प्रदेश में वर्ष 2007 से 2022 के मध्य पोषण आहार में 15 हजार करोड़ का घोटाला किए जाने के आरोप लगाए। इसी के साथ श्री सकलेचा ने कहा कि पोषण आहार को ट्रकों के माध्यम से भेजा गया, लेकिन जिन वाहन नंबर से माल भेजा गया है वे मोटर साइकिल, ट्रैक्टर सहित सामान्य वाहनों के नंबर है। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि सिर्फ बोगस वितरण से ही करोड़ों का घोटाला नहीं किया गया है जिनको दिया है उनको भी गुणवत्ताहीन पोषण आहार दिया गया है। उन्होंने 2019 के आंकड़े का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में सबसे ज्यादा शिशु मृत्यु और मातृ मृत्यु दर रही है। तब सरकार इनकी फिक्र करने की बजाय घोटालों में व्यस्त थी। 

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