बाकानेर /भोपाल~आज जहां दुनिया भर के अखबारों का काम कंप्यूटर पर होता है, वहीं चेन्नई से प्रकाशित होने वाला उर्दू अखबार 'द मुसलमान' दुनिया का इकलौता हस्तलिखित अखबार है ~~

बाकानेर /भोपाल~  (सैयद रिजवान अली )

आधुनिकता के इस दौर में आप हम सब कंप्यूटर युग में जी रहे हैं, फिर भी अखबार की दुनिया 94 सालों से हस्तलिखित उर्दू अखबार चल रहा है! जिसकी कीमत महज 75 पैसे है। यह कीमत पहले प्रकाशन से लेकर अब तक है जिसे नहीं बढ़ाया गया  है, और इसके प्रकाशन के 94 वर्ष हो चुके हैं। मुसलमान अखबार की शुरुआत 1927 में सैयद इज्जतुल्ला ने की थी और आज, 94 साल बाद, उनके पोते सैयद आरिफुल्ला अतीत की याद  को ताजा करते हुए हाथ से लिखे हुए  अखबार निकलने का एहतमाम करते है !

सैयद इज्जतुल्ला इस अखबार के संस्थापक थे जो 1927 से लगातार प्रकाशित हो रहा है। शाम को चार पन्नों में प्रकाशित होने वाले इस अखबार के कार्यालय में एक कोने में 800 वर्ग फुट का एक कमरा है, जिसके एक कोने में  ख़त्ताती ( हाथ से लिखा जाना ) किया जाता है। इसमें चार महिलाएं हैं।एक कॉलिग्राफर को तीन घंटे में एक पेज लिखना होता है।

मुसलमान के पास सारी सुविधा नहीं है, दीवार पर सिर्फ दो पंखे, तीन बल्ब और एक ट्यूबलाइट है। पिछले साल संपादक के कमरे में एक कंप्यूटर और एक प्रिंटर लगाया गया था। अखबार के प्रबंधन का कहना है कि उनको उर्दू calligraphy  पसंद है  इसलिए वे इस तरीके को जारी रखे हुए हैं।इस अखबार में तीन रिपोर्टर हैं। यदि एक कॉलिग्राफर बीमार है, तो दूसरे को डबल शिफ्ट में काम करना होगा।प्रत्येक कॉलिग्राफर को प्रति पृष्ठ 60 रुपये का भुगतान किया जाता है।

"मुसलमान" के पास लगभग 23,000 सब्सक्राइबर हैं जो10 डॉलर तक  साल तक का भुगतान करते हैं। पेपर की कीमत 75 पैसे है। अखबार के प्रबंधन का कहना है कि इस डिजिटल युग में हस्तलिखित अखबार चलाना एक बड़ी चुनौती है।


Share To:

Post A Comment: